कोरोना वायरस की दहशत इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर लोगों के उत्साह पर भारी पड़ी
मुजफ्फरनगर। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का हर्षाल्लास इस बार वैसा नहीं रहा। वैश्विक महामारी की दहशत के चलते इस बार मंदिर तो सजाए गए, लेकिन हर साल की तरह भव्य झांकियां नदारद रही। गली मोहल्लों में भी झांकी नहीं लगाई गई।
मंदिरों में बुधवार को मंगलवार की अपेक्षा श्रद्धालुओं की संख्या भी अधिक रही।श्वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की दहशत इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर लोगों के उत्साह पर भारी पड़ी है। बुधवार भक्तों ने जन्माष्टमी पर्व ़ मनाया। घरों में ही लड्डू गोपालजी का मंदिर रंगीन रोशनी से सजाया गया। ठाकुरजी का भव्य श्रृंगार किया गया।
कोविड-१९ के साये में इस बार मंदिर तो हर बार की तरह ही सजाए गए, लेकिन हर साल नजर आने वाली भव्य झांकियां नदारद रहीं। मंदिर प्रांगण में हर वर्ष रहने वाली श्रद्धालुओं की भारी भीड़ भी कहीं नहीं दिखाई दी।
शहर के गांधी कॉलोनी स्थित श्रीगोलोक धाम, श्रीबालाजी धाम, श्रीगणेश धाम, श्रीलक्ष्मी नारायण मंदिर गांधी कॉलोनी, संकीर्तन मंदिर नई मंडी और आत्मबोध योग आश्रम नदी रोड मंदिर में हर साल सबसे अधिक श्रद्धालु देर रात तक भव्य झांकियों का आनंद उठाते थे। इस बार मंदिर प्रांगण हर वर्ष की अपेक्षा सूने-सूने रहे।
श्रद्धालुगण मंदिर तो पहुंचे, लेकिन वहां केवल बांके बिहारी को पालना झुलाने के बाद प्रसाद चढ़ाकर लौट आए। इस बार अमरनाथ गुफा, मां वैष्णो देवी का दरबार आदि झांकी भी नहीं लगी। यहां तक की पुलिस लाइन में भी कोई कार्यक्रम नहीं हुआ।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर हर साल शहर के सभी प्रमुख मंदिरों में सजाईं गईं भव्य झांकियों को देखने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते थे, जिनके साथ बड़ी संख्या बच्चों की भी होती थी। मंदिरों के दर्शन कर लौटते समय बच्चे मंदिरों के बाहर खिलौने भी खरीदते थे। इस बार ये सब नदारद है।
यही वजह रही कि इस बार मंदिरों के बाहर खिलौने वाले तो खड़े मिले, लेकिन खरीदारी न होने से सबके चेहरे मायूस दिखाई दिए। मोहल्ला रामलीला टिल्ला निवासी राजेंद्र कहते हैं कि हर साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर हजारों रुपयों के खिलौने बिकते थे
इस बार भी जन्माष्टमी के लिए खिलौने खरीदे थे, लेकिन बिक्री पहले की भांति नहीं हुई हालांकि मंगलवार की अपेक्षा बुधवार को फिर भी खिलौने वालों के चेहरे खिले दि दिये।