गाजा में युद्ध अपराध: इजरायली प्रधानमंत्री Benjamin Netanyahu पर ICC का वारंट, अभियोजक पर लगे गंभीर आरोप
इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) ने इजरायली प्रधानमंत्री Benjamin Netanyahu के खिलाफ गाजा में कथित युद्ध अपराधों के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इस कदम ने वैश्विक राजनीति और कूटनीति में हलचल मचा दी है। नेतन्याहू पर आरोप है कि उन्होंने गाजा पट्टी में अक्टूबर 2023 के हमलों के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध किए। इस दौरान हजारों आम नागरिकों की मौत और व्यापक विनाश हुआ। ICC ने नेतन्याहू के साथ-साथ इजरायल के पूर्व रक्षा मंत्री और कई हमास अधिकारियों के खिलाफ भी इसी तरह के आरोप लगाए हैं।
इस विवादास्पद वारंट ने Benjamin Netanyahu और अन्य नेताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वांछित घोषित कर दिया है। हालांकि, इजरायल और अमेरिका जैसे बड़े देशों द्वारा ICC की वैधता को मान्यता न दिए जाने के कारण इस वारंट का व्यावहारिक प्रभाव सीमित हो सकता है।
अभियोजक करीम खान पर गंभीर आरोप
इस मामले से जुड़े ICC के मुख्य अभियोजक करीम खान भी विवादों में घिर गए हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपनी एक महिला सहयोगी के साथ जबरन संबंध बनाने की कोशिश की। यह मामला और भी पेचीदा हो गया जब ब्रिटिश अखबार द गार्जियन ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि करीम खान ने कथित तौर पर अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए महिला पर बयान बदलने का दबाव डाला।
ब्रिटिश न्यायाधीश और ICC के एक वरिष्ठ अधिकारी ने महिला से मिलकर मामले की जांच की। इसके बाद ICC ने खान को निर्देश दिया कि वह महिला से संपर्क न करें। खान ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह सब उन्हें बदनाम करने की साजिश है। उनका कहना है कि यह प्रयास नेतन्याहू के खिलाफ वारंट जारी करने के कारण किया जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में उठे सवाल
यह वारंट गाजा पट्टी में हुए संघर्ष के बाद आया है, जहां इजरायल ने हमास के ठिकानों पर भारी हमले किए। इस संघर्ष में दोनों पक्षों ने भारी नुकसान झेला, और हजारों निर्दोष नागरिक भी मारे गए। ICC के इस कदम से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में विभाजन गहराता दिख रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने ICC के कदम की आलोचना की और इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया। वहीं, नेतन्याहू ने इस वारंट को “यहूदी विरोधी और अपमानजनक” करार दिया। उन्होंने कहा कि ICC हमास के आतंकी हमलों को नजरअंदाज कर केवल इजरायल को निशाना बना रहा है।
गाजा संघर्ष और मानवाधिकारों की लड़ाई
गाजा में अक्टूबर 2023 के संघर्ष की शुरुआत हमास द्वारा इजरायल पर हमला करने से हुई थी। इसके जवाब में, इजरायल ने बड़े पैमाने पर सैन्य कार्रवाई शुरू की। इस दौरान हमास के कई प्रमुख अधिकारी मारे गए, लेकिन आम नागरिकों को भी भारी कीमत चुकानी पड़ी। संयुक्त राष्ट्र ने इसे मानवीय संकट बताया है।
ICC का यह वारंट एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आया है जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय गाजा संकट के समाधान की कोशिश कर रहा है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह कदम संघर्ष के समाधान में मदद करता है या इसे और जटिल बनाता है।
ICC की भूमिका और आलोचना
इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट को न्याय का संरक्षक माना जाता है, लेकिन यह भी अक्सर विवादों के घेरे में रहता है। ICC पर यह आरोप लगता रहा है कि यह केवल छोटे और कमजोर देशों के खिलाफ ही कार्रवाई करता है। नेतन्याहू जैसे बड़े नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करना ICC की छवि बदल सकता है, लेकिन इसने कोर्ट को नए विवादों में भी डाल दिया है।
नेतन्याहू और इजरायल की प्रतिक्रिया
इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ICC के इस कदम को “राजनीतिक हमले” के रूप में देखा। उन्होंने जोर देकर कहा कि इजरायल ने हमास के खिलाफ केवल आत्मरक्षा में कदम उठाए हैं। इजरायल के अधिकारियों का कहना है कि ICC को उन आतंकवादी संगठनों पर ध्यान देना चाहिए जो निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाते हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और भविष्य की दिशा
ICC के इस निर्णय का वैश्विक राजनीति पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। नेतन्याहू पर लगे आरोप और करीम खान के विवादास्पद व्यवहार ने इस मामले को और जटिल बना दिया है। गाजा संकट, अंतरराष्ट्रीय न्याय, और मानवाधिकारों की लड़ाई के बीच यह मामला एक अहम मोड़ पर खड़ा है।
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर ICC के वारंट ने न केवल गाजा संघर्ष को एक नया मोड़ दिया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति और न्याय की प्रणाली को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है। करीम खान पर लगे आरोपों और नेतन्याहू के बचाव ने इस मामले को और पेचीदा बना दिया है। यह देखना होगा कि भविष्य में ICC इस मुद्दे को कैसे संभालता है और क्या यह निर्णय न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।