हैं जिनके भाव सबरी से उन्हें ही राम मिलते हैं, अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में सुनाई उम्दा रचनाएं
हैं जिनके भाव सबरी से उन्हें ही राम मिलते हैं, मुजफ्फरनगर में श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र वहलना में कवियों ने देर रात तक एक से बढ़कर रचनाएं प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि शशांक जैन रहे। मंच का उद्घाटन, स्वागत और दीप प्रज्जवलन राजेश जैन, अजय जैन, मनोज जैन, विपिन जैन अनिल जैन, सुगंध जैन, पुनीत जैन, निशांक जैन ने किया।
मेरठ आई कवियित्री डॉ. अनामिका जैन अंबर ने च्मैं तेरे नाम हो जाऊं तू मेरे नाम हो जाए, मैं तेरा दाम हो जाऊं तू मेरा दाम हो जाए, ना राधा सा न मीरा सा विरह मंजूर है मुझको, बनूं मैं रूक्मणी तेरी तू मेरा श्याम हो जाए सुनाकर वाहवाही लूटी।
दिल्ली से आए डॉ. प्रवीण शुक्ल की रचना च् जाने कितने अनुभवों का है यही बस सार अंतिम, तोडना मत मन के रिश्तों का कभी भी तार अंतिम, जिन्दगी की उलझनों से जूझ के जाना ये मैंने, ना कोई भी जीत अंतिम ना कोई भी हार अंतिमज् को खूब सराहा गया।
कवि सौरभ जैन सुमन ने च्राष्ट्रभक्ति के पृष्ठों से तुम नाम भले हटवा देना, मेरे जिस्म के टुकड़े चीलों कव्वों को बटवा देना, मैं कहता हूं एक बार कश्मीर भी दे दो योगी को, आतंकवाद यदि बचे तो मुझको इंचों में कटवा देना सुनाकर दाद बटोरी।
मध्य प्रदेश के छतरपुर से आई नम्रता जैन की रचना च्जो सच्चे हैं उन्हें सुंदर सुखद परिणाम मिलते हैं, वही परिपक्व हो पाते जिन्हें शुभ काम मिलते हैं, भले ही हम करें लाखो बरस तक तप गुफाओं में, हैं जिनके भाव शबरी से उन्हें ही राम मिलते हैं को मंच और श्रोताओं ने खूब सराहा। इनके अलावा अखिल भारतीय कवि सम्मेलन दमदार बनारसी, साक्षी तिवारी, विनोद पॉल ने भी काव्य पाठ किया। विशिष्ठ अतिथि उद्यमी भीमसेन कंसल, गौरव स्वरूप, नरेंद्र गोयल, मनोज कुमार जैन, संजय जैन, राजेश कुमार जैन मौजूद रहे।