Assighat पर भाषा उत्सव का आयोजन, हिंदू युवा शक्ति संगठन के कार्यकर्ताओं ने विरोध किया
मानव गो सेवा संस्थान प्रयागराज और फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी की ओर से बुधवार को Assighat पर भाषा उत्सव का आयोजन हुआ। गंगातट पर शहनाई संग सूफी गीत और देशभक्ति के तराने गूंजे।
धर्मगुरुओं के सम्मान के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र ने कहा कि काशी को समझना आसान नहीं हैं। जो दिखाई देती देता है वह काशी नहीं, बल्कि जो नहीं दिखाई देती है, वह काशी है। फादर डेनिस फिलीप, फादर सेम जोशुआ सिंह, भाई धर्मबीर सिंह, हाजी फरमान हैदर ने भी एकता के संदेश दिए। शहनाई के बादशाह उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के पौत्र आफाक हैदर ने साथियों संग शहनाई की धुन छेड़ी।
साबिर सैफ अली चिश्ती ने साथियों संग सूफी गीतों से रुहानी महफिल सजाई। शायर डॉ. नायाब बलियावी, फरमूद इलाहाबद, मंजू यादव व सुशील कुशवाहा ने कलाम पेश किए। संचालन शायर नजीब इलाहाबादी ने किया। इस मौके पर डॉ. नाज फातमा, बाकर नकवी, बबीता जासवाल, अली नादिर, डॉ. शफीक हैदर, रत्नेश वर्मा, हरेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।
कार्यक्रम के दौरान सूफी गीत गाए जाने पर हिंदू युवा शक्ति संगठन के कार्यकर्ताओं ने विरोध किया। उनका कहना था कि अगर घाट पर अली मौला का सूफी गीत बज सकता है तो भजन-कीर्तन क्यों नहीं।