दुनिया को अलविदा कह गए Zakir Hussain: भारतीय संगीत की शान, तबला वादन का सम्राट, 73 साल की उम्र में निधन
भारत के महान तबला वादक, उस्ताद जाकिर हुसैन (Zakir Hussain) का 73 साल की उम्र में निधन हो गया है। यह खबर उनके करोड़ों प्रशंसकों के लिए एक गहरा सदमा है। रविवार को अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली, जहाँ वे गंभीर हालत में भर्ती थे। जाकिर हुसैन का निधन केवल भारतीय संगीत जगत के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के संगीत प्रेमियों के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
जाकिर हुसैन का जीवन और उनकी संगीत यात्रा
भारत में जाकिर हुसैन (Zakir Hussain) का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उनका संगीत न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में बजता है और उनका योगदान भारतीय संगीत में अनमोल रहेगा। उनका जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था, और उन्होंने बचपन से ही संगीत की दुनिया में कदम रखा। उनके पिता उस्ताद अल्ला रक्खा खां, जो खुद एक प्रसिद्ध तबला वादक थे, ने जाकिर हुसैन को इस कला से परिचित कराया।
जाकिर हुसैन की शेर-सी मजबूत पकड़ और अद्भुत तकनीक ने उन्हें तबला वादन के सबसे प्रमुख कलाकारों में शुमार कर दिया। मात्र 14 साल की उम्र में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी, और 20 साल की उम्र में उन्हें भारत और विदेशों में भी पहचान मिलनी शुरू हो गई। उनकी तबला की तालों में एक ऐसी गहराई थी, जिसे कोई भी संगीत प्रेमी महसूस कर सकता था।
तीन बार ग्रैमी अवार्ड विजेता और भारतीय संगीत के प्रेरणास्त्रोत
उस्ताद जाकिर हुसैन (Zakir Hussain) ने भारतीय संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया। उन्होंने न केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत में योगदान दिया, बल्कि पश्चिमी संगीत के साथ भी संगीत की नई विधाओं का विस्तार किया। 1992 में उन्हें संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए प्रतिष्ठित ग्रैमी अवार्ड से नवाजा गया था, और फिर 2009 में भी उन्हें यह सम्मान मिला। यह पुरस्कार उन्हें उनके शास्त्रीय, जाज और अन्य संगीत शैलियों में योगदान के लिए मिला था।
इसी तरह, भारतीय सरकार ने भी उनके योगदान को सराहा और उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म विभूषण’ से नवाजा। इससे पहले उन्हें ‘पद्म भूषण’ (2002) और ‘पद्म श्री’ (1988) भी प्राप्त हुआ था, जो उनके समर्पण और कड़ी मेहनत का प्रतीक है।
भारत सरकार द्वारा जाकिर हुसैन को सम्मान
जाकिर हुसैन (Zakir Hussain) को भारतीय संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए न केवल विदेशी प्रशंसा प्राप्त हुई, बल्कि भारत सरकार ने भी उन्हें समय-समय पर कई उच्चतम सम्मान से नवाजा। 22 मार्च 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। यह सम्मान उन्हें भारतीय संगीत की परंपरा को पूरी दुनिया में फैलाने के लिए दिया गया था।
जाकिर हुसैन का योगदान संगीत जगत में
जाकिर हुसैन का नाम तबला वादन के क्षेत्र में एक मील का पत्थर है। उनके द्वारा निर्मित संगीत ने न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में भारतीय संगीत को प्रतिष्ठा दिलाई। उनके कार्यक्रमों में विश्वभर से संगीत प्रेमी एकत्र होते थे, और हर संगीत प्रेमी को उनकी वादन शैली ने मंत्रमुग्ध कर दिया था।
उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया, और साथ ही पश्चिमी संगीत की तकनीकों को भी भारतीय संगीत में समाहित किया। उनके वादन की शक्ति और तकनीकी निपुणता ने उन्हें न केवल तबला के मास्टर बल्कि एक अद्वितीय संगीतकार बना दिया।
अंतर्राष्ट्रीय मंच पर जाकिर हुसैन
भारत में जाकिर हुसैन का नाम एक महान तबला वादक के रूप में लिया जाता है, लेकिन उनके कार्यक्षेत्र में केवल भारतीय सीमा नहीं थी। वे पूरी दुनिया में अपने तबला वादन के लिए प्रसिद्ध थे। उनका संगीत केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रेमियों के लिए नहीं, बल्कि जैज, रॉक और फ्यूजन संगीत के प्रशंसकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र था।
जाकिर हुसैन ने अपनी संगीत यात्रा के दौरान, माइकल जैक्सन, जॉर्ज हैरिसन और लुईस आर्मस्ट्रांग जैसे दिग्गज संगीतकारों के साथ भी प्रदर्शन किया। उन्होंने भारतीय संगीत और पश्चिमी संगीत के बीच सेतु का कार्य किया और दोनों शैलियों को मिलाकर कुछ अद्वितीय संगीत की रचनाएँ की।
उनकी संगीत यात्रा में योगदान देने वाले अन्य प्रमुख कलाकार
जाकिर हुसैन का संगीत सिर्फ तबला तक ही सीमित नहीं था। उन्होंने अपने करियर में कई अन्य संगीतकारों के साथ मिलकर काम किया। उनके साथ संगीत साधने वाले कलाकारों में विश्व प्रसिद्ध गायक पं. बिरजू महाराज, वायलिन वादक लक्षण राघव और अन्य महान कलाकारों का नाम लिया जाता है। इन कलाकारों के साथ उन्होंने कई प्रसिद्ध संगीत कार्यक्रमों का हिस्सा बने और अपनी कला से उन्हें भी नई दिशा दी।
देश-विदेश में उनके निधन पर शोक की लहर
जाकिर हुसैन के निधन के बाद भारतीय संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके फैंस, उनके सहकर्मी और संगीत जगत के अन्य प्रमुख हस्तियाँ उनकी कमी को महसूस कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और भारतीय संगीत जगत के कई बड़े नामों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, “उस्ताद जाकिर हुसैन की कला ने भारतीय संगीत को नई पहचान दी, उनका योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकेगा।”
जाकिर हुसैन का संगीत हमेशा रहेगा जीवित
जाकिर हुसैन का निधन भारतीय संगीत और कला के क्षेत्र में एक अभूतपूर्व क्षति है, लेकिन उनके द्वारा छोड़ी गई धरोहर का प्रभाव हमेशा रहेगा। उनका संगीत, उनकी लय, और उनके द्वारा किए गए प्रयोग भारतीय संगीत के इतिहास का हिस्सा बन गए हैं। आने वाली पीढ़ियाँ हमेशा उनके वादन से प्रेरणा लेंगी, और उनकी कला जीवित रहेगी।
उनकी उपलब्धियाँ न केवल भारत में, बल्कि विश्वभर में सराही गई हैं। उनका संगीत कभी खत्म नहीं होगा, क्योंकि उनकी धुनों और तालों की गूंज हमेशा संगीत प्रेमियों के दिलों में सुनाई देती रहेगी।
संगीत प्रेमियों के लिए एक संदेश
जाकिर हुसैन की यात्रा भारतीय संगीत के विकास में अनमोल योगदान रही। उनका जीवन एक प्रेरणा है उन सभी संगीतकारों के लिए जो अपनी कला में निपुणता हासिल करने के लिए निरंतर मेहनत और समर्पण से काम करते हैं। हम सब उनके योगदान को कभी नहीं भूल सकते और हमेशा उनकी धुनों में खोते रहेंगे।