Sambhal Violence: 87 दिन बाद कोर्ट में दाखिल हुई चार्जशीट, 900 पेज में 50 आरोपी, सांसद बर्क पर फैसला अभी बाकी
Sambhal Violence संभल में हुए बवाल के 87वें दिन गुरुवार को पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए छह मुकदमों की चार्जशीट अदालत में पेश कर दी। यह चार्जशीट मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अर्चना सिंह की अदालत में दाखिल की गई, जिसमें कुल मिलाकर हजारों पन्नों के दस्तावेज़ और सैकड़ों आरोपियों की सूची शामिल है।
मगर सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इस मामले में नामजद सांसद जियाउर्रहमान बर्क के खिलाफ चार्जशीट अब तक दाखिल नहीं की गई है। यह सवाल खड़ा करता है कि क्या पुलिस पर किसी तरह का राजनीतिक दबाव है या फिर मामले की जांच में अभी और कड़ी पड़ताल की जरूरत है?
24 नवंबर 2024 को हुआ था हिंसा का बड़ा तांडव
संभल शहर में 24 नवंबर 2024 को एक विवाद के बाद हिंसा भड़क उठी थी। पुलिस ने इस मामले में सात एफआईआर दर्ज की थीं, जिनमें पांच कोतवाली संभल में और दो थाना नखासा में दर्ज की गई थीं। उस दिन का माहौल ऐसा था कि शहर में अराजकता फैल गई थी। जगह-जगह आगजनी, तोड़फोड़ और पथराव हुआ था। हालात काबू में लाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था, और आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए थे।
चार्जशीट में किन मामलों को शामिल किया गया?
अब 87 दिन बाद जिन छह एफआईआर की चार्जशीट दाखिल की गई है, उनमें शामिल मुकदमे और आरोपियों की संख्या कुछ इस प्रकार है:
अपराध संख्या 337/24:
- 900 पन्नों की चार्जशीट
- 50 आरोपियों के नाम
अपराध संख्या 336/24:
- 700 पन्नों की चार्जशीट
- 37 आरोपी
अपराध संख्या 333/24:
- 650 पन्नों की चार्जशीट
- 39 आरोपी
अपराध संख्या 334/24:
- 650 पन्नों की चार्जशीट
- 34 आरोपी
थाना नखासा का अपराध संख्या 304/24:
- 375 पन्नों की चार्जशीट
- 25 आरोपी
अपराध संख्या 305/24:
- 750 पन्नों की चार्जशीट
- 23 आरोपी
मामले की विवेचना और चार्जशीट दाखिल करने वाले अधिकारी
इस हाई-प्रोफाइल मामले में कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने जांच को अंजाम दिया। चार्जशीट दाखिल करने वाले विवेचकों में अजय कुमार त्यागी, लोकेंद्र कुमार त्यागी, अमर पाल सिंह, अमित कुमार, सत्येंद्र पंवार और आलोक सिंह शामिल हैं।
अब आरोपियों के वकीलों ने अदालत से चार्जशीट की कॉपी की मांग की है, जिस पर अदालत ने सभी विवेचकों को निर्देश दिया कि वे तीन दिन के भीतर चार्जशीट की नकल उपलब्ध कराएं।
मामले में सांसद जियाउर्रहमान बर्क की भूमिका पर सवाल!
हालांकि पुलिस ने 900 पन्नों की चार्जशीट में 50 लोगों को आरोपी बनाया है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क के खिलाफ अब तक चार्जशीट क्यों दाखिल नहीं हुई?
24 नवंबर को हुई हिंसा के बाद सांसद बर्क पर भी एफआईआर दर्ज हुई थी, लेकिन चार्जशीट में उनका नाम न आने से राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। क्या पुलिस अभी और सबूत जुटा रही है, या फिर मामला राजनीतिक दबाव की भेंट चढ़ गया है?
संभल हिंसा: राजनीतिक साजिश या भीड़ का उन्माद?
विशेषज्ञों का मानना है कि संभल हिंसा सिर्फ एक सामान्य घटना नहीं थी, बल्कि इसके पीछे किसी बड़ी साजिश की बू आ रही है। कई स्थानीय नेताओं पर आरोप है कि उन्होंने माहौल को भड़काने का काम किया।
क्या यह एक सोची-समझी रणनीति थी?
क्या किसी बड़े नेता ने पर्दे के पीछे से हिंसा को हवा दी?
इन सवालों का जवाब आने वाले दिनों में पुलिस की कार्रवाई और अदालत की सुनवाई के दौरान मिल सकता है।
पुलिस की कार्रवाई: अभी भी अधूरी?
हालांकि पुलिस ने सैकड़ों पन्नों की चार्जशीट दाखिल कर दी है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या सभी असली दोषियों को इसमें शामिल किया गया है?
कई चश्मदीदों का कहना है कि कुछ बड़े नाम अभी भी पुलिस के रडार से बाहर हैं। अगर न्याय सुनिश्चित करना है तो केवल छोटे आरोपियों को पकड़ने से कुछ नहीं होगा, बल्कि असली मास्टरमाइंड तक पहुंचना होगा।
अब आगे क्या होगा?
- कोर्ट में चार्जशीट पर बहस होगी।
- आरोपियों की जमानत याचिकाएं दायर होंगी।
- पुलिस को सांसद बर्क पर चार्जशीट दाखिल करनी होगी या केस क्लोज करने का कारण बताना होगा।
- राजनीतिक बयानबाजी और गरमाएगी।
संभल की जनता क्या चाहती है?
संभल की जनता अब सिर्फ एक ही चीज चाहती है – न्याय! चाहे वह किसी भी पक्ष का हो, दोषियों को सजा मिलनी चाहिए और निर्दोषों को राहत मिलनी चाहिए।
क्या अदालत से मिलेगा इंसाफ? या फिर यह मामला भी सालों तक लटका रहेगा?
अब निगाहें कोर्ट की अगली सुनवाई पर टिकी हैं!