फिल्मी चक्कर

Kangana Ranaut की फिल्म ‘इमरजेंसी’ को सेंसर बोर्ड ने दी हरी झंडी: राजनीतिक विवाद

Kangana Ranaut की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘इमरजेंसी’ को आखिरकार सेंसर बोर्ड से हरी झंडी मिल गई है। इस फिल्म को लेकर पहले सिख समुदाय द्वारा उठाए गए विरोध और विवाद के चलते इसकी रिलीज कई बार टल चुकी थी। हाल ही में, सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) ने फिल्म को ‘UA’ सर्टिफिकेट दे दिया है, लेकिन इसके साथ ही फिल्म में 3 कट और 10 बदलाव करने की शर्त भी रखी है।

विवाद और सेंसर बोर्ड की कार्रवाई

फिल्म ‘इमरजेंसी’ की कहानी भारतीय राजनीति के एक संवेदनशील दौर पर आधारित है, विशेषकर 1975 के आपातकालीन दौर पर। इस दौरान, फिल्म के कुछ दृश्यों और डायलॉग्स ने सिख समुदाय के बीच असंतोष पैदा कर दिया था। सिख समुदाय ने आरोप लगाया था कि फिल्म में कुछ ऐसे दृश्य और संवाद शामिल हैं जो उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं। इस विरोध के बाद मामला उच्च न्यायालय पहुंच गया था, जहां फिल्म की रिलीज पर रोक लगा दी गई थी।

सेंसर बोर्ड ने अब फिल्म को रिलीज करने की अनुमति दी है, लेकिन इसके साथ कुछ महत्वपूर्ण शर्तें भी लगाई हैं। बोर्ड ने फिल्म के कई दृश्यों और संवादों पर आपत्ति जताई है। इनमें विशेष रूप से पाकिस्तान के सैनिकों को बांग्लादेशी शरणार्थियों के बच्चों और महिलाओं के सिर काटते हुए दिखाने वाले सीन शामिल हैं। सेंसर बोर्ड ने फिल्म के निर्माताओं से इस सीन को बदलने या पूरी तरह से हटाने की मांग की है।

Kangana Ranaut और ‘इमरजेंसी’ के राजनीतिक संकेत

कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ राजनीति और इतिहास के संवेदनशील मुद्दों को छूती है। कंगना, जो फिल्म की निर्माता और मुख्य अभिनेत्री भी हैं, ने इस फिल्म के माध्यम से भारतीय राजनीति के एक विवादास्पद अध्याय को उजागर करने का प्रयास किया है। फिल्म में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आपातकालीन दौर के निर्णयों और घटनाओं को दर्शाया गया है। कंगना की इस फिल्म ने राजनीति में भले ही चर्चा पैदा की हो, लेकिन इसके साथ ही यह फिल्म एक सशक्त विवाद भी बन गई है।

सेंसर बोर्ड द्वारा उठाए गए मुद्दे

सेंसर बोर्ड ने फिल्म के कुछ संवादों और दृश्यों को लेकर कई बारीकियाँ दिखाई हैं। बोर्ड ने अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड मिल्हौस निक्सन की भारतीय महिलाओं के प्रति की गई अपमानजनक टिप्पणी और ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के भारतीयों के बारे में की गई टिप्पणियों के स्रोत की मांग की है। इसके अलावा, फिल्म में शामिल रिसर्च और डेटा के स्रोतों को लेकर भी स्पष्टीकरण मांगा गया है।

फिल्म के एक संवाद पर भी सेंसर बोर्ड ने आपत्ति जताई है, जिसमें किसी विशेष सरनेम का उल्लेख किया गया है। बोर्ड ने इस संवाद में से उक्त सरनेम को हटाने का निर्देश दिया है।

फिल्म के रिलीज की संभावनाएँ

सेंसर बोर्ड की शर्तों के बाद, फिल्म की रिलीज की दिशा स्पष्ट हो गई है, लेकिन निर्माताओं को अब इन निर्देशों के अनुसार आवश्यक बदलाव करने होंगे। ‘इमरजेंसी’ की रिलीज की तारीख अभी तक निश्चित नहीं की गई है, लेकिन माना जा रहा है कि निर्माताओं द्वारा बदलाव के बाद जल्द ही यह फिल्म सिनेमाघरों में दस्तक दे सकती है।

दर्शकों की प्रतिक्रिया और भविष्य

Kangana Ranaut की फिल्मों को लेकर हमेशा ही विभिन्न प्रतिक्रियाएँ रही हैं। ‘इमरजेंसी’ की रिलीज के बाद भी दर्शकों की प्रतिक्रियाएँ फिल्म की सामग्री और कंगना के अभिनय को लेकर मिश्रित हो सकती हैं। इस फिल्म के माध्यम से कंगना ने राजनीति और इतिहास के एक महत्वपूर्ण अध्याय को उजागर करने का प्रयास किया है, लेकिन सेंसर बोर्ड की आपत्तियाँ दर्शाती हैं कि फिल्म निर्माण और कहानी कहने में संवेदनशीलता का ध्यान रखना कितना आवश्यक होता है।

‘इमरजेंसी’ का मामला भारतीय फिल्म उद्योग और सेंसर बोर्ड के बीच चल रहे निरंतर संवाद और समझौते की कहानी को भी उजागर करता है। सेंसर बोर्ड की सख्ती और फिल्म निर्माताओं की रचनात्मक स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाए रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।

कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ को सेंसर बोर्ड से मिली हरी झंडी ने भारतीय सिनेमा और राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। फिल्म की रिलीज पर लगी शर्तें और सेंसर बोर्ड के निर्देश दर्शाते हैं कि भारतीय फिल्म उद्योग में संवेदनशील विषयों को लेकर सतर्कता और सावधानी की कितनी आवश्यकता होती है।

जैसे-जैसे फिल्म के रिलीज की तारीख नजदीक आएगी, दर्शकों और आलोचकों की प्रतिक्रियाएँ फिल्म की सफलता और विवाद को लेकर निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं। कंगना रनौत के समर्थक और विरोधी दोनों ही इस फिल्म को लेकर उत्सुकता और जिज्ञासा का प्रदर्शन कर रहे हैं।

सीबीएफसी ने मणिकर्णिका फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड को 10 बदलावों की लिस्ट भेजी है, जिनके अधिकतर ऐसे सीन्स हैं, जिन पर सिख समुदायों की तरफ से आपत्ति जताई गई है. बता दें कि फिल्म के एक दृश्य में पाकिस्तानी सैनिकों को बांग्लादेश शरणार्थियों में से बच्चों और महिलाओं के सिर को कट्टा हुआ दिखाया गया है. सेंसर बोर्ड ने इस सीन पर भी आपत्ति जताई है. बोर्ड की मांग है कि या तो मेकर्स फिल्म के इस सीन को बदल दे या फिर पूरी तरह से डिलीट कर दें.

कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी के एक डायलॉग पर भी सेंसर बोर्ड ने कैची चलाई है, जिसमें फिल्म के एक डायलॉग में इस्तेमाल किए गए सरनेम को हटाने के लिए कहा गया है. साथ ही फिल्म में दिखाए गए रिसर्च रिफ्रेंस और डेटा के लिए फैक्चुअल सोर्स के बारे में बताने की भी सलाह दी गई है. जिसमें बांग्लादेशी शरणार्थियों की जानकारी, अदालती फैसलों की डिटेल्स और ‘ऑपरेशन ब्लूस्टार’ के आर्काइवल फुटेज के इस्तेमाल किए जाने की इजाजत शामिल है.

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