मिशन कश्मीर: देवी के मंदिर में टेका मत्था, फिर पहुंचे मस्जिद राहुल गांधी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी मिशन कश्मीर पर निकले हैं। मंगलवार को वह जम्मू-कश्मीर के गांदेरबल जिले में खीर भवानी मंदिर और हजरतबल दरगाह गए और मत्था टेका। अधिकारियों के मुताबिक राहुल गांधी सोमवार को दो दिवसीय दौरे पर जम्मू-कश्मीर पहुंचे थे। कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि राहुल गांधी अलसुबह मध्य कश्मीर जिले के तुल्लामुल्ला इलाके स्थित मंदिर पहुंचे।
उन्होंने बताया कि गांधी के साथ पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और जम्मू-कश्मीर मामलों की एआईसीसी प्रभारी रजनी पाटिल भी मौजूद थीं। कहा, “यह एक निजी दौरा था। राहुल जी मंदिर के दर्शन करना चाहते थे।” कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष का स्वागत करने के लिए कई पार्टी नेता और समर्थक मंदिर परिसर के बाहर इंतजार कर रहे थे। गांधी यहां आधे घंटे से अधिक समय तक रुके। यहां से सीधा वह नजदीक स्थित मीर बाबा हैदर की दरगाह पर भी गए। उन्होंने बताया कि इसके बाद गांधी डल झील के किनारे स्थित दरगाह हजरत बल पहुंचे।
कांग्रेस सांसद सोमवार शाम यहां एक होटल में, जम्मू-कश्मीर की प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर के बेटे की शादी के ‘रिसेप्शन’ में शामिल हुए थे। मंगलवार को उनका एमए रोड पर पार्टी के मुख्यालय का उद्घाटन का कार्यक्रम तय है। कांग्रेस नेता ने कहा, “पार्टी कार्यालय में नेताओं तथा कार्यकर्ताओं के साथ वे बातचीत भी करेंगे।” गांधी मंगलवार शाम तक दिल्ली के लिए रवाना होंगे।
दूसरी तरफ राहुल गांधी के मंदिर से निकलने के ठीक बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद भी वहां पहुंचे। उन्होंने मंगलवार को कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल होना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने जम्मू कश्मीर के निवासियों के लिए भूमि और रोजगार के अधिकारों की वकालत की। कश्मीर के गांदरबल जिले के तुल्लामुल्ला क्षेत्र में खीर भवानी मंदिर परिसर के बाहर आजाद ने संवाददाताओं से कहा 1990 की शुरुआत में आतंकवाद के कारण घाटी से बाहर गए कश्मीरी पंडितों को वापस लाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “चुनाव जल्दी कराना चाहिए, लेकिन चुनाव से पहले राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए, जो बेहद जरूरी है। कश्मीरी पंडितों को वापस लाया जाना चाहिए।” आजाद ने कहा, “अनुच्छेद 370 निरस्त करने के बाद हमारी भूमि और रोजगार (अधिकार) जो छीन लिए गए थे, उन्हें वापस दिया जाना चाहिए, उसी तरह जैसे वो पहले (पांच अगस्त 2019) थे। इसके लिए राज्य का दर्जा बहाल करने के बाद नया कानून लाया जाना चाहिए।” आजाद जब तुल्लामुल्ला पहुंचे तब गांधी हजरतबल के लिए निकल चुके थे।