Muzaffarnagar में बीएसएनएल रिटायर्ड कर्मचारियों का बड़ा प्रदर्शन, पेंशन रिवीजन की उठाई मांग
मुजफ्फरनगर।(Muzaffarnagar) शहर में आज एक बड़ा आंदोलन देखने को मिला, जब बीएसएनएल के रिटायर्ड कर्मचारियों ने अपनी पेंशन रिवीजन की मांग को लेकर मुजफ्फरनगर के नई मण्डी पटेलनगर स्थित बीएसएनएल मुख्य कार्यालय पर एकत्रित होकर जोरदार धरना-प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में बीएसएनएल के पूर्व कर्मचारियों ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी पेंशन रिवीजन की मांग पर सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, और न ही उनके द्वारा 2017 से की जा रही इस मांग पर ध्यान दिया गया है।
आंदोलन का कारण: पेंशन रिवीजन की लंबित मांग
बीएसएनएल के रिटायर्ड कर्मचारियों की एक बड़ी संख्या ने आज सुबह करीब साढ़े दस बजे से धरना शुरू किया। इन कर्मचारियों ने दावा किया कि वर्ष 2017 से वे लगातार पेंशन रिवीजन की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने उनकी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि उनकी समस्याओं का समाधान शीघ्र किया जाना चाहिए, क्योंकि पेंशन रिवीजन के बिना वे अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में भी कठिनाई महसूस कर रहे हैं।
धरने में शामिल हुए कर्मचारियों ने सरकार से कई अन्य मांगों को भी उठाया, जिनमें 1 जनवरी 2017 से पेंशन रिवीजन की घोषणा, वेतन रिवीजन की प्रक्रिया शुरू करने और 4जी व 5जी सेवा की शीघ्र शुरुआत की मांग की गई। साथ ही, कॉन्ट्रैक्ट और कैजुअल लेबर की समस्याओं का समाधान करने की भी अपील की गई।
प्रदर्शन में शामिल हुए प्रमुख नेता और सदस्य
प्रदर्शन में ऑल इंडिया बीएसएनएल-डॉट पेंशनर्स एसोसिएशन के सदस्य और कार्यकर्ता भी शामिल थे। इस अवसर पर संगठन के कई प्रमुख पदाधिकारी जैसे इसराइल, एन.पी. निगम, जर्नादन शर्मा, आर.यू. सिंह, ओमकार शर्मा, रामशरण, इन्द्रपाल सिंह, रामवीर सिंह, जय किशन शर्मा, मंजू दत्त शर्मा, घनश्याम सैनी, शिवकुमार त्यागी, और आर.पी. शर्मा आदि ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इन पदाधिकारियों ने अपने संगठन के सदस्यों के साथ मिलकर इस आंदोलन को सफलता दिलाने के लिए अपना पूरा समर्थन दिया।
धरने की अध्यक्षता आर.यू. सिंह, जो बीएसएनएल के जिलाध्यक्ष हैं, ने की। जबकि संचालन ओंकार शर्मा ने किया। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार उनकी पेंशन रिवीजन की मांगों पर ध्यान नहीं देती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
आंदोलन का उद्देश्य और मुख्य मांगें
बीएसएनएल के रिटायर्ड कर्मचारियों की मुख्य मांग यह है कि उनका पेंशन रिवीजन जनवरी 2017 से लागू किया जाए। इसके अलावा, वे चाहते हैं कि बीएसएनएल के कर्मचारियों की सेवा शर्तों में सुधार किया जाए और 4जी तथा 5जी सेवाओं को शीघ्र शुरू किया जाए, जिससे कंपनी की वित्तीय स्थिति में सुधार हो सके और कर्मचारियों को उचित लाभ मिल सके। इसके अलावा, कांट्रैक्ट और कैजुअल श्रमिकों के मामलों को हल करने की भी मांग की जा रही है।
आंदोलनकारियों ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा पेंशन रिवीजन की लंबी देरी से बीएसएनएल के रिटायर्ड कर्मचारियों की जीवन स्तर पर नकारात्मक असर पड़ा है। वे आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और उनके परिवारों को भी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
समर्थन में आए अन्य संगठनों के लोग
प्रदर्शन में बीएसएनएल कर्मचारियों के अलावा, अन्य संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी समर्थन दिया। इस आंदोलन को बीएसएनएल इम्पलाइज यूनियन और ऑल इंडिया बीएसएनएल-डॉट पेंशनर्स एसोसिएशन की तरफ से आयोजित किया गया था। इन संगठनों ने जोर देकर कहा कि बीएसएनएल कर्मचारियों की पेंशन रिवीजन का मुद्दा केवल एक आर्थिक मसला नहीं, बल्कि यह कर्मचारियों के सम्मान और अधिकारों से जुड़ा हुआ है।
सार्वजनिक प्रतिक्रिया और बीएसएनएल के कर्मचारियों का आक्रोश
इस धरने-प्रदर्शन को लेकर मुजफ्फरनगर शहर में भारी चर्चा हो रही है। कई स्थानीय नागरिकों ने इस आंदोलन के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त की है, जबकि कुछ का मानना है कि बीएसएनएल को 4जी और 5जी सेवाओं की शुरुआत में देरी के कारण कंपनी की स्थिति कमजोर हो रही है, जिससे कर्मचारियों की समस्याएं बढ़ी हैं।
इसके बावजूद, बीएसएनएल के कर्मचारियों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है, और उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर शीघ्र कोई कार्रवाई नहीं की जाती, तो वे और भी बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।
सरकार की ओर से क्या प्रतिक्रिया आ सकती है?
अब सवाल यह है कि सरकार इस मामले में कब तक कोई ठोस कदम उठाएगी। क्या बीएसएनएल के रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन रिवीजन की मांगों को गंभीरता से लिया जाएगा, या फिर यह आंदोलन और बढ़ेगा? फिलहाल तो सरकार की ओर से इस प्रदर्शन पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि यदि यह आंदोलन जारी रहता है तो सरकार को इस पर विचार करना ही पड़ेगा।
आखिरकार क्या होगा?
बीएसएनएल कर्मचारियों का यह आंदोलन अब एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। अगर सरकार ने इस आंदोलन के प्रति ध्यान नहीं दिया, तो यह मामला और भी तूल पकड़ सकता है। रिटायर्ड कर्मचारियों की यह पीड़ा केवल उनकी नहीं, बल्कि देशभर में बीएसएनएल से जुड़े सभी कर्मचारियों की समस्याओं की झलक है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में सरकार इस मुद्दे पर किस तरह प्रतिक्रिया देती है और कर्मचारियों की पेंशन रिवीजन की प्रक्रिया में कितनी तेजी आती है।
यह आंदोलन सरकार और बीएसएनएल के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि पेंशन रिवीजन जैसे अहम मुद्दों को जल्द हल किया जाए, ताकि कर्मचारियों का विश्वास बना रहे और बीएसएनएल अपने पुराने कर्मचारियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा सके।