तिहाड़ जेल में Arvind Kejriwal को नहीं दिया गया कूलर, कम हो रहा है केजरीवाल का वजन- Atishi Marlena
CM Arvind Kejriwal के धन शोधन मामले में अंतरिम जमानत की अवधि पूरी होने के बाद तिहाड़ जेल में आत्मसमर्पण करने के एक दिन बाद आम आदमी पार्टी के नेताओं ने सोमवार को आरोप लगाया कि जेल में उन्हें कूलर उपलब्ध नहीं कराया गया है और एक साजिश के तहत उनका वजन तीन बार मापा गया.
दिल्ली की मंत्री Atishi Marlena ने मीडिया से बात करते हुए दावा किया कि रविवार को तिहाड़ में मेडिकल जांच के दौरान केजरीवाल का वजन वजन मापने वाली तीन मशीन से मापा गया. उन्होंने यह भी दावा किया कि ऐसे समय में जब दिल्ली में तापमान 48 डिग्री से 50 डिग्री के बीच है, केजरीवाल को ऐसी कोठरी में रखा गया है
जहां कूलर तक की व्यवस्था नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘तिहाड़ में बंद कुख्यात अपराधियों को भी कूलर मुहैया कराए जाते हैं, जबकि लोकप्रिय मुख्यमंत्री केजरीवाल को कूलर नहीं दिया गया है. मैं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उपराज्यपाल से पूछना चाहती हूं कि वे कितना नीचे गिरेंगे.”
कल केजरीवाल जी द्वारा सरेंडर करने के बाद तिहाड़ में उनका मेडिकल एग्जामिनेशन किया गया, तो उनका वज़न मात्र 61 kg निकला। इससे भाजपा की तिहाड़ प्रशासन डर गई कि, अगर कोर्ट को पता चल गया कि केजरीवाल जी का वज़न इतना गिर गया है, तो वो नाराज़ होगी।
तो तिहाड प्रशासन एक नया weighing…
— Atishi (@AtishiAAP) June 3, 2024
आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं ने मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal की तिहाड़ जेल में स्थिति को लेकर कई आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि केजरीवाल को जेल में कूलर उपलब्ध नहीं कराया गया है, जिससे उन्हें गंभीर असुविधा हो रही है। इसके अलावा, उन्होंने दावा किया कि उनके वजन को तीन बार मापा गया, जो साजिश की ओर संकेत करता है। जेल अधिकारियों ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि केजरीवाल का वजन सिर्फ एक मशीन से मापा गया है और उन्हें कूलर अदालत के आदेश के बाद ही उपलब्ध कराया जा सकता है।
यह मुद्दा न्याय और मानवाधिकारों के महत्व को उजागर करता है। जेल में कैदियों के अधिकारों का सम्मान करना एक सभ्य समाज की पहचान है। किसी भी कैदी, चाहे वह आम नागरिक हो या कोई प्रमुख व्यक्ति, को उचित सुविधाएं मिलनी चाहिए ताकि उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके। केजरीवाल के मामले में, अगर आरोप सही हैं, तो यह गंभीर चिंता का विषय है।
समाज पर प्रभाव: न्याय व्यवस्था पर विश्वास
ऐसे मामलों में समाज की नजरें न्याय व्यवस्था पर होती हैं। अगर न्याय व्यवस्था में किसी प्रकार का भेदभाव होता है या कैदियों के साथ अनुचित व्यवहार किया जाता है, तो इससे समाज का न्याय प्रणाली पर विश्वास कमजोर हो सकता है। न्याय प्रणाली का मूल उद्देश्य न्याय को सुनिश्चित करना है, न कि किसी को प्रताड़ित करना। इसलिए, यह आवश्यक है कि सभी कैदियों के साथ समान व्यवहार किया जाए और उनके अधिकारों का सम्मान किया जाए।
राजनीतिक प्रभाव: राजनीति और न्याय का संगम
इस मामले ने राजनीति और न्याय के संगम को भी उजागर किया है। राजनीतिक दल अक्सर न्याय प्रणाली का उपयोग अपने विरोधियों के खिलाफ करते हैं, जिससे न्याय प्रणाली की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं। केजरीवाल के मामले में भी, आप पार्टी ने भाजपा और उपराज्यपाल पर आरोप लगाए हैं कि वे केजरीवाल को प्रताड़ित करने के लिए साजिश रच रहे हैं। इस प्रकार के आरोपों से राजनीति और न्याय प्रणाली के बीच संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होती है, जो समाज के लिए हानिकारक है।
समाज में जागरूकता: नागरिक अधिकारों की रक्षा
इस मुद्दे ने समाज में नागरिक अधिकारों की रक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाई है। हर नागरिक का यह अधिकार है कि वह न्यायपूर्ण व्यवहार की अपेक्षा कर सके। चाहे वह जेल में हो या स्वतंत्रता में, नागरिक अधिकारों का संरक्षण आवश्यक है। यह मुद्दा नागरिक अधिकारों की रक्षा की आवश्यकता को रेखांकित करता है और समाज को इस दिशा में जागरूक करने का काम करता है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मामले में आरोप और खंडन दोनों ही पक्षों से आए हैं। यह आवश्यक है कि न्याय प्रणाली निष्पक्षता से जांच करे और सत्य को सामने लाए। समाज को न्याय की आवश्यकता होती है और न्याय प्रणाली का कार्य है कि वह इस आवश्यकता को पूरा करे। यह मुद्दा हमें याद दिलाता है कि न्याय प्रणाली की निष्पक्षता और मानवाधिकारों का सम्मान समाज के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं।

