Muzaffarnagar News: कोर्ट में पक्षद्रोही साबित हुए २ चश्मदीद, साक्ष्य के अभाव में बरी हत्यारोपित
मुजफ्फरनगर।(Muzaffarnagar News) मुजफ्फरनगर की एक अदालत ने पुलिस कांस्टेबल के हत्यारोपित को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। २००२ में थाना नई मंडी में तैनात पुलिस कांस्टेबल की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। घटना के बाद पुलिस ने एक बदमाश को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। जबकि एक हत्यारोपित को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
बदमाशों को दबोचने में शहीद हो गया था पुलिस का जवान
अभियोजन के अनुसार २२ सितंबर २००२ को सुबह ४ बजे के करीब थाना नई मंडी में तैनात पुलिस कांस्टेबल आनंद कुमार पुत्र जयपाल निवासी गांव धराऊ जिला बुलंदशहर अपनी ड्यूटी खत्म कर लौट रहा था। वह जैसे ही जसवंतपुरी स्थित अपने निवास से पहले कौशल्य अरोड़ा के मकान के पास पहुंचे तो बदमाशों ने गोली मार दी।
गंभीर घायल होने पर आनंद की मृत्यु हो गई थी। इस मामले में थाना सिविल लाइन में तैनात एसआइ डीसी मिश्रा ने मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू कर दी थी।
क्या हुआ था घटनाक्रम, किस तरह लगी थी आनंद को गोली
२२ सितंबर २००२ को देर रात ड्यूटी समाप्त कर बाइक पर लौट रहे कांस्टबल आनंद कुमार को मोहल्ला जसवंतपुरी थाना सिविल लाइन क्षेत्र में रात के करीब ४ बजे दो संदिग्ध जाते नजर आए थे। कांस्टेबल आनंद कुमार ने दोनों को रुकने के लिए कहा, लेकिन वे उन्हें देखकर दौड़ पड़े।
आनंद ने बाइक पर बदमाशों का पीछा किया। जिसके बाद एक बदमाश को दबोच लिया। लेकिन दबोचते ही बदमाश ने कांस्टेबल आनंद के सीने पर तमंचा सटाकर गोली चला दी। गंभीर घायल होने के चलते आनंद की मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद दोनों बदमाश फरार हो गए थे।
विवेचना के बाद प्रकाश में आए थे संदिग्ध शमीम व सरफराज
घटना के मुकदमे की विवेचना तत्कालीन एसएचओ थाना सिविल लाइन बलराज सिंह ने की थी। विवेचना के दौरान प्रकाश में आया था कि शहीद पुलिस कांस्टेबल आनंद ने संदिग्ध सरफराज उर्फ सिरफिरा पुत्र मुमताज एवं शमीम पुत्र बालू रांगड निवासी केवलपुरी को रोकने का प्रयास किया था।
पुलिस ने दोनों के विरुद्ध फरारी में ही आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल करते हुए उनकी तलाश शुरू कर दी थी। जिसके बाद दोनों के विरुद्ध कोर्ट से कुर्की वारंट जारी हुए थे। अभियोजन के मुताबिक एक आरोपित शमीम पुत्र बालू को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
मुठभेड़ में मारा गया था मुख्य हत्यारोपित सरफराज उर्फ सिरफिरा-पुलिस के अनुसार मुख्य हत्यारोपित सरफराज उर्फ सिरफिरा की तलाश में लगातार दबिश दी जा रही थी। इस दौरान ४ सितंबर २००२ को थाना सिविल लाइन पुलिस को क्षेत्र के रुड़की रोड पर हत्यारोपित सरफराज उर्फ सिरफिरा के छिपे होने की सूचना मिली थी।
पुलिस ने एक घर पर दबिश दी तो बदमाश ने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी फायरिंग में पुलिस की गोली लगने से घायल सरफराज उर्फ सिरफिरे की मृत्यु हो गई थी।
कोर्ट में पक्षद्रोही साबित हुए २ चश्मदीद, दूसरा हत्यारोपित बरी-बचाव पक्ष के अधिवक्ता काजी मो. अमजद ने बताया कि मुख्य हत्यारोपित सरफराज उर्फ सिरफिरा २००२ में ही पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। उन्होंने बताया कि दूसरे आरोपित पर हत्या के मुकदमे की सुनवाई एडीजे-१० कमलापति की कोर्ट में हुई।
उन्होंने बताया कि अभियोजन उनके मुवक्किल शमीम पर हत्या का आरोप साबित करने में विफल रहा। बताया कि इस मामले में चश्मदीद गवाह अली हसन व नसीम ने भी शमीम के हत्या में शामिल होने से इंकार किया। जिसके बाद कोर्ट ने शमीम को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।