“मन की भोर” ने छेड़ी मन के तारों की सच्ची रागिनी: Muzaffarnagar में हुआ सुमन प्रभा के काव्य संग्रह का ऐतिहासिक विमोचन
एक अलौकिक साहित्यिक संध्या, एक अनुपम भावनात्मक प्रवाह और एक कवयित्री की वर्षों की साधना जब ‘मन की भोर’ के रूप में आकार लेती है, तो वह सिर्फ एक किताब नहीं होती — वह बन जाती है एक युग की दस्तक। जनपद Muzaffarnagar की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था सकल साहित्य समाज के तत्वाधान में आयोजित इस भव्य समारोह ने जिले की साहित्यिक विरासत को नया मुकाम दे दिया।
कवयित्री श्रीमती सुमन प्रभा के बहुप्रतीक्षित काव्य संकलन “मन की भोर” का विमोचन उनके लक्ष्मण विहार स्थित निवास पर हुआ, जहाँ साहित्यिक जगत के कई प्रमुख चेहरे मौजूद रहे। कार्यक्रम का आरंभ मां शारदे की वंदना से हुआ — दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण के साथ पूरे वातावरण में अध्यात्मिकता की सुगंध घुल गई।
📖 कविता से जीवन तक: सुमन प्रभा की कविताओं का सफर
“मन की भोर” कोई साधारण काव्य संग्रह नहीं है, यह कवयित्री सुमन प्रभा के अंतर्मन की गहराइयों से निकले भावों की गूंज है। संग्रह में शामिल कविताएं समाज, स्त्री, संवेदना, प्रकृति और जीवन की विविध परतों को अत्यंत सूक्ष्मता से अभिव्यक्त करती हैं।
मुख्य वक्ता श्री संजीव चौधरी, जो एक स्वतंत्र टिप्पणीकार और पत्रकार हैं, ने अपने सारगर्भित वक्तव्य में कहा –
“यह काव्य संग्रह केवल कविताओं का संकलन नहीं, यह भावों की अनुभूति है। इसमें जीवन की हर धड़कन सुनाई देती है। यह संग्रह सुमन प्रभा की साहित्यिक परिपक्वता और उनके सामाजिक सरोकारों की स्पष्ट झलक है।”
👩🏫 शिक्षा और साहित्य का संगम: ऋतु देशवाल और राकेश कौशिक की प्रेरक टिप्पणियाँ
विशिष्ट अतिथि के रूप में शारदेन विद्यालय की शिक्षिका श्रीमती ऋतु देशवाल ने भी पुस्तक पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा:
“सुमन प्रभा की कविताएं सीधे मन को छूती हैं। ये कोई जटिल भाषाई प्रयोग नहीं हैं, बल्कि सरल शब्दों में गहन भावों की प्रस्तुति है, जो पाठकों को भीतर तक आंदोलित कर जाती है।”
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रख्यात शिक्षक और साहित्यकार श्री राकेश कौशिक ने इस संकलन को जनपद की साहित्यिक प्रगति का संकेत बताते हुए कहा:
“मन की भोर सिर्फ एक काव्य संग्रह नहीं, एक नई परंपरा की शुरुआत है। यह संग्रह आने वाले समय में साहित्यिक जगत में एक गूंज छोड़ने वाला साबित होगा।”
🎶 कविता में राग, समीक्षा में भाव: लक्ष्मी डबराल और कीर्ति वर्धन की विशेष प्रस्तुतियाँ
इस अनमोल अवसर पर जानी-मानी कवयित्री श्रीमती लक्ष्मी डबराल ने संग्रह पर अपनी काव्यात्मक समीक्षा प्रस्तुत की। उनके शब्दों में समीक्षा नहीं, बल्कि एक नई कविता ही जन्म लेती दिखी। साथ ही डॉ. कीर्ति वर्धन अग्रवाल की साहित्यिक दृष्टि से परिपूर्ण समीक्षा ने कार्यक्रम में और गरिमा जोड़ दी।
🎤 युवा आवाज़ों की चमक: पंकज शर्मा ने संभाला संचालन
इस गरिमामयी साहित्यिक सन्ध्या का संचालन युवा कवि एवं गीतकार पंकज शर्मा ने पूरे उत्साह और लयबद्धता के साथ किया। उनकी वक्तृत्व कला और शब्दों का प्रवाह दर्शकों को मंत्रमुग्ध करता रहा।
👏 सुमन प्रभा की भावुक अभिव्यक्ति: “एक सपना साकार हुआ”
अपने काव्य संग्रह के विमोचन पर भावविभोर सुमन प्रभा ने कहा:
“यह पुस्तक मेरा वर्षों का सपना थी। मैंने जो कुछ महसूस किया, जिया और देखा, उसे शब्दों में ढालकर पाठकों तक पहुंचाने की इच्छा लंबे समय से थी। आज जब वह इच्छा पूरी हुई है, तो ह्रदय रोमांचित हो उठा है।”
📝 साहित्यिक विमोचन की बढ़ती परंपरा: जनपद में बढ़ रही साहित्यिक चेतना
मुज़फ्फरनगर जैसे जनपद में इस प्रकार के साहित्यिक विमोचन कार्यक्रम यह दर्शाते हैं कि कस्बों और शहरों से बाहर भी साहित्य की लौ जल रही है। यह कार्यक्रम न केवल कवयित्री सुमन प्रभा के लिए गर्व का विषय रहा, बल्कि अन्य नवोदित कवियों और लेखकों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गया है।
ऐसे आयोजनों से यह भी सिद्ध होता है कि साहित्य केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं, वह समाज के मनोभावों और बदलावों को अभिव्यक्त करने का सबसे सशक्त माध्यम है।
🎯 भविष्य की ओर दृष्टि: और रचनाओं की प्रतीक्षा
सुमन प्रभा की लेखनी की सादगी और गहराई को देखकर यह स्पष्ट होता है कि यह केवल शुरुआत है। साहित्य प्रेमियों को अब उनकी अगली रचनाओं का इंतजार रहेगा। जनपद के साहित्यिक आकाश में यह एक नई सुबह है — एक “मन की भोर”।