बाल विवाह का अनुष्ठान करने वाले जायेगे सलाखों के पीछे
जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय ने बताया कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 के अन्तर्गत विवाह हेतु लडके की आयु 21 वर्ष एवं लडकी की आयु 18 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए। यदि लडके-लडकी की आयु इससे कम है तो वह बाल विवाह की श्रेणी में आयेगा तथा बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 के अन्तर्गत बाल विवाह करने वाले पुरूष व्यस्क के लिए एवं बाल विवाह का अनुष्ठान करने वाले व्यक्तियों के लिए 02 वर्ष के कठोर कारावास या 01 लाख रूपये जुर्माने या दोनो का प्राविधान है। उन्होने बताया कि ऐसी रूढिवादी परम्परा है कि अक्षय तृतीय (आखा तीज) के अवसर पर होते है। इस वर्ष अक्षय तृतीया की तिथि 07 मई को है। बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है जिसके शारीरिक एवं मानसिक रूप से गंभीर दुष्प्रभाव होते है।
जिलाधिकारी ने वैवाहिक आयोजन कराने वाले बैंकेट हाल /मैरिज हाल, टैण्ट व्यवसायी, बैण्ड बाजा, फोटो ग्राफर, प्रिटींग प्रेस, पुरोहित/मौलवी, कैटर्स आदि से कहा कि जिसका भी विवाह कराए उसकी आयु के बारे में स्पष्ट जानकारी कर लें अन्यथा की स्थिति में बाल विवाह के आयोजन में किसी तरह से सम्मिलित /सहयोग करने वाले भी दण्ड के भागी हो सकते है।
जिलाधिकारी ने बताया कि स्वयं सेवी संगठनों तथा सभ्यजनों बाल विवाह को हतोत्साहित करें तथा बाल विवाह की किसी भी घटना के सम्बन्ध में सूचना कार्यालय, जिला प्रोबेशन अधिकारी/जिला बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी, कलेक्टेªट मुजफ्फरनगर, 100 नम्बर (पुलिस हेल्पलाईन), 181 नम्बर (महिला हेल्पलाईन), अपने नजदीकी थाने/चैकी पर तत्काल देने का कष्ट करें ताकि बाल विवाह को तत्काल रोका जा सके।