उत्तर प्रदेश

क्या सच्ची पत्रकारिता करना जुर्म था शहीद विक्रम जोशी का? प्रशासन के मदद के दावे फैल, परिवार दाने-दाने को मोहताज़

गाजियाबाद। स्वर्गीय पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या हुए लगभग एक वर्ष बीत चुका है। एक वर्ष पहले ही माता कालोनी में बदमाशों द्वारा विक्रम जोशी के सिर में गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी

जिसके बाद पत्रकारों ने एकजुटता दिखाते हुए जमकर हंगामा किया था और स्वयं सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना पड़ा था। पत्रकारों की जिद के आगे स्वयं यशोदा अस्पताल परिसर में गाजियाबाद जिलाधिकारी व एसएसपी पहुंचे थे और पत्रकारों को शांत कराते हुए यह आश्वासन दिया था कि स्वर्गीय विक्रम जोशी की पत्नी को नौकरी दी जाएगी, बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दिलायी जाएगी।

उक्त आश्वासन देकर आला अधिकारी वहां से चले गए। इस हादसे को लगभग एक वर्ष बीत चुका है, लेकिन आज तक स्वर्गीय विक्रम जोशी की पत्नी को नौकरी नहीं मिल पायी है

जिससे परिवार की हालत काफी ज्यादा दयनीय हो गयी है। परिवार के लोगों ने बताया कि तभी से जिलाधिकारी के यहां नौकरी के लिए लगातार चक्कर लगाये जा रहे हैं और प्रार्थना की जा रही है परिवार का भरण पोषण करने की दुहाई देकर नौकरी की मांग की जा रही है। लेकिन गाजियाबाद प्रशासन इस ओर से आंखे मूंदकर बैठा है।

पत्रकार विक्रम जोशी के जाने के बाद उनके परिवार में कमाने वाला कोई भी शेष नहीं रहा है उनकी मां जो कि अब वृद्ध हो चुकी हैं और अधिकांश तबियत खराब रहती है बावजूद इसके वह लगातार अपनी बहु की नौकरी के लिए जिलाधिकारी के यहां चक्कर लगाती रहती है लेकिन आज तक नौकरी की व्यवस्था नहीं हो पायी।

स्वर्गीय विक्रम जोशी का परिवार सरकार से पूछता है कि क्या विक्रम जोशी की गलती यह थी कि उसने गलत लोगों के खिलाफ अपनी आवाज बुलन्द की थी जिसका खामियाजा उन्हें अपनी जान देकर चुकाना पड़ा था और अब परिवार चुका है।

स्वर्गीय पत्रकार की मां ने बताया कि विक्रम जोशी के जाने के बाद घर में खाने तक लाले पड़े हुए हैं और कोई नौकरी न होने की वजह से सभी मुफलिसी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं। पीड़ित परिवार ने कहा कि हम सरकार से मांग करते हैं कि जल्द ही हमारे लिए नौकरी दिलायी जाए।

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