PoK में बढ़ते प्रदर्शनों के बीच सैनिकों को बंधक बनाया, सरकार पर आरोप – कश्मीरियों के मौलिक अधिकारों की आवाज़
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में बुधवार को विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला थमता नजर नहीं आया, जब प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों के 25 सैनिकों को बंधक बना लिया। ये विरोध प्रदर्शन बुनियादी जरूरतों पर सब्सिडी में कटौती के खिलाफ हो रहे थे, और प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि खुफिया एजेंसियां उन्हें दबाने के लिए गुप्त हमले कर रही हैं। प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों की मौजूदगी को चुनौती देते हुए यह कदम उठाया, और इन सैनिकों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया, ताकि सुरक्षा बल कोई भी कार्रवाई न कर सकें।
सुरक्षा बलों की कार्रवाई और मौतों का आंकड़ा बढ़ा
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि इन प्रदर्शनों को रोकने के लिए सुरक्षा बल निहत्थे लोगों पर गोलीबारी कर रहे हैं, जिससे अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है और 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं। 22 सितंबर को चकेरी के मथुरापुर गांव में एक अधजला शव मिलने के बाद प्रदर्शन और बढ़ गए। यह घटनाक्रम चार दिन से जारी प्रदर्शन के बाद और भी गंभीर हो गया, जिसमें अब तक कुल 10 मौतें हो चुकी हैं।
प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें
प्रदर्शनकारी जम्मू-कश्मीर जॉइंट अवामी एक्शन कमेटी (JKJAAC) की अपील पर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका आरोप है कि सरकार ने उनकी मौलिक अधिकारों की अनदेखी की है और महंगाई पर नियंत्रण नहीं कर पा रही। प्रदर्शनकारियों ने सरकार के सामने 38 मांगें रखी हैं, जिनमें से प्रमुख हैं:
पाकिस्तान में बसे कश्मीरी शरणार्थियों के लिए बनाई गई 12 विधानसभा सीटों को खत्म करना।
बिजली परियोजनाओं में लोकल लोगों के फायदे का ध्यान रखना।
आटे और बिजली के बिलों पर छूट की मांग, ताकि लोग महंगाई से राहत पा सकें।
PoK की विधानसभा सीटों को लेकर विरोध
ये 12 आरक्षित सीटें उन कश्मीरी शरणार्थियों के लिए आरक्षित हैं जो 1947, 1965, 1971 युद्धों या बाद के संघर्षों के कारण भारत से PoK में आकर बस गए थे। स्थानीय लोग मानते हैं कि इन सीटों के कारण उनके प्रतिनिधित्व का हक कम हो जाता है, और केवल कुछ विशेष परिवारों को फायदा मिल रहा है। इसलिए, उनकी मांग है कि इन आरक्षित सीटों को खत्म किया जाए और अधिक विधायक चुने जाएं जो स्थानीय लोगों की समस्याओं और जरूरतों का ध्यान रख सकें।
आंदोलन का नेतृत्व और सरकार को चेतावनी
JKJAAC के नेता शौकत नवाज मीर ने कहा, “यह आंदोलन 70 सालों से हमारे मौलिक अधिकारों के लिए हो रहा है, हमें वो अधिकार चाहिए। अब सरकार को हमारी मांगों पर ध्यान देना होगा, वरना इसका परिणाम बुरा होगा।” मीर ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार को कड़ी चेतावनी दी और कहा कि यह ‘प्लान ए’ है, लोगों का सब्र टूट चुका है। “हमारे पास बैकअप प्लान हैं, और प्लान डी बहुत खतरनाक होगा।”
PoK में पत्रकारों की एंट्री पर रोक
पाकिस्तान सरकार ने PoK में पत्रकारों और टूरिस्ट की एंट्री पर भी रोक लगा दी है। स्थानीय रिपोर्टर्स का आरोप है कि उन्हें न्यूट्रल कवरेज करने से रोका जा रहा है और मीडिया को इस मुद्दे पर सही जानकारी देने की अनुमति नहीं मिल रही। साथ ही, कई मानवाधिकार संगठनों ने भी इस मामले में आवाज उठाई है। इसके अलावा, आधी रात से इंटरनेट पर भी रोक लगा दी गई है, ताकि ये प्रदर्शन कभी आजादी की मांग में न बदल जाएं।
PoK में प्रदर्शन का इतिहास
PoK में पहले भी कई बार सेना और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हो चुके हैं। मई 2022 में, सस्ते आटे और बिजली की कीमतों के खिलाफ लोगों ने हड़ताल की थी। लोगों का कहना है कि PoK में स्थित मंगला डेम से बिजली पैदा होती है, लेकिन फिर भी उन्हें सस्ती बिजली नहीं मिलती। 2023 में भी, बिजली की कीमतें बढ़ाने और गेहूं की सब्सिडी हटाने के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे।
सुरक्षा और आंतरिक तनाव
यह प्रदर्शन यह भी दिखाता है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सरकार के खिलाफ आंतरिक तनाव बढ़ता जा रहा है। लोग अपने मौलिक अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, और सरकार के खिलाफ बढ़ते हुए विरोध ने वहां के राजनीतिक और सामाजिक हालात को और भी जटिल बना दिया है। सरकार और सुरक्षा बलों के खिलाफ प्रदर्शन जारी रहने से ये संकट और भी बढ़ सकता है, जिससे क्षेत्र में स्थिति की और बिगड़ने की संभावना है।
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में बढ़ते हुए प्रदर्शनों ने सरकार और सुरक्षा बलों के खिलाफ गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह आंदोलन इस बात का संकेत है कि PoK में राजनीतिक और सामाजिक असंतोष अब चरम पर पहुंच चुका है, और इसके परिणामस्वरूप आने वाले समय में स्थिति और अधिक जटिल हो सकती है।