Supreme Court का बड़ा फैसला! लखनऊ एयरपोर्ट विस्तार पर हटाई सभी बाधाएं
लखनऊ के चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के विस्तार का मामला इन दिनों खूब सुर्खियों में है। इस एयरपोर्ट का विस्तार उत्तर प्रदेश के राजधानी लखनऊ में तेजी से बढ़ती उड़ानों और यात्रियों की संख्या को देखते हुए किया जा रहा है। लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) द्वारा इस विस्तार परियोजना के तहत कई गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया गया है। हालांकि, इन गांवों के निवासियों ने अपनी जमीन छोड़ने का विरोध किया और यह मामला कोर्ट तक पहुंच गया।
Supreme Court ने याचिका खारिज कर दिखाई हरी झंडी
लखनऊ एयरपोर्ट के विस्तार के विरोध में दाखिल की गई याचिका पर Supreme Courtने ऐतिहासिक निर्णय लिया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की बेंच ने लखनऊ के गड़ौरा, भक्तीखेड़ा, रहीमाबाद और मोहम्मदपुर जैसे गांवों की भूमि पर कब्जा छोड़ने के आदेश को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। कोर्ट के इस फैसले से अब चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के विस्तार कार्य में तेजी आ सकेगी। स्थानीय लोगों द्वारा दायर इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा कर परियोजना में आई सभी बाधाओं को दूर कर दिया है।
एयरपोर्ट विस्तार में भूमि अधिग्रहण का विवाद
एलडीए ने एयरपोर्ट विस्तार के तहत कई ग्रामीण क्षेत्रों की भूमि चिन्हित की है। इन गांवों में गड़ौरा, भक्तीखेड़ा, रहीमाबाद, और मोहम्मदपुर जैसे स्थान शामिल हैं, जहां के निवासी अपनी भूमि छोड़ने को राज़ी नहीं हैं। उनकी चिंता यह है कि उनकी आजीविका पूरी तरह से इसी भूमि पर निर्भर है। इस कारण स्थानीय लोग काफी समय से इस अधिग्रहण का विरोध कर रहे थे और आखिरकार मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट तक पहुंच गया था।
इलाहाबाद हाई कोर्ट का निर्देश
इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि एयरपोर्ट के विस्तार कार्य में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस अधिग्रहण से कोई भी प्रभावित न हो और एयरपोर्ट के कार्य में बाधा न उत्पन्न हो। हालांकि, हाई कोर्ट के इस निर्देश के बाद भी स्थानीय निवासियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका का खारिज होना
सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई करते हुए, कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि एयरपोर्ट के विस्तार के इस काम में कोई रुकावट नहीं आनी चाहिए। न्यायाधीशों ने इसे सुनने से इनकार करते हुए लखनऊ विकास प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वे इस परियोजना को निर्बाध रूप से आगे बढ़ा सकते हैं। कोर्ट ने स्थानीय लोगों की चिंताओं पर भी ध्यान दिया, लेकिन सार्वजनिक हित को प्राथमिकता देते हुए इस परियोजना को महत्वपूर्ण ठहराया।
एयरपोर्ट विस्तार की अहमियत
लखनऊ एयरपोर्ट का विस्तार न सिर्फ राज्य के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के विकास के लिए जरूरी है। एयरपोर्ट का विस्तार होने से यात्रियों के लिए आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी, और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के संचालन में भी वृद्धि होगी। इससे न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि लखनऊ के व्यापार और पर्यटन में भी उछाल आएगा। बढ़ते हुए यात्री भार और एयर ट्रैफिक को देखते हुए यह निर्णय अहम साबित हो सकता है।
स्थानीय निवासियों की समस्याएं और प्रशासन का रुख
जिन ग्रामीण इलाकों की जमीनें इस विस्तार में आ रही हैं, वहां के लोगों की कई चिंताएं हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि उनकी रोज़ी-रोटी इसी जमीन पर निर्भर है और इसे छोड़ना उनके लिए काफी मुश्किल भरा निर्णय है। हालांकि, सरकार ने इस मुद्दे को हल करने के लिए प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा देने का प्रस्ताव दिया है।
विकास बनाम विरोध: आगे की संभावनाएं
एयरपोर्ट विस्तार परियोजना के खिलाफ अब भी कुछ असंतोष बना हुआ है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला निश्चिंतता लेकर आया है कि विकास कार्यों में कोई बाधा नहीं आएगी। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश यह संकेत देता है कि आने वाले समय में लखनऊ और आसपास के क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे में बड़े बदलाव देखे जा सकते हैं।
क्षेत्रीय विकास और लखनऊ की बढ़ती महत्वता
चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट के विस्तार से लखनऊ की रणनीतिक स्थिति में सुधार आएगा। जहां एक ओर यह राज्य की अर्थव्यवस्था को नई गति देगा, वहीं दूसरी ओर इससे लखनऊ को उत्तर भारत के प्रमुख एयरपोर्ट हब के रूप में स्थापित करने का रास्ता भी खुलेगा।
इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से न सिर्फ लखनऊ एयरपोर्ट का विस्तार कार्य तेज़ी से आगे बढ़ेगा बल्कि उत्तर प्रदेश की तस्वीर बदलने में भी सहायक होगा।