Bareilly: रोडवेज बस में खरगोश के दो टिकट काटने वाले परिचालक की जांच शुरू
Bareilly डिपो की रोडवेज बस में खरगोश के दो टिकट काटने वाले परिचालक की जांच शुरू हो गई है। उसने शनिवार को बरेली से बदायूं आते समय खरगोश के टिकट काट दिए थे। इसमें पशु मित्र विकेंद्र शर्मा की शिकायत पर परिचालक के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
शहर कोतवाली क्षेत्र के पारस अग्रवाल शनिवार को बरेली के कुतुबखाना से खरगोश खरीदकर ला रहे थे। वह बदायूं आने के लिए बरेली डिपो की बस में बैठे थे। उन्होंने खरगोश के बच्चे का पिंजरा गोद में रख लिया था।
इसके बावजूद परिचालक ने खरगोश के 75-75 रुपये के दो टिकट काट दिए। तीसरा टिकट 75 रुपये का पारस अग्रवाल का काटा था।बस में कई और यात्री बैठे थे। कई यात्रियों से रुपये लेकर भी टिकट नहीं दिए गए थे। एक यात्री से उसके सामान के 450 रुपये ले लिए गए, पर टिकट उसे भी नहीं दिया गया था।
बरेली डिपो की रोडवेज बस में हाल ही में घटी घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना में परिचालक ने एक खरगोश के लिए दो टिकट काट दिए, जो कि पूर्णत: असंवेदनशील और भ्रष्टाचार का उदाहरण है। इस तरह की घटनाएं न केवल समाज में असंतोष और नाराजगी पैदा करती हैं, बल्कि हमारी व्यवस्था और प्रशासनिक ईमानदारी पर भी सवाल उठाती हैं।
भ्रष्टाचार और उसका समाज पर प्रभाव
रोडवेज बसों में परिचालकों द्वारा भ्रष्टाचार की घटनाएं आम होती जा रही हैं। यात्रियों से अवैध रूप से पैसे वसूलना और टिकट नहीं देना, इस तरह के कृत्य समाज में असंतोष और अविश्वास फैलाते हैं। भ्रष्टाचार के कारण लोग सरकारी सेवाओं पर भरोसा नहीं कर पाते और इसका दुष्प्रभाव पूरे समाज पर पड़ता है।
असहिष्णुता और उसके परिणाम
इस घटना में खरगोश के लिए टिकट काटना परिचालक की असहिष्णुता को भी दर्शाता है। अगर परिचालक ने थोड़ी समझदारी दिखाई होती तो यह घटना घटित नहीं होती। असहिष्णुता और अज्ञानता के कारण ऐसी घटनाएं होती हैं, जो समाज में अनुशासनहीनता और नैतिक पतन का कारण बनती हैं।
सुझाव और समाधान
- सख्त निगरानी और नियमों का पालन: रोडवेज विभाग को अपने कर्मचारियों पर सख्त निगरानी रखनी चाहिए और नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना चाहिए। भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि अन्य कर्मचारी ऐसा करने से पहले सोचें।
- यात्रियों की जागरूकता: यात्रियों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और अवैध वसूली के मामलों में आवाज उठानी चाहिए। इसके लिए हेल्पलाइन नंबर और ऑनलाइन शिकायत पोर्टल का प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए।
- नैतिक शिक्षा: कर्मचारियों को नैतिक शिक्षा दी जानी चाहिए ताकि वे अपने कर्तव्यों को समझें और ईमानदारी से काम करें। इसके लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं।
नैतिकता और सामाजिक प्रभाव
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि नैतिकता का पतन हमारे समाज में कितना गहरा हो चुका है। जब तक हम नैतिकता और ईमानदारी को अपने जीवन का हिस्सा नहीं बनाएंगे, तब तक इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाना मुश्किल होगा।
इस तरह की घटनाएं समाज में असंतोष, असहिष्णुता और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती हैं। इसलिए हमें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और ऐसी घटनाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे।
बरेली डिपो की घटना ने हमें एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं। हमें भ्रष्टाचार, असहिष्णुता और नैतिक पतन के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना होगा और एक स्वस्थ और ईमानदार समाज की स्थापना करनी होगी। केवल तभी हम एक बेहतर भविष्य की कल्पना कर सकते हैं।