Muzaffarnagar: एफआरपी पांच रूपये बढ़ाकर 290 रुपए प्रति क्विंटल करने की घोषणा का विश्लेषण: अशोक बालियान
Muzaffarnagar :मुजफ्फरनगर। मोदी सरकार द्वारा गन्ने के लिये एफआरपी पांच रूपये बढ़ाकर २९० रुपए प्रति क्विंटल करने की घोषणा का विश्लेषण करते हुए अशोक बालियान, चेयरमैन, पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने कहा है कि मोदी सरकार ने गन्ने के लिये उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) २८५ रुपये प्रति क्विंटल से ५ रूपये बढ़ाकर २९० रुपए प्रति क्विंटल करने को मंजूरी दी है।
इसके आगे प्रति दशमलव एक (१) प्रतिशत रिकवरी पर २ रुपए ९० प्रति कुंटल अतिरिक्त दिया जाएगा। एफआरपी को गन्ना (नियंत्रण) आदेश १९६६ के तहत तय किया जाता है। पिछले साल एफआरपी में १० रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई थी।
केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद गन्ने के एफआरपी में लगातार बढ़ोतरी की है। वर्ष २०१३-१४ के दौरान देश में गन्ने का एफआरपी २१० रुपए प्रति क्विंटल होता था, जो अब बढ़कर २९० रुपे प्रति क्विंटल हो गया है। मोदी सरकार के ७ साल के समय में गन्ने के एफआरपी में ३८ प्रतिशत की जोरदार बढ़ोतरी हुई है।
पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन व किसानों की मांग थी कि गन्ने को लेकर केंद्र सरकार दूरगामी नीतियाँ बनाये, ताकि किसान व् चीनी उद्योग दोनों आगे बढ़े। पिछली सरकारों के समय अनेकों चीनी मिलें बंद हो गई थी, जिसका परिणाम यह हुआ था कि गन्ने का मूल्य बढने के बाद भी कम मात्रा में गन्ना चीनी मिलों पर जाने से किसान की जेब में कम धनराशी आई थी।
वर्तमान केंद्र सरकार ने दूरगामी नीति बनाकर इथेनॉल का निर्माण तेज कराया है और चीनी के एक्सपोर्ट पर ध्यान दिया है, ताकि चीनी इंडस्ट्री भी संभली रहे और उपभोक्ताओं पर बोझ न पड़े।
चीनी मिलों की पिराई क्षमता बढ़ाई गई है। अभी देश में पेट्रोल में लगभग ७ प्रतिशत इथेनॉल की मिलावट होती है। अगले अगले ढाई से तीन वर्षों में लगभग २० प्रतिशत हो जाएगा। देश में चीनी का निर्यात बढने व इथेनॉल का उत्पादन बढने से गन्ना किसानों को भी समय से भुगतान होगा। आवश्यक वस्तु अधिनियम, १९५५ की धारा ३ की उप धारा (२) के खंड (ग) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए सरकार ने चीनी मूल्य (नियंत्रण) आदेश, २०१८ अधिसूचित किया था। उक्त आदेश के प्रावधानों के अंतर्गत केंद्र सरकार ने चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य निर्धारित किया था।
केंद्र सरकार ने किसानों के हित में वर्ष २०१८ से चीनी के आयात पर आयात शुल्क को ५० प्रतिशत से बढ़ाकर १०० प्रतिशत कर दिया था। उत्तर प्रदेश, उतराखंड, हरियाणा, पंजाब, बिहार और तमिलनाडु जैसे कई राज्य अपनी गन्ना दरों (राज्य परामर्श मूल्य या एसएपी) की घोषणा करते हैं।
यह एफआरपी के ऊपर होता है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, आंध्रप्रदेश आदि राज्यों में उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) लागू होता है। केंद्र सरकार की गन्ना किसानों व चीनी उद्योग के लिए दूरगामी नीति से किसानों को आने वाले समय में लाभ मिलेगा।