Firozabad: बेटा गया Foreign, तो ससुर ने कर ली पुत्रवधू से ही कोर्ट मैरिज…बेटे की आंखों में आंसू
समाज में एक संवेदनशील विषय के रूप में, रिश्तों के मामलों की विभिन्न पहलुओं को देखते हुए, हमें सोचने पर मजबूर कर देता है। फिरोजाबाद जिले के इस मामले में एक बेटे के ससुर ने अपनी ही बेटी की पत्नी से कोर्ट में शादी कर ली है, जिससे सामाजिक उतार-चढ़ाव और मानवीय इतिहास में एक नया चेहरा सामने आता है। यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति के व्यक्तिगत निर्णय का परिणाम नहीं है, बल्कि यह समाज में एक मोरल के सवाल को उठाता है।
Firozabad जिले में एक ससुर ने अपने ही बेटी की पत्नी से कोर्ट में जाकर शादी कर ली। बेटा नौकरी करने परदेश गया हुआ था। जब वो वापस आया तो जानकारी हो सकी।फरिहा में नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात सफाईकर्मी ने अपनी पुत्रवधू से ही कोर्ट मैरिज कर ली। वह उसे लेकर छह महीने से शहर में रह रहा है। मामले की जानकारी होने के बाद पत्नी ने उसके विरुद्ध पुलिस को शिकायती पत्र दिया है।
बेटे ने पिता पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि, ‘मैं जसराना क्षेत्र में रहता हूं. पिता की मौत के बाद मां ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के साथ दूसरा विवाह कर लिया था. मेरे पिता वेतन को मेरी पत्नी पर खर्च करने लगे और अपनी बातों से इसे प्रेमजाल में फंसा लिया. मैंने दोनों के प्रेम संबंधों का विरोध किया था. मेरी मां को जब इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने भी इसका विरोध किया. पिता ने किसी की एक न सुनी. वह मेरी पत्नी को लेकर फरार हो गए और कोर्ट मैरिज भी कर ली है.’
पीड़ित ने कानून से न्याय की गुहार लगाते हुए थाना फरिहा में लिखित प्रार्थना पत्र दिया है. पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है. थाने पहुंचे पीड़ित बेटे की आंखों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. पिता की करतूत पर बेटा शर्मिंदा हो रहा था. मां का कहना था कि उन्हें नहीं पता था कि उनका पति इस प्रकार की हरकत कर सकता है. अब उनका पति बेटे की बहू को लेकर गांव में ही रह रहा है.
सफाईकर्मी की उम्र 45 वर्ष है। उसकी ड्यूटी सप्ताह में तीन-तीन दिन फरिहा और हाथवंत स्वास्थ्य केंद्र पर रहती है। उसने करीब 25 वर्ष पहले एक महिला से दूसरी शादी की थी। उससे उसके तीन बेटे हुए। बड़े बेटे की शादी उसने पांच वर्ष पहले बिहार, गोपालगंज के गांव बरौली निवासी युवती से की थी।
बेटे की नौकरी के परदेश जाने के बाद, इस मामले में एक बड़ी दुखद स्थिति की व्याख्या होती है। बेटे की गैरहाजिरी के कारण उसके पिता को अपने घर की जिम्मेदारी लेने की आवश्यकता महसूस हुई होगी, जिससे उन्होंने ऐसा कदम उठाया। लेकिन इसके साथ ही, उनकी इस कार्रवाई ने उनकी बेटी के साथ विश्वासघात किया है और समाज में उन्हें शर्मसार कर दिया है।
इस मामले में एक और बात जो ध्यान खींचती है, वह है इस प्रकार की शादी जो कभी-कभी ‘कोर्ट मैरिज’ के रूप में जानी जाती है। यह शादी के रिश्ते को एक कानूनी दृष्टिकोण से मान्यता देने का तरीका होता है, लेकिन इसके साथ ही यह समाज में अस्वीकृति का सिर्फ एक रूप बन जाता है। इस प्रकार के रिश्तों में सामाजिक स्वीकृति की कमी होती है, जो रिश्तों को और भी अधिक परेशानी में डाल सकती है।
एक और घटना फरिहा में दिख रही है, जो कि इस मुद्दे को और भी गंभीर बनाती है। यहां एक सफाईकर्मी ने अपनी पुत्रवधू के साथ कोर्ट मैरिज की है, जिससे उनके बीच के सम्बन्धों में गहरी उलझनें पैदा होती हैं। सामाजिक मानदंडों और नैतिकता की दृष्टि से, ऐसे कार्यों को देखकर हमें चिंता होनी चाहिए।
यहां उठने वाले प्रश्न उन्हीं नैतिक मूल्यों के बारे में हैं, जो हमारे समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। धर्म, नैतिकता, और सामाजिक मानदंडों के प्रति आदर रखना हमारे समाज के सांस्कृतिक और नैतिक विकास में अहम भूमिका निभाता है। इन मामलों के माध्यम से हमें यह स्मरण कराया जाता है कि हमें अपने समाज में नैतिकता और ईमानदारी को बनाए रखने की आवश्यकता है।
यहां हमें यह भी सोचने की आवश्यकता है कि क्या हम ऐसे चरित्र के विरुद्ध किसी भी कार्रवाई के पक्ष में खड़े होते हैं, जो सामाजिक मानकों के खिलाफ होती है। क्या हम ऐसे मामलों को उचित दृष्टिकोण से देखते हैं और उन्हें नैतिकता के संरक्षण में सहायक बनने का प्रयास करते हैं, या फिर हम इन मुद्दों को नजरअंदाज करते हैं और समाज में अव्यवस्था को बढ़ावा देते हैं।
अतः, इन सामाजिक मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है और हमें समाज में नैतिकता और समाजिक मानकों को बनाए रखने के लिए साथ मिलकर काम करना चाहिए। नकली और अवैध रिश्तों के प्रति हमें अवगत रहना चाहिए और इन्हें रोकने के लिए उपायों को अपनाने की आवश्यकता है। निष्कर्ष स्वरूप, हमें अपने समाज में नैतिकता, ईमानदारी, और समाजिक सद्भाव को बनाए रखने का संकल्प लेना चाहिए।