राजलता की कलम से……मैं कल फिर आऊंगा
कल मैं फिर आऊंगा
चढ़ते सूरज को सलाम
करते है लोग , कहते है।
लेकिन मैं कहता हूं
देखो ढलते सूरज की गरिमा।
वो मुझे कर गया आश्वस्त कि
कल मैं फिर आऊंगा
आशा की लेकर किरणे।
तब तक , तुम अन्धकार में करना
उजाले की तलाश
बनकर तुम्हारा विश्वास
मैं कल फिर आऊंगा!
चढ़ते सूरज को सलाम
करते है लोग,कहते है।
उदय से अस्त् को देखते है
अस्त से उदय होते देखना मुझे
देना नई विवेचना!
चढ़ते सूरज को सलाम
करते है लोग ,कहते है
जीवन है प्रारंभ से अंत
हो जाता हूं मै अंत से फिर प्रारंभ
नए अर्थ मैं देखना, मेरे इस रुप को
लेना मुझ से प्रेरणा,देना मुझे नया अर्थ
चढ़ते सूरज को सलाम
करते है लोग, कहते है।
राजलता सारस्वत (राजस्थान)
श्रीमति राजलता सारस्वत आज की युवा पीढी को पारिवारिक समरसता और सामाजिक दायित्वों का भान कराने वाली कवयित्री और लेखिका हैं।
आज के परिदृश्य में अपने विचारो से नई दिशा देने का प्रयास करती राजलता कलम/लेखन की जादूगर भी कही जाती हैं। उनकी रचनाएं आलोचको द्वारा बहुत सराही गयी हैं।