पेगासस कांड:मोदी सरकार के कुछ मंत्री, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर आदि की जासूसी की पुष्टि
पेगासस स्पाइवेयर के जरिए कथित जासूसी का मामला सामने आने के बाद सभी संबंधित पक्ष के लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। इस बीच, ‘द वायर’ वेबसाइट के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन ने एक इंटरव्यू में एक पुराने वाकये को याद किया है। वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक जब फॉरेंसिक जांच में वरदराजन के फोन में पेगासस की पुष्टि हुई तो उनका ध्यान तुरंत अपने ‘संवेदनशील’ सोर्सेज की तरफ गया, जिसमें मोदी सरकार के एक मंत्री भी शामिल हैं।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और उनकी सरकार के शीर्ष सदस्यों द्वारा उपयोग किए जाने वाले फोन नंबर दुनिया भर की कई सरकारों को आपूर्ति किए गए पेगासस स्पाइवेयर के संभावित लक्ष्यों में से हैं, नंबरों की सूची लीक करने वाले एनजीओ ने कहा #France #PegasusSpyware pic.twitter.com/jjuhnFduxn
— News & Features Network (@mzn_news) July 21, 2021
बकौल वरदराजन, उनकी उस मंत्री के साथ मीटिंग होनी थी। पहले तो मंत्री ने ऐन मौके पर मीटिंग का स्थान बदल दिया। जब वरदराजन मुलाकात के लिए पहुंचे तो मंत्री ने अपना और उनका फोन बंद कर दिया और एक अलग कमरे में रखवा दिया। उस कमरे में तेज आवाज में म्यूजिक चला दिया गया। उस वक्त वरदराजन के दिमाग में आया था कि यह कितना वहमी आदमी है। हालांकि अब जब फॉरेंसिक टेस्ट में कथित जासूसी की पुष्टि हुई तब वरदराजन को सारे तार जोड़ने में देर नहीं लगी।
कथित जासूसी वाली लिस्ट में वरिष्ठ पत्रकार परॉन्जय गुहा ठाकुरता का भी नाम शामिल है। ठाकुरता ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक पोस्ट में लिखा कि मैं जब धीरूभाई अंबानी की विदेशी संपत्ति के मामले की जांच कर रहा था, उस वक्त पेगासस की लिस्ट में मेरा नंबर आया। उन्होंने कहा कि वे धीरूभाई अंबानी की विदेशों में बनी संपत्ति और उसके टैक्स से जुड़े मामले की छानबीन कर रहे थे। उसके बारे में और जानकारी के लिए मुकेश अंबानी को कई सवाल भी मेल किए थे, जिसका कोई जवाब नहीं आया था।
उधर, पत्रकार रोहिणी सिंह ने दावा किया है कि जिस वक्त वो जय शाह और निखिल मर्चेंट से जुड़ी स्टोरी पर काम कर रही थीं और पीयूष गोयल से जुड़ी एक स्टोरी के लिए रिसर्च कर रही थीं, उसी दौरान वे पेगासस के निशाने पर आई थीं।
भारत के जिन पत्रकारों की कथित तौर पर जासूसी की गई, उसमें झारखंड के स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह भी शामिल हैं। उनके अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘पेगासस की जासूसी रिपोर्ट में छोटे शहरों के हिन्दी पत्रकारों में से मेरा नाम आया है। मेरी जासूसी का कारण एक आदिवासी की फर्जी मुठभेड़ में की गयी हत्या पर मेरा सवाल उठाना था। इस जासूसी के कारण ही 4 जून से 6 दिसंबर 2019 तक मुझे जेल में रहना पड़ा था।’
दुनिया के कई मीडिया संस्थानों ने दावा किया है कि इसरायली फर्म एनएसओ के स्पाइवेयर पेगासस के जरिए दुनिया भर में अलग-अलग क्षेत्र के नामी-गिरामी लोगों की जासूसी की गई। इनमें भारत के तमाम लोग भी शामिल हैं।‘द वायर’ ने दावा किया है कि फॉरेंसिक जांच में पेगासस के जरिए 40 पत्रकारों समेत मोदी सरकार के कुछ मंत्री, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर आदि की जासूसी की पुष्टि हुई है। कथित तौर पर जिन पत्रकारों के फोन की जासूसी की गई, उसमें सिद्धार्थ वर्धराजन, एमके वेणु, रोहिणी सिंह, शिशिर गुप्ता, सुशांत सिंह जैसे पत्रकारों के नाम शामिल हैं।उधर, सरकार का कहना है कि भारत की छवि धूमिल करने के लिए जानबूझकर ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं।