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Anna University की छात्रा के साथ दुष्कर्म: एनसीडब्ल्यू की सख्त चेतावनी, आरोपी गिरफ्तार, तमिलनाडु में कानून व्यवस्था पर सवाल

तमिलनाडु के Anna University में एक सनसनीखेज दुष्कर्म मामले ने राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। 23 दिसंबर 2024 को एक छात्रा के साथ हुए यौन उत्पीड़न और दुष्कर्म के मामले में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन इस मामले ने राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, जिस पर राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने भी गहरी चिंता व्यक्त की है।

पीड़िता की शिकायत और पुलिस की कार्रवाई

पीड़िता के अनुसार, जब वह 23 दिसंबर की शाम लगभग आठ बजे कॉलेज के परिसर में अपने एक पुरुष मित्र से बात कर रही थी, तभी एक अज्ञात व्यक्ति ने उसे धमकाया और उसके साथ दुष्कर्म किया। छात्रा ने इस घटना की पूरी जानकारी पुलिस को दी, जिसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया। आरोपी की पहचान कोट्टूर क्षेत्र के ज्ञानशेखरण के रूप में हुई है, जो फुटपाथ पर बिरयानी की दुकान चलाता है। पुलिस ने आरोपी से इकबालिया बयान भी लिया है, और उसे अदालत में पेश किया गया है।

राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की कड़ी प्रतिक्रिया

राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने इस जघन्य अपराध की कड़ी निंदा करते हुए तमिलनाडु पुलिस से तत्काल सुरक्षा और सहायता प्रदान करने की अपील की है। एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष विजया राहतकर ने कहा, “आरोपी एक आदतन अपराधी प्रतीत होता है, और तमिलनाडु पुलिस ने पूर्व मामलों में उचित कार्रवाई नहीं की, जिसके कारण वह इस अपराध को अंजाम देने में सक्षम हो पाया।” आयोग ने राज्य के डीजीपी से पीड़िता को मुफ्त स्वास्थ्य देखभाल और सुरक्षा प्रदान करने की मांग की है।

इसके साथ ही, एनसीडब्ल्यू ने तमिलनाडु पुलिस से यह भी कहा कि एफआईआर में बीएनएस, 2023 की धारा 71 को जोड़ा जाए, ताकि आरोपी को सख्त सजा मिल सके। आयोग ने यह भी निर्देश दिया कि पीड़िता की पहचान सार्वजनिक रूप से उजागर करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

विरोध प्रदर्शन: AIADMK ने सरकार पर हमला बोला

इस मामले को लेकर तमिलनाडु की प्रमुख विपक्षी पार्टी, अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया है। AIADMK ने द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कानून व्यवस्था के बिगड़ने का आरोप लगाया। पार्टी ने कहा कि अगर समय रहते कार्रवाई की जाती, तो इस तरह की घटना से बचा जा सकता था।

विपक्षी पार्टी ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री मुथुवेल करुणानिधि (एमके स्टालिन) की सरकार ने राज्य में अपराधों की बढ़ती संख्या को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं। AIADMK नेताओं का आरोप है कि यह घटना राज्य में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों का एक और उदाहरण है।

तमिलनाडु में कानून व्यवस्था का बिगड़ता हुआ हालात

यह मामला केवल एक अपराध की कहानी नहीं है, बल्कि तमिलनाडु में कानून और व्यवस्था की स्थिति को लेकर भी गंभीर सवाल खड़ा करता है। राज्य में बढ़ते अपराधों और महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा ने तमिलनाडु सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि पुलिस और प्रशासन की लापरवाही के कारण अपराधी अपने कृत्यों को अंजाम देने में सफल हो रहे हैं, जिससे लोगों में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है।

आंकड़ों के मुताबिक, तमिलनाडु में पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में लगातार वृद्धि हुई है। हालांकि राज्य सरकार ने अपराधों पर काबू पाने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन धरातल पर इन प्रयासों का असर नजर नहीं आ रहा है।

पीड़िताओं के लिए सुरक्षा और सहायता का बढ़ता दबाव

इस मामले के बाद, राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराधों को लेकर कई महिला अधिकार संगठनों ने सरकार से और कड़ी कार्रवाई की मांग की है। इन संगठनों का कहना है कि राज्य सरकार को महिलाओं के लिए सुरक्षा के कड़े उपाय लागू करने चाहिए, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके। साथ ही, पीड़िताओं को मानसिक और शारीरिक रूप से समर्थन देने के लिए प्रभावी हेल्पलाइन और आश्रय गृह भी स्थापित किए जाएं।

आरोपी का मामला और कोर्ट की कार्रवाई

अब सवाल यह है कि इस आरोपी को क्या सजा मिलेगी? पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद उसे अदालत में पेश किया है। पुलिस ने आरोपी पर दुष्कर्म, धमकी और अन्य गंभीर आरोप लगाए हैं। अदालत में उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई है और उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। अब यह देखना होगा कि कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाती है और आरोपी को किस प्रकार की सजा मिलती है।

राजनीतिक बवाल और सरकार की नाकामी

तमिलनाडु में इस मामले ने राजनीति में भी हलचल मचा दी है। जहां विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर हमला बोला है, वहीं सरकार ने इसे एक सामान्य अपराध करार दिया है। इस राजनीतिक बवाल के बीच, सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या राज्य सरकार महिलाओं की सुरक्षा के मामले में और सख्त कदम उठाएगी या यह सिर्फ एक और तात्कालिक प्रतिक्रिया होगी, जो लंबे समय तक असरदार साबित नहीं होगी।

नारी सुरक्षा पर राष्ट्रीय ध्यान और जिम्मेदारी

यह घटना न केवल तमिलनाडु बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों की बढ़ती संख्या, उनके खिलाफ हिंसा और यौन शोषण की घटनाएं अब एक आम बात बन चुकी हैं। ऐसे में पूरे देश में महिला सुरक्षा के उपायों को सख्त बनाने की आवश्यकता है।

तमिलनाडु की इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि न केवल पुलिस बल्कि समाज के सभी वर्गों को मिलकर महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना होगा। साथ ही, सरकार को चाहिए कि वह महिलाओं के खिलाफ अपराधों की रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

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