Bangladesh का भारत विरोधी रुख और पाकिस्तान से गलबहियाँ: क्या है ढाका की मंशा? जानिए पूरा विवाद!
Bangladesh की राजनीति में एक नया मोड़ देखने को मिल रहा है, जहां ढाका भारत के प्रति अपने तेवर तेज करता जा रहा है, वहीं पाकिस्तान के साथ उसकी गलबहियां बढ़ती जा रही हैं। यह स्थिति भारत के लिए चिंता का विषय बन गई है, लेकिन भारत सरकार ने अभी तक कोई कड़ी प्रतिक्रिया देने से परहेज किया है। क्या बांग्लादेश भारत को नाराज करने की कीमत चुकाने को तैयार है? या फिर यह सब एक बड़े राजनीतिक खेल का हिस्सा है?
भारत के खिलाफ बांग्लादेश की चालें: कारोबारी युद्ध की शुरुआत?
बांग्लादेश के नेतृत्व ने हाल ही में भारत के खिलाफ कई ऐसे कदम उठाए हैं, जिनसे द्विपक्षीय संबंधों में तनाव बढ़ा है। सूत्रों के अनुसार, बांग्लादेश ने भारत से होने वाले यार्न (धागा) के आयात पर रोक लगा दी है। इसके अलावा, भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित तीन प्रमुख जमीनी बंदरगाहों को भी अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। ये फैसले ऐसे समय में आए हैं, जब भारत ने बांग्लादेश को दी जाने वाली ट्रांस-शिपमेंट सुविधा वापस ले ली है।
हालांकि, भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह कदम बंदरगाहों पर भीड़ कम करने के लिए उठाया गया है, न कि बांग्लादेश को निशाना बनाने के लिए। लेकिन ढाका की तरफ से इसे एक प्रतिकूल कदम माना जा रहा है। क्या यह दोनों देशों के बीच एक छिपे हुए ट्रेड वार की शुरुआत है?
पाकिस्तान के साथ बढ़ती नजदीकी: क्या बांग्लादेश भारत को सबक सिखाना चाहता है?
जहां एक ओर बांग्लादेश भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को सीमित कर रहा है, वहीं दूसरी ओर उसने पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों को नया जीवन देने की कोशिश शुरू कर दी है। फरवरी में, बांग्लादेश ने पाकिस्तान से 50,000 टन चावल खरीदने का समझौता किया, जिसे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत माना जा रहा है।
इसके अलावा, पाकिस्तान के उच्चस्तरीय राजनयिकों की ढाका यात्राओं ने भी इस संबंध को और मजबूत किया है। पाकिस्तान की विदेश सचिव आयशा बलोच का ढाका दौरा और विदेश मंत्री इसहाक डार की आगामी यात्रा इस बात का संकेत है कि दोनों देश एक-दूसरे के साथ मजबूत साझेदारी बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
भारत की चुप्पी: क्या यह एक रणनीतिक धैर्य है?
बांग्लादेश की इन हरकतों के बावजूद भारत ने अभी तक कोई बड़ी प्रतिक्रिया नहीं दी है। सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार ने फिलहाल “जैसे को तैसा” वाली नीति अपनाने से इनकार किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में बैंकॉक में बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख मोहम्मद यूनुस से मुलाकात की थी, जहां उन्होंने भारत विरोधी बयानबाजी से बचने की सलाह दी थी।
लेकिन सवाल यह है कि क्या भारत की यह चुप्पी स्थायी है? या फिर दिल्ली अपने अगले कदम की रणनीति तैयार कर रही है? कूटनीतिक जानकारों का मानना है कि भारत बांग्लादेश को आर्थिक और राजनीतिक रूप से अलग-थलग करने की कोशिश कर सकता है, अगर ढाका ने अपनी रणनीति नहीं बदली।
क्या बांग्लादेश अपनी अर्थव्यवस्था को जोखिम में डाल रहा है?
भारत, बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, और अगर द्विपक्षीय संबंध और खराब हुए, तो इसका सीधा असर बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। भारत से होने वाले निर्यात में कमी और पाकिस्तान पर निर्भरता बढ़ने से ढाका को भारी नुकसान हो सकता है।
क्या बांग्लादेश की यह रणनीति उसके लिए घातक साबित होगी? या फिर वह भारत को दबाव में लाने में सफल होगा? आने वाले समय में इन सवालों के जवाब मिलेंगे, लेकिन इतना तो तय है कि दक्षिण एशिया की राजनीति में एक नया उथल-पुथल शुरू हो चुका है।
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