मोगा: वेदांता नंद जी के पूजनीय स्थल पर पाखंडियों की बुरी नजर
मोगा शहर की धरोहर गीता भवन ट्रस्ट एवं वेदांता नंद जी के पूजनीय स्थल पर आज पाखंडियों की बुरी नजर है। पिछले कुछ समय से मोगा शहर वासियों की तरफ से स्वामी सहज प्रकाश जी की आकस्मिक मृत्यु एवं गीता भवन से जुड़े प्रॉपर्टी विवाद को लेकर सीबीआई जांच की गुहार लगाई गई थी
आज उस कड़ी में गीता भवन ट्रस्ट पर ऑब्जर्वर/ रिसीवर लगाने के लिए मोगा शहर वासियों की तरफ से भारत सरकार को एक मांग पत्र जमा कराया गया।
गीता भवन के कुछ ट्रस्टियों द्वारा षोडशी भंडारा मोगा में नहीं कराने के लिए तर्क दिया गया था कि संतों से और पावन धाम के कुछ सदस्यों से उनकी सहमति नहीं बैठी थी
लेकिन उसके बाद ट्रस्ट की बिना कानूनी रजामंदी के गीता भवन की गद्दी पर एक सेवादार को बैठा दिया गया, जो मोगा वासियों के साथ एक धोखा है। एक षड्यंत्र के तहत कुछ लोग गीता भवन को पाखण्डियों के हाथ बेचना चाहते हैं।
गीता भवन ट्रस्ट के संबंध में कई फैसले ऐसे लिए जा रहे हैं जिसमें ज्यादातर ट्रस्टियों की सहमति नहीं ली जा रही है और अपने स्वार्थ के लिए कुछ लोग गीता भवन और पवन धाम को हड़पने के लिए योजना बना रहे हैं।
हरिद्वार में कुंभ का मेला अगले दो-तीन महीने बाद आने वाला है जहां तकरीबन 5 से 6 करोड़ की आमदनी पावन धाम को होने वाली है और इसी आमदनी पर पाखंडियों की बुरी नजर है।
हरिद्वार में संचालित पावन धाम आश्रम की सेवा कर रहे संत अनुज ब्रह्मचारी ने ट्रस्ट के सदस्य स्वामी कमल पुरी महाराज के खिलाफ एसएसपी हरिद्वार को शिकायत देकर स्वामी सहज प्रकाश की हत्या की आशंका जताई है।
आरोप लगाए हैं कि बीमारी के बहाने स्वामी सहज प्रकाश को हरिद्वार से मोगा लाकर उनकी करोड़ों रुपये की संपत्ति हथिया ली गई। वहीं स्वामी कमल पुरी महाराज ने आरोपों को खारिज कर दिया है।
गौरतलब है कि जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर व गीता भवन ट्रस्ट के चेयरमैन रहे स्वामी सहजप्रकाश जी लगभग दो महीने की बीमारी के बाद 14 अप्रैल को चिर निद्रा में विलीन हो गए थे।
उसके बाद से ही प्रोपर्टी को लेकर विवाद शुरू हो गया था, क्योंकि बीमारी के दिनों में ही स्वामी सहज प्रकाश ने ट्रस्ट की प्रोपर्टी की वसीयत दो साध्वियों के नाम कर दी थीं, ये साध्वियां पहले सिरसा डेरे की सेवादार थीं, बाद में यहां आ गई थीं।