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हसीना-खालिदा संग्राम: बांग्लादेश की सियासत में भूचाल, Sheikh Hasina भारत में, यूनुस ने मोर्चा संभाला

बांग्लादेश में इस वक्त राजनीति उबाल पर है। प्रधानमंत्री Sheikh Hasina के भारत में शरण लेने की खबरों ने हलचल मचा दी है। वहीं, अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने उनके खिलाफ मुकदमों का अंबार लगा दिया है। यूनुस का इरादा न केवल शेख हसीना को राजनीति से अलग करने का है, बल्कि उनकी पार्टी अवामी लीग पर चुनाव लड़ने का प्रतिबंध लगाने की भी साजिश कर रहे हैं।

इस स्थिति को और जटिल बना दिया है बांग्लादेश नेशनल पार्टी (बीएनपी) की प्रमुख खालिदा जिया ने। जहां एक तरफ खालिदा जिया और शेख हसीना एक-दूसरे की कट्टर विरोधी मानी जाती रही हैं, वहीं दूसरी तरफ इस बार खालिदा ने आवामी लीग के खिलाफ यूनुस के रुख का विरोध किया है।


Sheikh Hasina की मुश्किलें बढ़ीं

Sheikh Hasina पर मौजूदा समय में दर्जनों आपराधिक मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। इन मामलों में भ्रष्टाचार, देश की संपत्ति को विदेश में ले जाने और मानवाधिकार उल्लंघन जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। अगर वह वापस बांग्लादेश लौटती हैं, तो उनका पूरा जीवन अदालतों के चक्कर काटने में बीत सकता है।

यूनुस ने यहां तक कहा है कि आवामी लीग की चुनावी भागीदारी को खत्म करना लोकतंत्र के लिए जरूरी है। हालांकि, बीएनपी ने इस पर आपत्ति जताते हुए इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ बताया है।


खालिदा जिया ने बदला पॉलिटिकल गेम

बीएनपी की प्रमुख खालिदा जिया, जो शेख हसीना की सबसे बड़ी विरोधी मानी जाती हैं, इस बार यूनुस के कदमों का खुला विरोध कर रही हैं। उनका कहना है कि बांग्लादेश में राजनीति को समावेशी बनाया जाना चाहिए।

बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा, “अवामी लीग एक राजनीतिक पार्टी है, और यह जनता का अधिकार है कि वे तय करें कि पार्टी चुनाव लड़ेगी या नहीं। जिन नेताओं ने देश को लूटा है, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन राजनीति से उन्हें पूरी तरह अलग कर देना सही नहीं है।”


यूनुस पर बैकफुट पर आने का दबाव

खालिदा जिया की इस स्थिति ने मोहम्मद यूनुस को बैकफुट पर ला दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि खालिदा जिया ने यह कदम केवल अपनी पार्टी की छवि को मजबूत करने के लिए उठाया है। बीएनपी को आने वाले चुनावों में सबसे मजबूत पार्टी माना जा रहा है।

यूनुस ने इससे पहले बांग्लादेश की राजनीति में तटस्थ दिखने की कोशिश की, लेकिन अब उनके फैसले पर सवाल उठ रहे हैं।


खालिदा की नई शुरुआत

खालिदा जिया के इस कदम के अलावा, उनकी एक और बड़ी खबर सुर्खियों में है। वह फरवरी 2018 में जेल जाने के बाद पहली बार किसी आधिकारिक कार्यक्रम में शामिल होने जा रही हैं। सशस्त्र सेना दिवस के स्वागत समारोह में उनकी भागीदारी को एक नई राजनीतिक शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।


जनता क्या कह रही है?

बांग्लादेश की जनता इस मुद्दे पर बंटी हुई नजर आ रही है। एक ओर, यूनुस के भ्रष्टाचार के आरोपों का समर्थन करने वाले लोग हैं, तो दूसरी ओर, खालिदा जिया के लोकतंत्र की वकालत का समर्थन करने वाले।


राजनीति का नया अध्याय

बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है, जहां हर फैसला आने वाले दशकों की दिशा तय करेगा। शेख हसीना की भारत में मौजूदगी, यूनुस की रणनीति, और खालिदा जिया का यह नया रुख बांग्लादेश के राजनीतिक भविष्य के लिए बेहद अहम है।

क्या यूनुस अपनी रणनीति में सफल होंगे? क्या बीएनपी अपनी चुनावी पकड़ मजबूत रख पाएगी? और क्या शेख हसीना एक बार फिर अपनी खोई साख वापस ला पाएंगी? इन सवालों के जवाब आने वाले महीनों में बांग्लादेश की सियासत को नया आयाम देंगे।


(यह खबर केवल जानकारी के उद्देश्य से प्रकाशित की गई है। इसमें किसी भी प्रकार की तथ्यात्मक त्रुटि की जिम्मेदारी नहीं है।)

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