Russia का आधी रात का हमला: यूक्रेन में बिजली कटौती, राष्ट्रपति पुतिन ने दी चेतावनी
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर से अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करते हुए यूक्रेन पर एक भयावह आधी रात का हमला किया। इस हमले ने पूरे यूक्रेन को हिला कर रख दिया और देश भर में बिजली की भारी कटौती हुई। Russia के इस नए सैन्य कदम ने न केवल यूक्रेन बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी हलचल मचा दी है।
Russia के इस हमले की शुरुआत यूक्रेनी क्षेत्र पर अमेरिकी मध्यम दूरी की ATACMS मिसाइलों से किए गए हमलों के जवाब में हुई। पुतिन ने अपनी ओर से किए गए इस हमले का कारण स्पष्ट किया कि रूस ने इसे यूक्रेन की ओर से किए गए हमलों की प्रतिक्रिया के रूप में अंजाम दिया। पुतिन का कहना था कि भविष्य में रूस के लक्ष्य में कीव जैसे शहरों में “निर्णय लेने वाले केंद्र” को भी निशाना बनाया जा सकता है। यह बयान रूस की ओर से संभावित और भी बड़े हमलों की चेतावनी है, जो युद्ध के दृष्टिकोण से बेहद गंभीर हो सकती है।
युद्ध की जमीनी स्थिति: यूक्रेन की प्रतिक्रिया और पश्चिमी दुनिया की भूमिका
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने रूस के इस हमले की तीव्र निंदा करते हुए इसे “घृणित वृद्धि” करार दिया। ज़ेलेंस्की ने कहा कि रूस ने अपने हमलों में क्लस्टर हथियारों और क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल किया, जो अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानवाधिकारों के खिलाफ है। उनका कहना था कि इस तरह के हमले यूक्रेन की अवसंरचना को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं और आम नागरिकों की जिंदगी को खतरे में डाल रहे हैं।
ज़ेलेंस्की ने अपने रात के वीडियो संबोधन में इस हमले के संदर्भ में कहा कि उन्होंने नाटो महासचिव मार्क रूटे, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर, और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ जैसे पश्चिमी नेताओं से बात की है। उनका मुख्य उद्देश्य रूस के प्रयासों को रोकना और युद्ध को लंबे समय तक खींचने से रोकना था। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब समय आ गया है कि यूक्रेन और उसके सहयोगी देशों की स्थिति को और भी मजबूत किया जाए।
अमेरिकी प्रतिक्रिया: जो बाइडेन का बयान
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी रूस के हमले की कड़ी निंदा की और इसे “घृणास्पद” बताया। उन्होंने कहा कि रूस का यह हमला यूक्रेन के लोगों को अपनी स्वतंत्रता और स्वायत्तता की रक्षा के लिए संघर्ष करने की आवश्यकता की याद दिलाता है। बाइडेन ने इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग की अहमियत को बताया और कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को मिलकर रूस के आक्रमण का मुकाबला करना होगा।
हमले का असर: बिजली कटौती और तबाही
इस हमले के तुरंत बाद, यूक्रेन के अधिकांश हिस्सों में बिजली की आपूर्ति बाधित हो गई। अनुमान के अनुसार, 1 मिलियन से अधिक लोग बिना बिजली के रह गए। पहले से ही बिजली की कटौती की योजना बनाई गई थी, लेकिन इस हमले के बाद वह और भी तेज हो गई। यूक्रेन की वायु सेना ने बताया कि रूस ने गुरुवार के हमले में कुल 91 मिसाइलें और 97 ड्रोन का उपयोग किया। इनमें से 12 ने अपने लक्ष्यों को मारा, जिनमें प्रमुख रूप से ऊर्जा और ईंधन सुविधाएं शामिल थीं।
रूस-यूक्रेन युद्ध: संभावित भविष्य की दिशा
Russia के इस नए हमले ने युद्ध की स्थिति को और भी जटिल बना दिया है। विश्लेषकों का कहना है कि यदि रूस अपने सैन्य हमलों को इसी तरह बढ़ाता रहा, तो भविष्य में यूक्रेन में और भी गंभीर संकट पैदा हो सकते हैं। पुतिन के बयान से यह साफ है कि रूस अपने रणनीतिक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है, जिससे युद्ध और भी विनाशकारी हो सकता है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय का जवाब
इस संघर्ष ने वैश्विक स्तर पर कई देशों और संगठन को चिंतित कर दिया है। यूरोपीय संघ, नाटो और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं इस मामले पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। पश्चिमी देशों का प्रयास है कि वे रूस को कड़ा जवाब देने के लिए एकजुट हों और यूक्रेन की मदद के लिए जरूरी कदम उठाएं। अमेरिका और यूरोपीय देशों ने पहले ही यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक सहायता प्रदान की है, लेकिन रूस की ओर से लगातार हो रहे हमलों से उनकी चुनौती और बढ़ गई है।
युद्ध के मानवीय पहलू
इस संघर्ष का सबसे अधिक प्रभाव आम लोगों पर पड़ रहा है। यूक्रेन के नागरिकों को न केवल लगातार बमबारी का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि उन्हें जीवन की बुनियादी सुविधाओं की भी भारी कमी हो रही है। अस्पतालों में चिकित्सीय सहायता, खाद्य आपूर्ति और आवास की समस्याएं बढ़ रही हैं। इन कठिनाइयों के बीच, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और स्वयंसेवी संगठनों की मदद भी अत्यंत आवश्यक हो गई है ताकि लोगों को बेसहारा न छोड़ दिया जाए।
Russia राष्ट्रपति पुतिन का यह नया हमला यूक्रेन और पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी है। इस संघर्ष के लंबा खींचने से न केवल यूक्रेन बल्कि वैश्विक स्तर पर भी गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। आने वाले दिनों में युद्ध के इस नए दौर की दिशा क्या होगी, यह देखना दिलचस्प होगा। सभी की नजरें इस पर होंगी कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस संघर्ष को रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाता है।