Bareilly: 18 साल बाद पाकिस्तान से भारत लौटीं शहनाज: वीजा संघर्ष, चोरी और दिल छू लेने वाली कहानी
Bareilly, उत्तर प्रदेश: थाना बारादरी क्षेत्र की निवासी 60 वर्षीय शहनाज, 18 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद पाकिस्तान से अपने मायके बरेली लौटी हैं। उन्होंने 45 दिनों के वीजा पर भारत की यात्रा की, लेकिन इस सफर में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
वीजा संघर्ष:
शहनाज ने बताया कि उन्होंने सात बार भारत आने के लिए वीजा आवेदन किया, लेकिन पाकिस्तान सरकार की नाइंसाफी के कारण उन्हें अनुमति नहीं मिली। उन्होंने उम्मीद छोड़ दी थी कि वे अपने परिवार से मिल पाएंगी। आखिरकार, उनके भाई सलीम की उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की गई अपील के बाद, उन्हें वीजा प्राप्त हुआ।
ट्रेन में चोरी की घटना:
24 मार्च को, शहनाज बाघा बॉर्डर से पंजाब मेल द्वारा बरेली के लिए रवाना हुईं। इस यात्रा के दौरान, उनका पर्स, जिसमें वीजा, पासपोर्ट और कीमती सामान थे, ट्रेन में चोरी हो गया। इस घटना से पुलिस और खुफिया एजेंसियों में हलचल मच गई है, और जांच जारी है।
भारत में स्वागत और अनुभव:
भारत की धरती पर कदम रखते ही शहनाज ने जमीन को चूमा और सैनिकों से मिले स्नेह और सम्मान से अभिभूत हुईं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बॉर्डर पर मौजूद सैनिकों की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी उम्र को देखते हुए सैनिकों ने उनका सारा सामान उठाकर गाड़ी में रखवाया।
पाकिस्तान में भारतीय महिलाओं की स्थिति:
शहनाज ने बताया कि पाकिस्तान में उनकी तरह सैकड़ों महिलाएं हैं जो अपने परिवार से मिलने के लिए तरस रही हैं, लेकिन पाकिस्तान सरकार की नीतियों के कारण वे भारत नहीं आ पा रही हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे ऐसा रास्ता निकालें जिससे अन्य महिलाएं भी अपने परिवार से मिल सकें।
भारत-पाकिस्तान वीजा नीति और धार्मिक यात्राएं:
भारत और पाकिस्तान के बीच 1974 में धार्मिक स्थलों की यात्रा के लिए एक प्रोटोकॉल स्थापित किया गया था, जिसके तहत हर साल हजारों भारतीय तीर्थयात्री पाकिस्तान में विभिन्न धार्मिक स्थलों की यात्रा करते हैं। हाल ही में, पाकिस्तान ने 154 भारतीय तीर्थयात्रियों को श्री कटास राज मंदिर के दर्शन के लिए वीजा जारी किया है।
शहनाज की कहानी भारत और पाकिस्तान के बीच मानवीय संबंधों की जटिलता को दर्शाती है। यह घटना वीजा नीतियों की समीक्षा और सुधार की आवश्यकता की ओर इशारा करती है, ताकि लोग अपने परिवार से मिल सकें और सांस्कृतिक संबंध मजबूत हो सकें।