Vrindavan: होमगार्ड की उगाही से परेशान ई-रिक्शा चालक ने परिवार सहित की आत्मदाह की कोशिश
पुलिस भ्रष्टाचार की समस्या भारत में गंभीर मुद्दा है, जो समाज के नैतिकता और कानूनी व्यवस्था को खतरे में डाल सकता है। यह एक मामूली घटना नहीं है, बल्कि एक अंधाधुंध चलन है जो देश के विकास को रोक सकता है। गत कुछ वर्षों में, यह समस्या गहराई से उभरती जा रही है, जिससे समाज में अविश्वास और निराशा का माहौल फैल रहा है।
मथुरा के वृंदावन में हुई इस घटना ने फिर एक बार इस विवादित मुद्दे को सामने ला दिया है। जिसमें एक ई-रिक्शा चालक को होमगार्ड द्वारा सुविधा शुल्क की मांग से परेशान किया गया। इसके परिणामस्वरूप, चालक ने आत्मदाह का प्रयास किया, जो सामाजिक और मानवीय दृष्टि से अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
तीर्थनगरी मथुरा के Vrindavan में रतनछतरी क्षेत्र में होमगार्ड द्वारा सुविधा शुल्क की मांग से परेशान एक ई-रिक्शा चालक ने अपने और पत्नी व बच्चों पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगाने की कोशिश की। आसपास मौजूद लोगों ने चालक को रोककर उसकी जान बचाई।
वृंदावन स्थित रतनछतरी क्षेत्र निवासी पिंटू ने बताया वह ई-रिक्शा चलाकर परिवार का भरण पोषण कर रहा है। मंगलवार दोपहर यातायात के 4 होमगार्डों ने उसे परिक्रमा मार्ग स्थित बराहा घाट के पास रोक लिया। ई-रिक्शे पर रूट का क्यूआर कोड, स्टीकर न होने पर कार्रवाई का भय दिखाकर रकम की मांग की। उसे पकड़ कर मदन मोहन मंदिर के सामने पार्किंग में ले गए। उसने अपनी पत्नी व बच्चों को बुलाकर वाहन छोड़ने की मिन्नतें कीं।
इस पर भी होमगार्ड नहीं मानें तो उसने आत्मदाह करने के लिए अपने, पत्नी व तीन बच्चों पर पेट्रोल उड़ेलकर आग लगाने की कोशिश की। इससे मौके पर अफरातफरी मच गई। मौके पर मौजूद लोगों ने ई रिक्शा चालक को रोका। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। पिंटू ने बताया कि उसने रूट आवंटन के लिए एक माह पूर्व ई-रिक्शा चालक समिति से रसीद कटवा ली थी। उसे अभी तक रूट नंबर नहीं मिला है।
ई-रिक्शा चालक समिति के अध्यक्ष ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया प्रशासन द्वारा निर्धारित संख्या पूरी हो चुकी है। अन्य रूट का नंबर उसे आवंटन कर दिया जाएगा। कोतवाली प्रभारी आनंद कुमार शाही ने बताया ई- रिक्शा चालक और होमगार्ड के बीच किसी तरह का मामला संज्ञान में नहीं है। शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना से स्पष्ट होता है कि भ्रष्टाचार ने भारतीय समाज को अपने अंदर लपेट लिया है। यह एक ऐसी बीमारी है जो हमारे समाज के नेतृत्व और प्रशासनिक तंत्र को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है। जब एक सामान्य व्यक्ति को अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है, तो उसकी आत्मविश्वास और विश्वासनीयता पर धारा पड़ती है।
भ्रष्टाचार की इस समस्या का हल तभी मुमकिन है जब हम समाज में नैतिकता और सच्चाई की प्रेरणा को बढ़ावा दें। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने आस-पास के भ्रष्ट अभियंताओं को चुनौती दें और उन्हें सजा दिलाने के लिए साहसी खड़ा हों।
इस मामले में, होमगार्ड के कर्मचारियों की कृपा से यह घटना बड़ी आपत्तिजनक साबित हुई है। इसकी सीधी निंदा होनी चाहिए और इस प्रकार के अनुचित आचरण के लिए कड़ी सजा होनी चाहिए। साथ ही, लोगों को जागरूक करने की जरूरत है कि वे अपने अधिकारों को जानें और उन्हें प्राप्त करने के लिए लड़ें।
भ्रष्टाचार को रोकने के लिए हमें सामाजिक जागरूकता और कानूनी उपायों को मजबूत करने की आवश्यकता है। हमें एक सकारात्मक और सुरक्षित समाज के लिए साथ मिलकर काम करना होगा, जहां हर व्यक्ति को न्याय मिले और कोई भी भ्रष्टाचारी बच न पाए। इसके लिए हमें सभी का सहयोग और सहभागिता चाहिए।