13 लाख वर्गमील में फैले दक्षिण चीन सागर में चीन का कानूनन हक नहीं है- अमेरिका
अमेरिका ने कहा है कि दक्षिण चीन सागर में चीन अपनी चौकियों का इस्तेमाल धौंस जमाने और उस जल क्षेत्र में अपना कब्जा जमाने के लिए कर रहा है जिस पर उसका कानूनन हक नहीं है।
अमेरिका ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग से कहा कि वह समुद्री क्षेत्र में अपने इन निर्माणों का किसी अन्य देश को प्रभावित करने या हमला करने के लिए इस्तेमाल नहीं करने के अपने वादे का सम्मान करें।
बीजिंग 13 लाख वर्गमील में फैले लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर दावा जताता है। चीन क्षेत्र में उन कृत्रिम द्वीपों पर सैन्य ठिकानों का निर्माण कर रहा है जिन पर ब्रुनेई, मलेशिया, फिलिपीन, ताइवान और वियतनाम भी अपना दावा जताते हैं।
बीजिंग ने हाल के वर्षों में पड़ोसी राष्ट्रों द्वारा इलाके में मछली पकड़ने और खनिज उत्खनन जैसी गतिविधियों को अवरूद्ध किया है और कहा है कि संसाधन समृद्ध इस समुद्री क्षेत्र पर सैकड़ों वर्षों से उसका मालिकाना हक है।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मॉर्गन ऑर्टगस ने रविवार को कहा कि पांच साल पहले 25 सितंबर, 2015 को चीन के राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में वादा किया था कि चीन का द्वीपों का सैन्यीकरण करने का इरादा नहीं है और चीन की चौकियां ‘‘किसी को निशाना नहीं बनाएंगी या किसी देश को प्रभावित नहीं करेंगी।’’
5 yrs ago on Sept 25, General Secretary Xi pledged China would not militarize the Spratly Islands in the South China Sea. This was another false promise from Beijing. We continue to stand with our Southeast Asian allies and partners in the South China Sea. https://t.co/ZABXrwoGy4
— Morgan Ortagus (@statedeptspox) September 27, 2020
उन्होंने कहा कि लेकिन इसके बजाए चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) समर्थित चीन की सरकार ने इन विवादित चौकियों का अंधाधुंध तरीके से सैन्यीकरण करना शुरू कर दिया। यहां पोत भेदी क्रूज मिसाइलों की तैनाती की, लड़ाकू विमानों के लिए कई दर्जन हैंगर और रनवे बनाए।
ऑर्टगस ने कहा कि सीसीपी ने इन सैन्यीकृत चौकियों का इस्तेमाल धमकाने और उस जलक्षेत्र पर कब्जा जमाने के लिए किया जिन पर उसका कानूनन कोई अधिकार नहीं है।
उन्होंने कहा कि हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अनुरोध करते हैं कि वे इस खतरनाक और अस्वीकार्य व्यवहार के खिलाफ आवाज बुलंद करें और सीसीपी को यह साफ कर दें कि उसे जवाबदेह ठहराया जाएगा।
दक्षिण चीन सागर में चीन के प्रतिरोधी प्रयासों के खिलाफ अमेरिका दक्षिण-पूर्वी एशियाई सहयोगियों और साझेदारों के साथ खड़ा है। नौवहन की स्वतंत्रता की रक्षा का संकल्प लेते हुए हाल के महीनों में अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में अपनी नौसेना की मौजूदगी बढ़ा दी है।