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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ‘NCP में अप्रत्याशित टूट से राजनीति में भूचाल, डकैती’ करार दिया शरद पवार ने

Ajit Pawar सहित NCP के नौ विधायक एकनाथ शिंदे नीत महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गए. इनमें शरद पवार के वफादार कहलाने वाले छगन भुजबल और दिलीप वालसे पाटिल भी शामिल हैं. अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की, जबकि पार्टी के आठ अन्य नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली.

NCP अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि अजित पवार और राकांपा के अन्य विधायकों का शिंदे नीत सरकार में शामिल होने को डकैती बताया है. पवार ने कहा, ‘…यह गुगली नहीं, डकैती है. यह आसान चीज नहीं है. प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) ने पार्टी पर जो आरोप लगाए थे…अब (उन्होंने) उनमें से कुछ को आरोपों से दोषमुक्त करने का महत्वपूर्ण काम किया है.’

Ajit Pawar ने रविवार को महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने के साथ ही शिवसेना (Shiv Sena) से बगावत के बाद मुख्यमंत्री बनने वाले एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के नक्शेकदम पर पूरी तरह से चलना शुरू कर दिया है. अजित पवार ने राज्यपाल रमेश बैस को अपने समर्थक 40 एनसीपी विधायकों की सूची सौंपी है. विधानसभा में एनसीपी (NCP) के कुल 54 विधायक हैं. ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक अजित पवार जल्द ही एनसीपी पार्टी के नाम और चुनाव निशान को हासिल के लिए चुनाव आयोग के सामने अर्जी पेश कर सकते हैं. इससे पहले अपने राजनीतिक गुरु और चाचा शरद पवार को एक बड़ा झटका देते हुए एनसीपी के अजीत पवार शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल हो गए.

Ajit Pawar (63 वर्ष) ने एनसीपी के आठ दूसरे दिग्गज विधायकों के साथ राजभवन में शपथ ली. इनमें पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार के लंबे समय तक सहयोगी रहे दिग्गज नेता दिलीप वाल्से पाटिल, छगन भुजबल, धनंजय मुंडे और हसन मुश्रीफ भी शामिल थे. सूत्रों के मुताबिक इसके लिए अजित पवार का गेमप्लान एक साल से चल रहा है. अब अजित पवार ने एकनाथ शिंदे के पैटर्न को अपनाते हुए दावा किया है कि वह असली एनसीपी का प्रतिनिधित्व करते हैं और उन्हें पार्टी के ‘सभी’ लोगों का समर्थन हासिल है. जबकि उनके चाचा शरद पवार ने उनके काम को बगावत के बजाय ‘डकैती’ करार दिया और वापसी करने की कसम खाई.

NCP में दरकिनार किए जाने पर अजित पवार की नाराजगी कोई रहस्य नहीं थी. मगर पिछले कुछ महीनों में इससे जुड़ी कई चीजें सामने आईं. मई के पहले हफ्ते में शरद पवार ने पहली बार पार्टी अध्यक्ष पद से आश्चर्यजनक ढंग से अपना इस्तीफा दे दिया. जाहिर तौर पर ये कदम आंतरिक कलह को शांत करने के लिए था. पार्टी में विद्रोह अजित पवार के नेतृत्व में पनप रहा था. बाद में अपना इस्तीफा वापस लेने के बाद शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया और इस तरह अजित को एक नया झटका दिया गया.

सूत्रों ने बताया कि अजीत एक साल से अपने चाचा और चचेरी बहन सुप्रिया को टक्कर देने की रणनीति बना रहे थे. वास्तव में जब शरद पवार ने मुंबई के वाईबी चव्हाण सेंटर में अपने इस्तीफे की घोषणा की, तो अजित पवार साफ तौर से कहने वाले एकमात्र एनसीपी नेता थे कि नए नेतृत्व के लिए रास्ता बनाने के लिए इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाना चाहिए. जबकि उस समय पार्टी के दूसरे सभी नेता शरद पवार से इस्तीफा न देने के लिए विनती कर रहे थे. पिछले महीने पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर अजित पवार ने शरद पवार से उन्हें विधानसभा में विपक्ष के नेता के पद से मुक्त करने और इसके बजाय उन्हें एक संगठनात्मक कार्य सौंपने के लिए कहा था. उसी भाषण में उन्होंने महाराष्ट्र में अपने दम पर सरकार बनाने में पार्टी की विफलता को लेकर एनसीपी नेतृत्व पर परोक्ष हमला बोला था.

भाजपा और शिंदे नीत शिवसेना से NCP  हाथ मिलाने के अजित पवार के फैसले ने संक्षिप्त अवधि के लिए दरकिनार रहने के बाद एक बार फिर महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा को स्थिति को नियंत्रित करने वाली पार्टी की भूमिका में ला दिया है. अब भाजपा एक बहुत मजबूत गठबंधन बनाने की स्थिति में है, जिससे लोकसभा चुनावों के दौरान राज्य में उसकी पकड़ मजबूत हो सकती है.

इस घटनाक्रम ने उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना ‘उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ शरद पवार की राकांपा और कांग्रेस की भागीदारी वाले महाविकास आघाडी ‘एमवीए’ गठबंधन को मिली किसी भी तरह की बढ़त को समाप्त कर दिया है.

सूत्रों के मुताबिक, अजित पवार के समर्थक कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पटना में शरद पवार और सुप्रिया सुले के साथ मंच साझा करने को लेकर नाराज हैं. यह घटनाक्रम और कांग्रेस एवं शक्तिशाली क्षेत्रीय दलों के बीच तकरार से यह सवाल पैदा होता है कि क्या क्षेत्रीय क्षत्रप विपक्षी गठबंधन में राहुल के नेतृत्व को स्वीकार करेंगे.

किसी समस्या का समाधान करने के लिए चतुराई से और अप्रत्याशित कदम उठाने वाले एक मंझे हुए राजनेता माने जाने वाले शरद पवार के लिए यह बड़ा झटका है. ऐसा प्रतीत होता है कि अजित पवार की मदद से भाजपा द्वारा चली गई राजनीतिक चाल से उन्हें शिकस्त मिली है. शरद पवार की रणनीति इस पर आगे की क्या रणनीति है यह सोमवार को स्पष्ट होगा. आज सोमवार को शरद पवार अपने भतीजे द्वारा पार्टी तोड़ने को लेकर सार्वजनिक रूप से बयान देंगे.

2024 लोकसभा चुनाव के अंकगणित पर नजर दौड़ाएं तो महाराष्ट्र में 48 सांसद हैं, जिनमें से भाजपा के 22 सांसद हैं, जो सबसे अधिक हैं. इसके बाद शिवसेना के 18 और राकांपा के 4 सांसद हैं. लोकसभा की वेबसाइट के अनुसार, दो सीटें खाली रह गई हैं. भाजपा 2019 के अपने प्रदर्शन को बेहतर करते हुए अपने दम पर 350 का आंकड़ा छूना चाहती है. इसलिए उसे न केवल 2019 के लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने की जरूरत है, बल्कि अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने की भी दरकार है.

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