देश की पहली चालक रहित मेट्रो का शुभारंभ, पहली मेट्रो चली अटल जी के प्रयासों से: प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरी झंडी दिखाकर देश की पहली चालक रहित (ड्राइवर लेस) मेट्रो का शुभारंभ कर दिया है। यह ट्रेन दिल्ली मेट्रो की मजेंटा लाइन पर जनकपुरी वेस्ट-बॉटेनिकल गार्डन कॉरिडोर पर 37 किलोमीटर के दायरे में आज से दौड़ेगी।
हम ऐसे ब्रेकिंग सिस्टम का प्रयोग कर रहे हैं जिनमें ब्रेक लगाने पर 50% उर्जा वापस #ग्रिड में चली जाती है। आज #मेट्रो रेल में 130 मेगावाट सोलर पावर का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसे बढ़ाकर 600 मेगावाट तक ले जाने का इरादा है: @narendramodi pic.twitter.com/vsleJLLzh2
— News & Features Network-Regional News (@mzn_news) December 28, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सोमवार को इसे हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इसके साथ ही उन्होंने एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन पर नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) सेवा का भी शुभारंभ किया।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए याद किया कि उन्हें तीन साल पहले मजेंटा लाइन का उद्घाटन करने का मौका मिला और आज चालक रहित मेट्रो का उद्घाटन ये दिखाता है कि देश का विकास कितनी तेजी से हो रहा है।
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आज का ये आयोजन अर्बन डेवलपमेंट को फ्यूचर रेडी कर रहा है।भविष्य की जरूरतों के लिए खुद को और देश को तैयार करना हमारी प्राथमिकता है।
कुछ दशक पहले जब शहरीकरण का असर और शहरीकरण का भविष्य, दोनों ही बिल्कुल साफ था तो उस समय एक अलग ही रवैया देश ने देखा। भविष्य की जरुरतों को लेकर उतना ध्यान नहीं था, आधे-अधूरे मन से काम होता था, भ्रम की स्थिति बनी रहती थी।
इस सोच से अलग, आधुनिक सोच ये कहती है शहरीकरण को चुनौती ना मानकर एक अवसर की तरह इस्तेमाल किया जाए। एक ऐसा अवसर जिसमें हम देश में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर बना सकते हैं। एक ऐसा अवसर जिससे हम Ease of Living बढ़ा सकते हैं। सोच का ये अंतर शहरीकरण के हर आयाम में दिखता है।
2014 में सिर्फ 5 शहरों में मेट्रो रेल थी। आज 18 शहरों में मेट्रो रेल की सेवा है। वर्ष 2025 तक हम इसे 25 से ज्यादा शहरों तक विस्तार देने वाले हैं। दिल्ली में मेट्रो की चर्चा बहुत वर्षों से चली। लेकिन पहली मेट्रो चली अटल जी के प्रयासों से।
2014 में देश में सिर्फ 248 किमी मेट्रो लाइन ऑपरेशनल थी। आज ये करीब तीन गुना यानी 700 किमी से ज्यादा है। वर्ष 2025 तक हम इसका विस्तार 1,700 किमी तक करने का प्रयास कर रहे हैं।
आखिर कैसे इतना तेज काम हुआ क्योंकि हमने शहरीकरण को चुनौती नहीं अवसर के रूप में देखा था।हमारी सरकार ने मेट्रो के संबंध में पॉलिसी भी बनाई और इसे चौतरफा रणनीति के रूप में लागू भी किया।
हमने जोर दिया स्थानीय मांग के हिसाब से काम करने पर, हमने जोर दिया स्थानीय मानकों को बढ़ावा देने पर, हमने जोर दिया मेक इन इंडिया विस्तार पर, हमने जोर दिया आधुनिक टेक्नोलॉजी के उपयोग पर।
हमने ध्यान दिया कि मेट्रो का विस्तार, ट्रांसपोर्ट के आधुनिक तौर-तरीकों का इस्तेमाल शहर के लोगों की जरुरतों और वहां की प्रोफेशनल लाइफस्टाइल के हिसाब से ही होना चाहिए। यही वजह है कि अलग-अलग शहरो में अलग अलग तरह की मेट्रो रेल पर काम हो रहा है।
वाटर मेट्रो भी आउट ऑफ द बॉक्स सोच का परिणाम है।
अभी मुझे बिना ड्राइवर के चलनी वाले मेट्रो रेल का उद्घाटन करने का अवसर मिला है।
आज इस उपलब्धि के साथ ही हमारा देश दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जहां इस तरह की सुविधा हैं: PM#MetroRevolution
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इस तरह की अलग-अलग तरह की मेट्रो से अलग-अलग क्षेत्रों में आखिरी इंसान तक मेट्रो पहुंच सकेगी।मेट्रो प्रदूषण कम करने का भी बहुत बड़ा जरिया है।
मेक इन इंडिया से लागत कम होती है, देश के लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिलता है।भारत में बनने से 12 करोड़ से 8 करोड़ हुई कोच की लागत।दर्जनों कंपनियां मेट्रो के कंपोनेंट के निर्माण में जुटी हुई हैं।
आधुनिकीकरण के लिए एक ही तरह के मानक उपलब्ध कराना बहुत जरूरी है और कॉम मोबिलिटी कार्ड इसके लिए एक बड़ा कदम है। इस एक कार्ड से आप पूरे देश में कहीं भी किसी भी यातायात के साधन से सफर कर सकेंगे।
मेट्रो नियो – जिन शहरों में सवारियां और भी कम है वहां पर मेट्रो नियो पर काम हो रहा है। ये सामान्य मेट्रो की 25 प्रतिशत लागत से ही तैयार हो जाती है।
इसी तरह है वॉटर मेट्रो- ये भी आउट ऑफ द बॉक्स सोच का उदाहरण है: PM
— PMO India (@PMOIndia) December 28, 2020
मेट्रो में सफर करने वाले कार्ड की उपयोगिता अच्छे से जानते हैं और आज के समय में यात्रा करने के लिए समय नहीं गंवाया जा सकता इसलिए यह कार्ड उपयोगी है।
आज तमाम व्यवस्थाओं को एकजुट करके देश को आगे बढ़ाया जा रहा है। एक भारत श्रेष्ठ भारत की ओर यह बड़ा कदम है।मेट्रो से जाम से मुक्ति मिली है।वन नेशन वन टैक्स यानी जीएसटी से करों में आसानी हुई है।
डीएमआरसी के मुताबिक चालक रहित मेट्रो के संचालन के साथ ही दिल्ली मेट्रो का नाम दुनिया की अग्रणी मेट्रो सेवा में शामिल हो चुका है। जून, 2021 तक पिंक लाइन (मजलिस पार्क-शिव विहार) पर 57 किलोमीटर के दायरे में भी चालक रहित मेट्रो की शुरुआत की संभावना है। इस हिसाब से यात्रियों को 94 किलोमीटर के दायरे में चालक रहित मेट्रो में सफर का मौका मिलेगा।
कुछ दशक पहले जब urbanisation का असर और urbanisation का भविष्य, दोनों ही बिल्कुल साफ था तो उस समय एक अलग ही रवैया देश ने देखा।
भविष्य की जरुरतों को लेकर उतना ध्यान नहीं था, आधे-अधूरे मन से काम होता था, भ्रम की स्थिति बनी रहती थी: PM
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यह पूरी दुनिया में चालक रहित मेट्रो नेटवर्क का करीब 7 फीसदी होगा। यह सेवा पूर्ण तौर पर स्वचालित होगी। इससे न केवल मानवीय हस्तक्षेप न्यूनतम होगा बल्कि त्रुटियों की आशंका भी नगण्य होगी। नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) की उपलब्धता भी मेट्रो के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।
मेजेंटा लाइन पर जनकपुरी से नोएडा के बॅाटेनिकल गार्डन तक ड्राइवरलेस मेेट्रो सेवाएं शुरू होने से काफी राहत मिलेगी। लाखों यात्री इस कॉरिडोर पर सफर करते हैं, जिनमें अधिकतर आईटी कंपनियों सहित नोएडा की अग्रणी कंपनियों में कार्यरत हैं।
बगैर चालक होने की वजह से समय की खास तौर पर पाबंदी रहेगी। कभी देरी होती है तो आगे रफ्तार में बदलाव भी किया जा सकता है ताकि यात्रियों को देर न हो।