भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर जहाँ पुजारी करता है आँख नाक और मुँह पर पट्टी बांधकर पूजा !
ऐसे ही आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बार एमए बताते है जिसमे भगवान के दर्शन के लिए भक्त अंदर मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता है इस मंदिर में चाहे कितना भी बड़ा व्यक्ति आ जाये उसे मंदिर परिसर में घुसने की अनुमति नहीं है।
यहाँ तक की मंदिर के पुजारी भी कई नियमो के साथ इस मंदिर में प्रवेश करते है और पूजा करते है इस मंदिर में पुजारी मुँह ,आंख और नाक पर पट्टी बांधकर मंदिर के देवता की पूजा करते है
जो भक्त इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं उन्हे मंदिर परिसर से लगभग 75 फीट की दूरी पर रहकर पूजा-पाठ करना होता है और यही से वो अपनी मनचाही मुराद भी मांगते हैं।
ये विचित्र मंदिर है उत्तराखंड के चमोली जिले के देवाल नामक ब्लॉक में इस मंदिर को देवस्थल लाटू के नाम से जाना जाता है क्योंकि यहाँ पर लाटू देवता की पूजा होती है
इस मंदिर के कपट साल में केवल एक ही बार खुलते है बैसाख माह की पूर्णिमा को इस दिन लाटू देवता की पूजा करने के लिए पुजारी आँख ,मुँह और नाक पर पट्टी बांधकर कपाट खोलते है और भक्तजन दूर से ही भगवान कर दर्शन करते है।
इस मंदिर से संबंधित कई कथाये प्रचलति है लाटू देवता उत्तराखंड की अर्ध्य नंदा देवी के धर्म भाई है उत्तराखंड में हर 12 साल में श्रीनंदा देवी की राज यात्रा का आयोजन होता है वांण गांव इसका 12वां पड़ाव है।
ऐसा कहा जाता है कि लाटू देवता वांण से लेकर हेमकुंड तक अपनी बहन नंदा देवी की अगवानी करते हैं लेकिन आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा की आखिर क्यों इस मंदिर में भक्तो का प्रवेश वर्जित है।
ऐसा कहा जाता है की इस मंदिर में स्वयं नागराज अपने बहुत ही भव्य रूप में अपनी मणि के साथ विराजमान है ये उनका निवास स्थान है नागराज को मणि के साथ देखना हर किसी के बस की बात नहीं है
इसलिए यहाँ पर लोगो का आना वर्जित है और इसीलिए पुजारी भी मुँह पर पट्टी बनधकर पूजा करते है।
इसके आलावा एक और ये मान्यता है जिसके अनुसार मणि को रोशनी इतनी तेज़ है कि जो इंसान उसे देख लेगा वो अपनी आंखों की रोशनी खो बैठेगा और साथ ही मंदिर में उपस्थित पुजारी के मुंह की गंध देवता को महसूस नहीं होनी चाहिए और न ही नागराज की विषैली गंध पुजारी के नाक तक पहुंचनी चाहिए, इसलिए वे नाक-मुंह पर पट्टी लगाते हैं।