Author: Rajlata Saraswat

दिल से

मंजिल (Manzil)..अभी दूर है सफर तय करना होगा

मंजिल (Manzil) अभी दूर है सफर तय करना होगा, बुदबुदाओ नही मुखर बनो ,दब्बू नही दबंग बनो! गुनगुनाओ नही खुल कर गाओ। शायद कंठ का पारखी इर्द गिर्द ही हो।

Read more...
दिल से

राजलता की कलम से……मैं कल फिर आऊंगा

अस्त से उदय होते देखना मुझे

देना नई विवेचना!

चढ़ते सूरज को सलाम

करते है लोग ,कहते है

जीवन है प्रारंभ से अंत

हो जाता हूं मै अंत से फिर प्रारंभ

नए अर्थ मैं देखना, मेरे इस रुप को

Read more...