मंदिर को किला बनाओ, पुजारी को योद्धा: वीडियो वायरल
एक वीडियो वायरल है… जिसमें एक मौलाना… एक चाय कॉफी के कैफे में घुसकर उसके मुसलमान मालिकों को बुरी तरह फटकार रहा है
– क्योंकि उसने अपने कैफे में चाय कॉफी परोसी जाने वाले कप पर अली जैसा कोई शब्द छपवा दिया था
– उस मौलाना ने कहा कि हम अपने बुजुर्गों की तौहीन बर्दाश्त नहीं करेंगे… तुरंत ये कप हटाओ… नहीं तो ये कप डस्टबिन में जाएंगे… और बुजुर्गों की तौहीन होगी
– इस बात में किसी को शक नहीं होना चाहिए कि अब तक वो सारे कप हट चुके होंगे क्योंकि मौलाना… शहर काजी और इमाम की अपने मजहब के लोगों पर पकड़ होती है ।
– और सच्चाई ये है कि हम लोगों को मिलकर जो काम करने में बहुत वक्त और बहुत मेहनत लगती है वही काम मजहबी लोग चुटकियों में करवा देते हैं । इसलिए क्योंकि उनके मौलानाओं… इमामों और शहर काजियों के पास सम्मान और शक्ति है और उनकी अपने दीन और मजहब के प्रति पूरी निष्ठा है ।
– लेकिन दूसरी तरफ हमारे हिंदू धर्म के अधिकांश मंदिर और पुजारियों को देखिए जो हिंदू समाज से पूरी तरह कट चुके हैं ।
– हिंदू धर्म के पंडित पुजारी धर्म पर आए हुए खतरों को लेकर इतने ज्यादा बेफिक्र हैं कि अगर उनको ऐसा लगे कि बाबर की मूर्ति लगाने से खूब चढ़ावा चढ़ेगा तो मंदिर में बाबर की मूर्ति की भी प्राण प्रतिष्ठा कर देंगे (क्षमा चाहूंगा अत्यंत कठोर वचन हैं लेकिन यही सत्य है अधिकांश का हाल यही है राष्ट्रनिष्ठ पुजारियों की संख्या बहुत तेजी से कम होती जा रही है)
– अगर आज हिंदू धर्म लगातार कमजोर होता जा रहा है तो उसकी वजह वो मंदिर हैं जहां लोगों को प्रवचन (राष्ट्र निर्माण के प्रवचन होने चाहिए अब) देने के लिए सभा स्थल तक नहीं होते हैं । पुजारी कभी लोगों को राष्ट्र के प्रति जागरण के सदुपदेश नहीं देते हैं । वो चुप चाप भोले भाले बनकर बैठे हुए हैं ।
– दूसरी तरफ अली सीना की किताब अंडरस्टैंडिंग मुहम्मद को पढ़िए । उस किताब के तीसरे चैप्टर में ये लिखा हुआ है कि मस्जिदें ही इस्लाम का किला है और हमारा हर मौलाना इस्लाम का सेनापति है
– अगर हमारे देश के मंदिरों पर कब्जा जमाए पुजारी भी इसी तरह योद्धा होते और धर्म को लेकर जागरूक होते तो आज हम सभी लोगों को इतनी मेहनत नहीं करनी पड़ती । दरअसल हम लोगों को वो काम करना पड़ रहा है जो मूल रूप से समाज के धन पर कब्जा जमाए बैठे बड़े बड़े मंदिर के पुजारियों का है ।
– सोचिए… क्या ऐसा हो सकता है… कि किसी पटाखे की दुकान पर लक्ष्मी छाप पटाखे बिक रहे हों और किसी मंदिर का पुजारी जाए और एक बार दुकान वाले को फटकार लगाए और सारे के सारे पटाखे फौरन गायब हो जाएं
-लेकिन ये महज कल्पना ही है… जब तक ये कल्पना ही रहेगी.. तब तक हिंदू धर्म की सदैव हार होती रहेगी । सच्चाई यही है कि बिना मंदिर के किला बने और बिना पुजारी के जागे… हिंदू धर्म का कोई भला नहीं होने वाला है ।
– हिंदू धर्म की रक्षा के लिए चांद से कोई नहीं आएगा । यहां मौजूद हम आप लोगों को ही खड़े होना होगा… खास तौर पर मंदिर के पुजारियों से विशेष आग्रह है कि वो देश धर्म और राष्ट्र धर्म के उत्थान में बढ चढ कर अपना योगदान दें ।
– लेकिन ये भी कहना होगा कि बहुत सारे छोटे-छोटे मंदिरों के पुजारियों की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा खराब है और उनके लिए अपने बच्चों को पालने पोसने के लिए भी 2 जून की रोटी का इंतजाम करना मुश्किल है ।
ऐसे में सबसे पहला काम यही है कि जो पुजारी देश धर्म के लिए खड़ा होना चाहते हैं उनकी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने का जिम्मा स्वयं समाज ले । ध्यान देने वाली बात ये भी है कि कई सेकुलर स्टेट्स में इमामों को हिंदुओं के टैक्स पर मासिक वेतन दिया जा रहा है ।