लेबनान में इजरायल-हिजबुल्लाह संघर्ष: Benjamin Netanyahu ने अपने प्रतिद्वंदी को बनाया सहयोगी
लेबनान में हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच चल रही जंग ने एक बार फिर से विश्व राजनीति को हिला कर रख दिया है। इस संघर्ष का मूल कारण ईरान का हिजबुल्लाह का समर्थन और इजरायल की सुरक्षा चिंताएँ हैं। इस बीच, इजरायल के प्रधानमंत्री Benjamin Netanyahu ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिसने उनकी सरकार को और मजबूत किया है। नेतन्याहू ने अपने पूर्व प्रतिद्वंद्वी गिदोन सार को अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया है, जो उनके लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक फैसला है।
Benjamin Netanyahu की नई रणनीति
57 वर्षीय गिदोन सार, जिन्होंने नेतन्याहू की ‘लिकुड पार्टी’ को छोड़ दिया था और एक अलग दल का गठन किया था, अब एक बार फिर से नेतन्याहू के साथ खड़े हैं। गिदोन सार को मंत्रिमंडल में शामिल करते हुए नेतन्याहू ने स्पष्ट किया है कि वे सुरक्षा कैबिनेट का हिस्सा बनेंगे, जो पश्चिम एशिया में इजरायल के शत्रुओं के खिलाफ जारी युद्ध के प्रबंधन की निगरानी करेगा।
यह कदम नेतन्याहू की सरकार को और मजबूती प्रदान करता है, क्योंकि अब उनके पास संसद में कुल 68 सीटें हैं। इससे उनकी गठबंधन सरकार की स्थिति को भी मजबूती मिली है, जो पहले की तुलना में अधिक स्थिर है। गिदोन सार के साथ हुए इस समझौते के बाद, नेतन्याहू ने कहा है कि वे राष्ट्र की भलाई के लिए अपने मतभेदों को दरकिनार करने को तैयार हैं।
गिदोन सार की भूमिका
गिदोन सार, जो पहले नेतन्याहू के कट्टर आलोचक रहे हैं, अब इजरायल के साथ चल रहे संघर्ष में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था कि इजरायल को हमास का विनाश करने तक लड़ाई जारी रखनी चाहिए। उनकी इस सोच ने उन्हें नेतन्याहू के साथ जोड़ने का आधार बना दिया है।
सार ने ईरान के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की मांग की है, जो हिजबुल्लाह का प्रमुख समर्थक है। उनकी यह मांग भी नेतन्याहू के दृष्टिकोण के अनुकूल है, जो हिजबुल्लाह और ईरान के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने में विश्वास रखते हैं।
क्षेत्रीय प्रभाव
यह घटना न केवल इजरायल की आंतरिक राजनीति पर प्रभाव डालती है, बल्कि यह क्षेत्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण है। इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच चल रहे संघर्ष का असर पूरे मध्य पूर्व पर पड़ता है। ईरान की भूमिका और उसके द्वारा हिजबुल्लाह को दिए जाने वाले समर्थन ने इस क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा दिया है।
इजरायल के उत्तर सीमा पर हिजबुल्लाह के साथ लड़ाई तेज होने के कारण, रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने अपनी पदवी नहीं छोड़ी। इससे यह स्पष्ट होता है कि इजरायल के लिए सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय है और इसे देखते हुए नेतन्याहू की रणनीति को भी समझा जा सकता है।
भविष्य की संभावनाएँ
नेतन्याहू और सार के बीच की यह नई राजनीतिक दोस्ती एक महत्वपूर्ण संकेत है कि इजरायल की सरकार संकट के समय में एकजुट हो सकती है। यह भविष्य में इजरायल की सुरक्षा रणनीतियों को प्रभावित कर सकता है, खासकर जब बात हिजबुल्लाह और ईरान जैसे प्रतिकूल तत्वों से निपटने की हो।
हालांकि, इस गठबंधन के परिणाम क्या होंगे, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन इसने इजरायल की आंतरिक राजनीति को एक नई दिशा दी है। इस नए राजनीतिक समीकरण से यह उम्मीद जताई जा रही है कि इजरायल अपने क्षेत्रीय शत्रुओं के खिलाफ एक मजबूत स्थिति में खड़ा हो सकेगा।
लेबनान में चल रहे संघर्ष और इजरायल की आंतरिक राजनीति की यह तस्वीर न केवल वर्तमान घटनाओं को दर्शाती है, बल्कि भविष्य में भी महत्वपूर्ण संकेत देती है। बेंजामिन नेतन्याहू का गिदोन सार के साथ यह गठबंधन इजरायल के लिए कई संभावनाओं को जन्म देता है। अब देखना यह होगा कि क्या यह नई राजनीतिक स्थिति इजरायल की सुरक्षा में सुधार लाएगी या यह एक और संकट की ओर ले जाएगी।