Muzaffarnagar-लक्ष्मीनगर नामकरण पर बवाल! हिन्दू युवा वाहिनी का ज़ोरदार प्रदर्शन, मुक़दमे की वापसी की माँग ने पकड़ा तू
मुजफ्फरनगर। Muzaffarnagar में एक बार फिर राजनीति और सामाजिक संगठनों की गतिविधियाँ चर्चा में हैं। इस बार मुद्दा है – शहर के नाम को “लक्ष्मीनगर” में परिवर्तित करने की माँग और इसके चलते दर्ज हुए मुकदमे। इस पूरे प्रकरण ने ज़िला प्रशासन और कानून-व्यवस्था को नई चुनौती दे दी है।
क्या है पूरा मामला?
बीते दिनों हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने मुजफ्फरनगर का नाम बदलकर लक्ष्मीनगर करने की माँग को लेकर शहर के कई प्रमुख स्थानों पर बैनर लगा दिए। यहाँ तक कि एक बैनर सीधे मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन के बाहर टांग दिया गया, जिसमें शहर का नया नाम “लक्ष्मीनगर” दर्शाया गया था। इस कदम से जहाँ कुछ लोगों ने इसे सांस्कृतिक जागरूकता की पहल माना, वहीं दूसरी ओर इसे प्रशासन के नियमों और समाजिक सौहार्द के खिलाफ माना गया।
पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा, भड़के कार्यकर्ता
बैनर लगाने के इस प्रकरण पर पुलिस ने हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। कार्यकर्ताओं पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, अवैध प्रचार, और अशांति फैलाने की आशंका जैसे आरोप लगे हैं। इसी के विरोध में हिन्दू युवा वाहिनी के पदाधिकारियों का प्रतिनिधिमंडल क्षेत्रीय संगठन मंत्री कश्यप प्रह्लाद पाहुजा (पश्चिम उत्तर प्रदेश) के नेतृत्व में जिलाधिकारी उमेश मिश्रा से मिलने पहुँचा।
जिला अधिकारी को सौंपा गया ज्ञापन
कचहरी परिसर स्थित जिलाधिकारी कार्यालय में पहुँचकर कार्यकर्ताओं ने एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा, जिसमें यह स्पष्ट मांग की गई कि—
“हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमा वापस लिया जाए, अन्यथा संगठन आंदोलन करने के लिए विवश होगा।”
ज्ञापन में यह भी कहा गया कि यह अभियान किसी राजनीतिक या सांप्रदायिक उद्देश्यों के तहत नहीं था, बल्कि यह एक सांस्कृतिक जागरूकता अभियान है, जिसका उद्देश्य हिन्दू पहचान को सुदृढ़ करना है।
बढ़ रही है गतिविधियाँ, हो सकता है आंदोलन
सूत्रों की मानें तो यदि मुकदमा वापस नहीं लिया गया तो हिन्दू युवा वाहिनी सड़क पर उतरकर आंदोलन करेगी। संगठन के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे को अब राज्य स्तर पर उठाने की योजना बनाई है। वहीं कश्यप प्रह्लाद पाहुजा ने साफ़ शब्दों में कहा:
“हमने शांतिपूर्वक बैनर लगाकर अपनी बात रखी थी। यदि हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम लोकतांत्रिक तरीके से विरोध दर्ज कराएँगे और यह आंदोलन केवल मुजफ्फरनगर तक सीमित नहीं रहेगा।”
क्या है ‘लक्ष्मीनगर’ नाम की माँग के पीछे की सोच?
हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता मुजफ्फरनगर को “लक्ष्मीनगर” नाम से पुकारना चाहते हैं। इसके पीछे उनका तर्क है कि—
“मुजफ्फरनगर” नाम मुग़ल शासकों की विरासत है।
नया नाम हिंदू सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक होगा।
“लक्ष्मी” समृद्धि और वैभव की देवी हैं, इसलिए यह नाम आर्थिक और सांस्कृतिक विकास का प्रतीक भी होगा।
हालांकि इस नाम परिवर्तन की कोई सरकारी प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है, लेकिन संगठन इसे स्थानीय जनभावना से जोड़कर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को ध्यानपूर्वक सुना और आश्वासन दिया कि वे मामले की समीक्षा करेंगे। प्रशासन का कहना है कि कानून व्यवस्था बनाए रखना सर्वोपरि है और किसी भी संगठन की गतिविधियाँ यदि समाज में अशांति फैलाने वाली होंगी, तो उस पर कार्यवाही की जाएगी।
समाज में बंटा हुआ है मत
इस पूरे घटनाक्रम पर आम जनता के बीच भी मत बंटा हुआ है। कुछ लोग हिन्दू युवा वाहिनी की पहल को सराहनीय मानते हैं और शहर का नाम बदलने को गौरव की बात मानते हैं। वहीं दूसरी ओर, बहुत से लोग इसे समाज को बाँटने और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश बता रहे हैं।
शहर के एक स्थानीय नागरिक रफीक अहमद का कहना है—
“शहर का नाम बदलने से कोई फ़ायदा नहीं होगा। ज़रूरी है कि हम शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार जैसे मुद्दों पर ध्यान दें।”
राजनीति भी हुई सक्रिय
इस घटना ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। कुछ स्थानीय नेता खुलकर हिन्दू युवा वाहिनी के समर्थन में आ गए हैं, जबकि विपक्षी दल इसे ध्यान भटकाने का हथकंडा बता रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी के एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा—
“यह मांग जनता की भावनाओं से जुड़ी है। प्रशासन को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।”
वहीं, समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने इसे एक राजनीतिक स्टंट करार दिया और शहर की शांति भंग करने की कोशिश बताया।
क्या आगे और बढ़ेगा विवाद?
इस तरह के मुद्दे सामाजिक ताने-बाने को कमजोर भी कर सकते हैं और राजनीतिक समीकरणों को बदल भी सकते हैं। यदि प्रशासन समय रहते इस मुद्दे को संवेदनशीलता से नहीं सुलझाता, तो मुजफ्फरनगर एक बार फिर सुर्खियों में आ सकता है—इस बार नामकरण विवाद को लेकर।
हिन्दू युवा वाहिनी की चेतावनी के बाद अब ज़िला प्रशासन की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। अब देखना होगा कि मामला शांतिपूर्ण तरीके से सुलझता है या आंदोलन का रूप ले लेता है।
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