उमर खालिद, खालिद सैफी को हथकड़ी लगाकर अदालतों में पेश करने की पुलिस की याचिका खारिज
अदालत ने जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के पूर्व छात्र उमर खालिद और सामाजिक कार्यकर्ता खालिद सैफी को हथकड़ी लगाकर निचली अदालतों में पेश करने की पुलिस की याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि वे गैंगस्टर नहीं हैं।
कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की अदालत के समक्ष दिल्ली पुलिस की तरफ से याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में पुलिस ने दोनों आरोपियों को हाथों में पीछे की ओर हथकड़ी लगाकर अदालतों में पेश करने की अनुमति मांगी थी। याचिका में कहा गया कि वे उच्च जोखिम वाले कैदी हैं। इसपर अदालत ने कहा कि पेशी के दौरान उनसे किसी तरह का खतरा नहीं है। फिर उन्हें हथकड़ी लगाने की जरुरत क्या है।
न्यायाधीश ने याचिका खारिज करते हुए इसे आधार रहित करार दिया और कहा कि दिल्ली पुलिस और जेल प्राधिकरण के उच्च अधिकारियों ने बिना प्रक्रिया अपनाए और दिमाग लगाए यह आवेदन दाखिल किया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा, “जिन आरोपियों को बेड़ियां और हथकड़ियां लगाकर पेश करने की अनुमति मांगी गई, वे पुराने किसी मामले में दोषी करार नहीं दिये गए हैं। वे गैंगस्टर भी नहीं हैं।”
अदालत ने यह भी कहा कि वैसे भी यह याचिका इस स्तर पर कोई मायने नहीं रखती। क्योंकि फिलहाल कोविड-19 की वजह से अदालतों में किसी भी मामले के आरोपियों की प्रत्यक्ष पेशी नहीं हो रही है। सभी को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश किया जा रहा है। ऐसे मे इस तरह की याचिका को पेश करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
उमर और खालिद सैफी को पिछले साल उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के साम्प्द्रायिक दंगों के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। बता दें इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने इस सांप्रदायिक हिंसा के दौरान पथराव करने वाली गैरकानूनी रूप से जमा भीड़ का हिस्सा बने तीन लोगों को एक व्यक्ति की हत्या और उसके बेटे को घायल करने के मामले में जमानत दे दी।
हाई कोर्ट ने आरोपी शबीर अली, महताब और रईस अहमद को 25-25 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया।