सीएए विरोध पर बवाल को एक साल पूरा, सभी दर्ज मामलों की विवेचनाएं लम्बित
मुजफ्फरनगर। नागरिकता कानून संशोधन के विरोध में शहर में हुए जबर्दस्त बवाल को एक साल पूरा हो चला है, लेकिन इस बवाल के बद दर्ज किए गए 49 अभियोग में अब भी सभी विवेचना लम्बित चल रही है।
पुलिस बवाल के 104 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर चुकी है। बवाल के मुख्य सूत्रधारों की गिरफ्तारी एक साल बाद भी नहीं हुई है। पुलिस अब भी उनके खिलाफ सुबूत जुटाने के प्रयास किए जाने के दावे कर रही है। किसान आंदोलन में भी बवाल के आरोपी शामिल रहे जिनमें से एक की गिरफ्तारी पुलिस ने पिछले दिनों ही प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने की।
20 दिसम्बर 2019 को नागरिकता कानून संशोधन को लेकर शहर के मिनाक्षी चौक व मदीना चौक पर उपद्रवियों ने जबदस्त बवाल किया था। बवाल में पुलिस पर हमला करते हुए वाहनों में आगजनी, पथराव व फायरिंग की गयी।
मिनाक्षी चौक पर उपद्रवियों ने तत्कालीन एसपी सिटी सतपाल ऑतिल को पैर में गोली मार दी थी। बवाल के दौरान चलाई गई गोली लगने से नूर मोहम्मद उर्फ नूरा निवासी खालापार की मौत हो गई थी।
उसको गोली मारकर हत्या करने वालों की आज तक शनाख्त नही की जा सकी है। मदीना चौक पर उपद्रवियों ने पुलिसकर्मियों को मकान में ही जिंदा जलाने का भी प्रयास किया था।
चार घंटे चले जबरदस्त बवाल में मेरठ से आए एडीजी प्रशांत कुमार भी घायल हो गए थे। उपद्रवियों ने पुलिस व नागरिकों के वाहनों को आग के हवाले कर दिया। बवाल इतना जबर्दस्त था कि हिंसा के बाद शहर कोतवाली व थाना सिविल लाइन में उपद्रवियों के खिलाफ कुल 49 मुकदमे दर्ज किए गए थे।
इसमें कई प्रमुख लोग भी नामजद कराए गए थे। बवाल को एक साल पूरा हो चुका है। इस मामले में पुलिस अभी 111 आरोपियों को जेल भेज चुकी है, जिनमे सें 104 के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गयी है।
मुकदमों में नामजद प्रमुख आरोपियों को पुलिस ना तो क्लीन चिट दे पा रही है और ना ही उनकी गिरफ्तारी कर पा रही है। एक साल बाद भी सभी विवेचनाएं लम्बित चल रही है।