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बहुत शुभ योग लेकर आ रही है महाशिवरात्रि (Maha Shivaratri )

महा-शिवरात्रि भगवान शिव के भक्तों के लिए वर्ष का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। कृष्ण पक्ष का 14वां दिन विशेष रूप से भगवान शिव के लिए समर्पित होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का एक महान पर्व है। शिवपुराण के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। हिन्दू धर्म के अनुसार सृष्टि का संचालन तीन देव करते हैं।

ब्रह्मा को रचना विष्णु को संचालन और महेश को इस सृष्टि के विनाश के लिए उत्तरदायी माना जाता है। इन तीनों ही देवताओं को एक साथ त्रिदेव की उपाधि दी गयी है। भगवान भोलेनाथ को देवो के देव महादेव भी कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि महाशिवरात्रि दिन से ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ था। गरुड़ पुराण, स्कन्द पुराण, पद्मपुराण और अग्निपुराण आदि में शिवरात्रि का वर्णन मिलता है।

कहते हैं शिवरात्रि के दिन जो व्यक्ति बिल्व पत्तियों से शिव जी की पूजा करता है और रात के समय जागकर भगवान के मंत्रों का जाप करता है, उसे भगवान शिव आनन्द और मोक्ष प्रदान करते हैं।

महाशिवरात्रि (Maha Shivaratri) का पूजा मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार 18 फरवरी 2023, शनिवार के दिन महाशिवरात्रि (Maha Shivaratri) का त्यौहार मनाया जाएगा।
निशिता काल पूजा : 19 फरवरी को तड़के 12:16 से 1:06 तक रहेगा।
निशिता काल पूजा की जो समय अवधि 50 मिनट रहेगी।
महाशिवरात्रि पारण मुहूर्त:19 फरवरी, रविवार प्रातः 06:57 मिनट से दोपहर 03: 33 मिनट तक
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय: सायं 06: 30 मिनट से रात्रि 09:35 मिनट तक
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय: रात्रि 09:35 मिनट से तड़के 12:39 मिनट तक
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय: 19 फरवरी, रविवार, तड़के 12:39 मिनट से 03:43 मिनट तक
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा का समय: 19 फरवरी, रविवार, प्रातः 3:43 मिनट से 06:47 मिनट तक

महाशिवरात्रि (Maha Shivaratri) की पूजा विधि

ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करने के बाद मंदिर स्थल को स्वच्छ कर लें । इसके बाद शिवलिंग पर चन्दन का लेप लगाकर पंचामृत से स्नान करवाना चाहिए।
महाशिवरात्रि व्रत में मिट्टी के लोटे में पानी या दूध भरकर, ऊपर से बेल पत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर चढ़ाएं।
यदि आपके घर के पास कोई शिव मंदिर नहीं है, तो घर में ही पार्थिव शिवलिंग बनाकर उसका पूजन करें।

इसके बाद शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करें।शिव पूजा के बाद गोबर के उपलों की अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति दें।महाशिवरात्रि (Maha Shivaratri) के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है। मान्यता है कि जो भक्त ऐसा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

महाशिवरात्रि (Maha Shivaratri) पूजन मंत्र

शिवलिंग स्नान के लिए रात्रि के प्रथम प्रहर में दूध, दूसरे प्रहर में दही, तीसरे प्रहर में घृत और चौथे प्रहर में मधु यानी शहद से स्नान करना चाहिए।

चारों प्रहर में शिवलिंग स्नान के लिये मंत्र भी हैं-

प्रथम प्रहर में- ‘ह्रीं ईशानाय नमः’
दूसरे प्रहर में- ‘ह्रीं अघोराय नमः’
तीसरे प्रहर में- ‘ह्रीं वामदेवाय नमः’
चौथे प्रहर में- ‘ह्रीं सद्योजाताय नमः’।।

महाशिवरात्रि का महत्व

महाशिवरात्रि (Maha Shivaratri) के दिन शिव जी को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त व्रत रखते है। व्रत रखने से भगवान भोले प्रसन्न होते है और अपने भक्तो को आशीर्वाद देते है। यह व्रत रखने से हर जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है। महाशिवरात्रि का व्रत उन लड़कियों को जरूर रखना चाहिए जो मनचाहा वर पाना चाहती है। इस व्रत को करने से विवाह से सम्बंधित सारी बाधाएं दूर होती है, जिस कन्या की शादी नहीं हो रही उसे यह व्रत जरूर करना चाहिए। जो लोग मुक्ति प्राप्त करना चाहते है उन्हें यह व्रत रखना चाहिए।

महाशिवरात्रि के दिन भूलकर भी नहीं करने चाहिए ये काम

1. महाशिवरात्रि (Maha Shivaratri) के दिन भगवान शिव को यदि प्रसन्न करना चाहते हैं तो इस दिन काले रंग के कपड़े ना पहनें। इस दिन काले रंग के कपड़े पहनना अशुभ माना जाता है।

2. ऐसी मान्यता है कि भक्तजनों को शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को ग्रहण नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे दुर्भाग्य आता है। ऐसा करने से धन हानि और बीमारियां भी हो सकती हैं।

3. शिवलिंग पर कभी भी तुलसी नहीं चढ़ाएं। शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से पहले यह ध्यान रखें कि पाश्चुरीकृत या पैकेट का दूध इस्तेमाल ना करें और शिवलिंग पर ठंडा दूध ही चढ़ाएं। अभिषेक हमेशा ऐसे पात्र से करना चाहिए जो सोना, चांदी या कांसे का बना हो। अभिषेक के लिए कभी भी स्टील, प्लास्टिक के बर्तनों का प्रयोग ना करें।

4. भगवान शिव को भूलकर भी केतकी और चंपा फूल नहीं चढ़ाएं। ऐसा कहा जाता है कि इन फूलों को भगवान शिव ने शापित किया था। केतकी का फूल सफेद होने के बावजूद भोलेनाथ की पूजा में नहीं चढ़ाना चाहिए।

5. शिवरात्रि का व्रत सुबह शुरू होता है और अगली सुबह तक रहता है। व्रती को फल और दूध ग्रहण करना चाहिए। हालांकि सूर्यास्त के बाद आपको कुछ नहीं खाना चाहिए।

6. भगवान शिव की पूजा में भूलकर भी टूटे हुए चावल नहीं चढ़ाना चाहिए। अक्षत का मतलब होता है- अटूट चावल, यह पूर्णता का प्रतीक है। इसल‌िए श‌िव जी को अक्षत चढ़ाते समय यह देख लें क‌ि चावल टूटे हुए तो नहीं हैं।

7. शिवलिंग पर सबसे पहले पंचामृत चढ़ाना चाहिए। पंचामृत यानी दूध, गंगाजल, केसर, शहद और जल से बना हुआ मिश्रण। जो लोग चार प्रहर की पूजा करते हैं उन्हें पहले प्रहर का अभिषेक जल, दूसरे प्रहर का अभिषेक दही, तीसरे प्रहर का अभिषेक घी और चौथे प्रहर का अभिषेक शहद से करना चाहिए।

8. शिवरात्रि पर तीन पत्रों वाला बेलपत्र शिव को अर्पित करें और डंठल चढ़ाते समय आपकी तरफ हो। टूटे हुए या कटे-फटे बेलपत्र नहीं चढ़ाना चाहिए।

9. भगवान शिव को दूध, गुलाब जल, चंदन, दही, शहद, घी, चीनी और जल का प्रयोग करते हुए तिलक लगाएं। भोलेनाथ को वैसे तो कई फल अर्पित किए जा सकते हैं, लेकिन शिवरात्रि पर बेर जरूर अर्पित करें। क्योंकि बेर को चिरकाल का प्रतीक माना जाता है।

10. ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति पर केवल सफेद रंग के ही फूल ही चढ़ाने चाहिए। क्योंकि भोलेनाथ को सफेद रंग के ही फूल प्रिय हैं। शिवरात्रि पर भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए चंदन का टीका लगा सकते हैं। शिवलिंग पर कभी भी कुमकुम का तिलक ना लगाएं। हालांकि भक्तजन मां पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति पर कुमकुम का टीका लगा सकते हैं।

11. इस दिन सुबह देर तक नहीं सोना चाहिए। जल्दी उठ जाएं और बिना स्नान किए कुछ भी ना खाएं। व्रत नहीं है तो भी बिना स्नान किए भोजन ग्रहण नहीं करें।

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धर्म के गूढ़ रहस्यों और ज्ञान को जनमानस तक सरल भाषा में पहुंचा रहे श्री रवींद्र जायसवाल (द्वारिकाधीश डिवाइनमार्ट,वृंदावन) इस सेक्शन के वरिष्ठ सामग्री संपादक और वास्तु विशेषज्ञ हैं। वह धार्मिक और ज्योतिष संबंधी विषयों पर लिखते हैं।

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