कांग्रेस की 150 साल पुरानी विरासत को 15 साल में खत्म कर देने वाले राहुल गांधी, Acharya Pramod Krishnam ने दिया बड़ा बयान
कांग्रेस पार्टी, जो एक समय भारतीय राजनीति का सबसे मजबूत स्तंभ मानी जाती थी और देश की आज़ादी की लड़ाई में प्रमुख भूमिका निभाने वाली पार्टी थी, अब संकट के दौर से गुजर रही है। हाल के वर्षों में पार्टी का हौसला और प्रभाव लगातार घटता जा रहा है। इस मुद्दे पर अब कांग्रेस के पूर्व नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ( Acharya Pramod Krishnam) ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर तीव्र हमला बोला है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने 150 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी को महज 15 सालों में समाप्त कर दिया है, और अब ऐसा लगता है कि उनकी नजरें इंडिया गठबंधन पर भी हैं, जिसे वे जल्द ही ‘अंतिम संस्कार’ की ओर ले जाएंगे।
कांग्रेस पार्टी की ऐतिहासिक विरासत का अंत?
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, “राहुल गांधी इतने बड़े नेता हैं कि उन्होंने इतना बड़ा काम किया। 150 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी, जिसने स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई, को समाप्त करने में उन्हें 15 साल लगे। यह एक ऐसा कार्य है जिसे अंग्रेज भी नहीं कर सके।” उनके अनुसार, कांग्रेस का अस्तित्व अब खात्मे की ओर बढ़ रहा है, और इसका पूरा श्रेय राहुल गांधी को जाता है, जो इस समय विपक्षी इंडिया गठबंधन के प्रमुख चेहरों में से एक हैं।
राहुल गांधी: एक नेता या विनाशक?
राहुल गांधी की राजनीति और उनके नेतृत्व की शैली हमेशा ही विवादों में रही है। कई बार उन्होंने आलोचकों के निशाने पर रहकर अपनी पार्टी को नुकसान पहुंचाया, लेकिन उनका प्रभाव और पार्टी के भीतर उनकी स्थिति भी अलग ही थी। आचार्य प्रमोद ने उन्हें इस रूप में प्रस्तुत किया कि राहुल गांधी ने कांग्रेस को केवल सत्ता से बाहर नहीं किया, बल्कि उसकी जड़ों को ही खोखला कर दिया। प्रमोद ने कहा, “राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस का जो हाल हुआ, वह एक इतिहास रचने जैसा है। यह बात शायद ही किसी और नेता के बारे में कही जा सकती है।”
इंडिया गठबंधन का भविष्य क्या होगा?
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने यह भी कहा कि राहुल गांधी का असर अब इंडिया गठबंधन पर भी पड़ने वाला है। उन्होंने कहा, “मैं अपनी बात साफ कर देता हूं, जिस तरह राहुल गांधी ने कांग्रेस का अंतिम संस्कार किया, उसी तरह इस इंडिया गठबंधन का बहुत जल्द वह पिंडदान कर देंगे।” इसका अर्थ यह है कि यदि राहुल गांधी ने कांग्रेस को समाप्त किया, तो अब उनकी अगली चुनौती विपक्षी गठबंधन को सत्ता में लाने और उसे एकजुट रखने की होगी।
एक नेता के खिलाफ कई सवाल
आचार्य प्रमोद कृष्णम का यह बयान केवल एक बार का नहीं है। वे पहले भी कई बार कांग्रेस और राहुल गांधी पर तंज कस चुके हैं। उनके बयानों से यह स्पष्ट है कि उनके लिए राहुल गांधी केवल एक नेता नहीं हैं, बल्कि एक ऐसा शख्स हैं जिन्होंने अपने कार्यों से पार्टी को बर्बादी की ओर ले जाने का कार्य किया। इससे पहले भी उन्होंने कहा था, “राहुल गांधी की राजनीति की वजह से कांग्रेस आज अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। उनकी रणनीतियां और फैसले पार्टी की दिशा को सही करने के बजाय उसे और कठिनाई में डालते रहे हैं।”
राहुल गांधी की राजनीतिक यात्रा: संघर्ष और आलोचना
राहुल गांधी का राजनीतिक करियर कई उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने 2014 में भारी हार का सामना किया था और 2019 में भी पार्टी को सत्ता में लौटने का मौका नहीं मिला। इसके बावजूद राहुल गांधी ने अपने आपको पार्टी का नेता बनाए रखा, लेकिन उनका नेतृत्व अक्सर सवालों के घेरे में रहा। कई वरिष्ठ नेताओं ने उनकी शैली को नकारात्मक बताया, और पार्टी की अंदरूनी समस्याओं को भी खुलकर उजागर किया।
आचार्य प्रमोद कृष्णम का व्यक्तित्व और उनका नजरिया
आचार्य प्रमोद कृष्णम, जो पहले कांग्रेस से जुड़े थे, अब एक स्वतंत्र विचारक के रूप में सामने आते हैं। उनकी टिप्पणियों में अक्सर तीव्र आलोचना और कड़ी आलोचना शामिल रहती है। उन्होंने राजनीति में अपने अनुभवों से यह समझाया कि नेतृत्व का मतलब केवल चुनाव जीतना नहीं है, बल्कि एक दृष्टिकोण और दृढ़ संकल्प भी होना चाहिए।
विपक्षी एकता की चुनौती
आचार्य प्रमोद कृष्णम की बातें इस ओर भी इशारा करती हैं कि इंडिया गठबंधन का भविष्य भी राहुल गांधी के नेतृत्व से जुड़ा हुआ है। जहां कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो रही है, वहीं विपक्षी गठबंधन को एक मजबूत नेतृत्व की जरूरत है। यदि राहुल गांधी की नजरें केवल पार्टी के भीतर ही हैं, तो विपक्षी गठबंधन का उद्देश्य भी कमजोर हो सकता है।
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राहुल गांधी की राजनीति और उनके नेतृत्व पर जो टिप्पणी की है, वह कांग्रेस और विपक्षी राजनीति दोनों के लिए एक चेतावनी है। क्या राहुल गांधी सच में अपने निर्णयों और नेतृत्व से पार्टी को खड़ा कर पाएंगे, या उनकी रणनीति के चलते विपक्षी दल भी प्रभावित होंगे? यह सवाल आज राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। समय बताएगा कि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन का भविष्य क्या होगा, लेकिन एक बात तो स्पष्ट है—राहुल गांधी की अगुवाई में इन दोनों की राहें आसान नहीं होंगी।