Israeli हवाई हमले में Hezbollah चीफ और Iranian दूत की मौत: क्या नसरल्लाह की हत्या का अंदेशा पहले ही था?
इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच की तनातनी कोई नई नहीं है, लेकिन हाल ही में हुए Israeli हवाई हमले ने पूरे क्षेत्र में एक नई हलचल पैदा कर दी। इस हमले में Hezbollah के प्रमुख हसन नसरल्लाह और ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई के विशेष Iranian दूत, अब्बास निलफोरुशान की मौत ने मध्य-पूर्व में तनाव को और भड़काया है। सवाल यह उठता है कि क्या नसरल्लाह को पहले से इजरायल के इस हमले का अंदेशा था, और अगर था तो उसने ईरान के सुझाव को क्यों नजरअंदाज किया?
नसरल्लाह और अब्बास निलफोरुशान की मौत: एक नजर
जब इजरायल ने बेरूत पर हवाई हमला किया, तब नसरल्लाह अपने बंकर में छिपे हुए थे। उनके साथ ही ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के सीनियर कमांडर अब्बास निलफोरुशान भी मौजूद थे। निलफोरुशान, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खामेनेई के खास Iranian संदेशवाहक थे। उनका मकसद नसरल्लाह को ईरान आने और खुद को इजरायली हमलों से सुरक्षित करने के लिए मनाना था।
ईरान की खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, इजरायल हिजबुल्लाह के भीतर अपने जासूस बिठाकर नसरल्लाह को मारने की योजना बना रहा था। इसी आशंका के मद्देनजर, खामेनेई ने निलफोरुशान को हिजबुल्लाह चीफ को चेतावनी देने के लिए भेजा था। लेकिन नसरल्लाह ने इस सलाह को अनसुना कर दिया और लेबनान में ही रहने का फैसला किया। नतीजतन, इजरायली हमले में न केवल नसरल्लाह बल्कि निलफोरुशान भी मारे गए।
ईरान और हिजबुल्लाह का गहरा रिश्ता
ईरान और हिजबुल्लाह का संबंध कोई नया नहीं है। हिजबुल्लाह, ईरान के इशारों पर लंबे समय से काम कर रहा है। हिजबुल्लाह की स्थापना से लेकर उसकी सैन्य और राजनीतिक गतिविधियों तक, सब कुछ ईरान के समर्थन से चलता आया है। नसरल्लाह को बार-बार ईरान से निर्देश मिलते रहे हैं, और इसी के तहत खामेनेई ने उन्हें पहले भी लेबनान छोड़ने का सुझाव दिया था। इस पूरे घटनाक्रम में एक बात स्पष्ट है कि ईरान, नसरल्लाह को किसी भी कीमत पर बचाना चाहता था। निलफोरुशान का नसरल्लाह के पास भेजा जाना, यह दर्शाता है कि ईरान को पहले से ही इजरायली हमले का अंदेशा था। ईरान के इस कदम को लेकर भी कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। क्या ईरान को नसरल्लाह की हत्या की खबर पहले से थी? क्या ईरान ने समय रहते नसरल्लाह को अलर्ट कर दिया था, लेकिन उसने इसे गंभीरता से नहीं लिया?
इजरायली हमले के पीछे की साजिश
इजरायल का यह हवाई हमला केवल नसरल्लाह को मारने तक सीमित नहीं था। यह हमला पूरे लेबनान में इजरायल के सामरिक दबदबे को स्थापित करने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा था। लंबे समय से इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष चल रहा है, जिसमें इजरायल को हिजबुल्लाह से बड़ा खतरा महसूस हो रहा था। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हमले को अपने देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम बताया, लेकिन इसके पीछे की राजनीतिक और सामरिक सोच कहीं अधिक जटिल है।
लेबनान में इजरायली हमलों की बढ़ती श्रृंखला और नसरल्लाह की मौत के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि इजरायल ने हिजबुल्लाह के खिलाफ निर्णायक कदम उठाने की ठान ली है। इस हवाई हमले के जरिए इजरायल ने हिजबुल्लाह के नेतृत्व को कमजोर करने की कोशिश की, ताकि उसकी ताकत और प्रभाव को कम किया जा सके।
नसरल्लाह और ईरान के बीच की खींचतान
इस पूरे घटनाक्रम का एक और महत्वपूर्ण पहलू है, नसरल्लाह और ईरान के बीच की खींचतान। नसरल्लाह ने खामेनेई की सलाह को ठुकरा दिया था और लेबनान में ही रहने पर जोर दिया था। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि नसरल्लाह ने अपने संगठन और लेबनान में अपनी ताकत को कम नहीं होने देना चाहा, इसलिए वह लेबनान में बने रहे।
यह भी संभव है कि नसरल्लाह को यह विश्वास था कि इजरायल की ओर से उसे कोई खतरा नहीं होगा, या वह इजरायली हमले का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार था। लेकिन इजरायल की सटीक जानकारी और प्रभावी सैन्य रणनीति ने उसकी सारी योजनाओं पर पानी फेर दिया।
हिजबुल्लाह के भविष्य पर सवाल
नसरल्लाह की मौत ने हिजबुल्लाह के भविष्य पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर जहां संगठन को एक बड़ा झटका लगा है, वहीं दूसरी ओर ईरान के लिए यह एक बड़ी चिंता का विषय है। हिजबुल्लाह, ईरान के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार रहा है, और नसरल्लाह की मौत से ईरान की मध्य-पूर्व में पकड़ कमजोर हो सकती है। इसके अलावा, हिजबुल्लाह के नए नेतृत्व को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं। नसरल्लाह के बाद संगठन की कमान कौन संभालेगा? क्या नया नेतृत्व भी ईरान के निर्देशों पर काम करेगा या वह अपनी स्वतंत्र नीति बनाएगा?
ईरान और इजरायल के बीच बढ़ता तनाव
इस घटना के बाद ईरान और इजरायल के बीच तनाव और बढ़ गया है। ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई ने नसरल्लाह और निलफोरुशान की मौत के बाद इजरायल पर मिसाइल हमले का आदेश दिया था। यह हमला केवल नसरल्लाह की मौत का बदला नहीं था, बल्कि जुलाई में तेहरान में हमास नेता इस्माइल हानिया की हत्या और लेबनान पर इजरायल के हमलों का भी जवाब था।
ईरान के लिए निलफोरुशान की मौत एक बड़ा झटका है। निलफोरुशान, ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के एक वरिष्ठ अधिकारी थे, और उनकी मौत से ईरान को अपने सैन्य और खुफिया तंत्र को मजबूत करने की जरूरत महसूस हो रही है।
इजरायल की रणनीति और उसके परिणाम
इजरायल का यह हवाई हमला एक लंबी रणनीति का हिस्सा था। इजरायल का मानना था कि हिजबुल्लाह के भीतर उसके जासूस हैं, जो उसे नसरल्लाह की गतिविधियों की जानकारी दे रहे थे। इस खुफिया जानकारी के आधार पर इजरायल ने इस हमले की योजना बनाई और उसे अंजाम दिया। हालांकि, इस हमले के बाद इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच तनाव और बढ़ सकता है। हिजबुल्लाह के सदस्य और समर्थक इस घटना का बदला लेने की कोशिश कर सकते हैं, जिससे पूरे क्षेत्र में अशांति फैल सकती है।
नसरल्लाह की मौत ने मध्य-पूर्व में एक नई तरह की राजनीतिक और सामरिक हलचल पैदा कर दी है। ईरान, हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच का यह त्रिकोणीय संघर्ष आने वाले समय में और गहरा सकता है। ईरान के लिए नसरल्लाह और निलफोरुशान की मौत एक बड़ा झटका है, जबकि इजरायल ने अपनी रणनीति के तहत एक महत्वपूर्ण जीत हासिल की है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इस घटना का असर मध्य-पूर्व की राजनीति और सुरक्षा पर कैसे पड़ता है।