दिल से

मंजिल (Manzil)..अभी दूर है सफर तय करना होगा

जिस मुकाम पे खड़े हो तुम वह तुम्हारी मंजिल नहीं
मंजिल (Manzil) अभी दूर है , सफर तय करना होगा

यह मुकाम तो है एक भटके हुए
राही को मिली वृक्ष की ठंडी छांव।

जैसे प्यासे को शीतल जल सी राहत
तरोताजा होकर ,सफर जारी रखना होगा।।

मंजिल अभी दूर है सफर तय करना होगा
सफर कष्टकर सही दुष्कर नहीं

मुश्किलें तो है ,असम्भव कुछ भी नही।
खुद में आस विश्वास जगाओ

अपने सपने साकार करने के लिए।।
मंजिल अभी दूर है सफर तय करना होगा

कदम बढ़ाओ राह मिलेगी
चलते चलो मंजिल मिलेगी।

अपने उज्जवल भविष्य के लिए
अपनी पहचान स्वयं बनो।।

मंजिल अभी दूर है सफर तय करना होगा
बुदबुदाओ नही मुखर बनो ,दब्बू नही दबंग बनो

गुनगुनाओ नही खुल कर गाओ।
शायद कंठ का पारखी इर्द गिर्द ही हो।।

मंजिल अभी दूर है सफर तय करना होगा
कदम बढ़े तो सहारे भी मिलेंगे

मार्गदर्शक भी मिलते जायेंगे।
कदम बढ़ाओ हौसला बनाए रखो

सफलता बस …अगले पड़ाव पर ही है।।

….राजलता सारस्वत ( बीकानेर, राजस्थान)

राजलता की कलम से……मैं कल फिर आऊंगा

Rajlata Saraswat

श्रीमति राजलता सारस्वत ( बीकानेर, राजस्थान) आज की युवा पीढी को पारिवारिक समरसता और सामाजिक दायित्वों का भान कराने वाली कवयित्री और लेखिका हैं। आज के परिदृश्य में अपने विचारो से नई दिशा देने का प्रयास करती राजलता कलम/लेखन की जादूगर भी कही जाती हैं। उनकी रचनाएं आलोचको द्वारा बहुत सराही गयी हैं।

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