उत्तर प्रदेश

मतदाता सूची में नाम जोड़ने,घटाने के लिए रिश्वत मांगने के आरोप में लेखपाल दीपा सैनी को डीएम गोंडा द्वारा सस्पेंड किये जाने पर लगा प्रश्नचिन्ह? उठे सवाल!!

गोंडा ।। मालूम हो कि अभी हाल ही में जिले में भ्रष्टाचार के खिलाफ डीएम मार्कण्डेय शाही का जीरो टॉलरेंस जारी रहने की कार्यवाही के क्रम में मतदाता सूची में नाम जोड़ने,घटाने के लिए लेखपाल द्वारा रिश्वत मांगने की शिकायत संज्ञान में आते ही डीएम श्री शाही ने ग्राम बिसवां गणेश, खरहटिया, विकासखंड पंडरीकृपाल की लेखपाल दीपा सैनी को सस्पेंड करते हुए संबंधित लेखपाल के खिलाफ जांच बैठायी है

लेखपाल एंव पर्यवेक्षकीय अधिकारियों की भूमिका तथा नियंत्रण में शिथिलता के लिए भी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम बिसवां गणेश, खरहटिया की लेखपाल दीपा सैनी द्वारा रिश्वत मांगने का प्रकरण संज्ञान में आया था

जिस पर डीएम ने कार्रवाई की है। जिलाधिकारी ने यह भी बताया है कि मतदाता सूची में नाम जोड़ने और घटाने को लेकर आई इस शिकायत का संज्ञान लेते हुए संबंधित सभी अधिकारियों का भी स्पष्टीकरण मांगा गया है।

इस कार्यवाही पर क्षेत्रीय और जिले के वरिष्ठ बुद्धिजीवी,विधि विशेषज्ञों,सामाजिक कार्यकर्ताओं निष्पक्ष लोगों ने सम्पूर्ण घटनाक्रम संबंधित वीडियो का जिसके आधार पर महिला लेखपाल दीपा सैनी के विरुद्ध एकतरफा कार्यवाही की गई है उसको गहनता और बारीकी से निष्पक्ष पारदर्शी तौर से देखने सुनने के पश्चात उक्त कार्यवाही पर सवालिया निशान लग रहा है।

वहीं सम्पूर्ण वीडियो/ कार्यवाही को संदिग्ध करार देते हुऐ किन्हीं व्यक्तियों द्वारा किसी गलत अवैधानिक कार्य को कराने और पूर्व नियोजित सोची समझी साजिश के तहत दबाव बनाकर ब्लैकमेलिंग के उद्देश्य से उक्त वीडियो बनाकर तैयार किया जाना बताया जा रहा है यहीं नहीं विधि परामर्शी कानून के जानकार लोगों का कहना है कानून के अनुरूप सक्षम प्राधिकारी जिलाधिकारी द्वारा प्रथम दृष्टया संज्ञान में लेकर वीडियो की निष्पक्ष गहनता और बारीकी से जांच करनी चाहिए थी

 उसके पश्चात संलिप्त दोषी पाये जाने वाले लोगों के विरुद्ध सुसंगत कार्यवाही किया जाना चाहिए और ऐसे प्रकरण में घूस मांगने या देने की बार बार पेशकश कर अवैधानिक कार्य ना करने पर दबाव के उद्देश्य से पूर्व नियोजित साजिशन वीडियो बनाकर ब्लैक मेलिंग करने वाले लोगों के विरुद्ध भी संवैधानिक दंडात्मक कार्यवाही होनी चाहिए थी।

जैसा कि उपरोक्त मामले में ना होने और महिला लेखपाल दीपा सैनी के विरुद्ध एक तरफा कार्यवाही पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है? इसी के साथ प्रश्नगत मामले में संबंधित लोगों द्वारा किसी बदले की भावना या नाजायज दबाव में सैनी के कार्य ना करने से अथवा राजनैतिक या जातिगत द्वेषवश उन्हें प्रताड़ित करने हेतु योजनाबद्ध तरीके से साजिशन फंसाया गया प्रतीत होता है।

यदि प्रश्नगत संबंधित वीडियो में हो रहे वार्तालाप, तथ्यों की गहनता बारीकी से संज्ञान में लेकर निष्पक्ष रूप से संपूर्ण पहलुओं की जांच अनुश्रवण एंव अवलोकन किया जाय तो वास्तविकता खुद बखुद सामने आ सकती है और सम्पूर्ण मामले का पर्दाफाश हो सकता है।

गौरतलब हो कि जिस वीडियो के आधार पर महिला लेखपाल सैनी को संस्पेंड किया गया है उस वीडियो को बारीकी और निष्पक्ष तरीके से देखने पर किसी व्यक्ति द्वारा अनुचित गलत कार्य को कराने हेतु लगातार दबाव बनाकर सुविधाशुल्क देने की बार बार पेशकश की जा रही है जिससे यह संदेहास्पद प्रतीत हो रहा है।

विधि परामर्शी कानून के जानकार लोगों का कहना है कि कानून के अनुरूप सक्षम प्राधिकारी जिलाधिकारी द्वारा प्रथम दृष्टया वीडियो की निष्पक्ष गहनता और बारीकी से जांच करनी चाहिए थी और उसके पश्चात संलिप्त दोषी पाये जाने वाले लोगों के विरुद्ध सुसंगत कार्यवाही किया जाना चाहिए

ऐसे प्रकरण में घूस मांगने या देने की बार बार पेशकश कर अवैधानिक कार्य ना करने पर दबाव के उद्देश्य से पूर्व नियोजित साजिशन वीडियो बनाकर ब्लैक मेलिंग करने वाले लोगों के विरुद्ध भी संवैधानिक दंडात्मक कार्यवाही होनी चाहिए थी!

अहम बात यह है कि देश में कानूनन जब घूस लेना और देना दोनों अपराध है तो कार्यवाही एकतरफा क्यों और घूस देने की बात करने,कहने वाले पर कार्यवाही डीएम के द्वारा क्यों नहीं और कब की जायेगी? क्या यह जीरो टॉलरेंस में नही आता।

News Desk

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