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कंधे पर हाथ रखना पड़ा भारी! New Zealand के मंत्री एंड्रयू बेली का सनसनीखेज इस्तीफा

राजनीति की दुनिया में हर दिन कोई न कोई नया विवाद जन्म लेता है, लेकिन New Zealand की सियासत में जो हुआ, वह अपने आप में हैरान कर देने वाला है। वाणिज्य मंत्री एंड्रयू बेली (Andrew Bayly) को सिर्फ एक कर्मचारी के कंधे पर हाथ रखने की वजह से इस्तीफा देना पड़ा। यह घटना न केवल न्यूज़ीलैंड बल्कि दुनियाभर की राजनीति में चर्चा का विषय बन गई है।

क्या सच में ‘शाबाशी’ भी अपराध बन सकती है?

अगर आप भारत या कई दूसरे देशों में किसी कर्मचारी को पीठ थपथपा दें, उसे कंधे पर हाथ रखकर सराहना दे दें, तो इसे सामान्य व्यवहार माना जाएगा। लेकिन न्यूज़ीलैंड में इसका अंजाम कुछ और ही निकला। एक सत्तारूढ़ पार्टी के वरिष्ठ मंत्री का करियर सिर्फ इसलिए संकट में पड़ गया क्योंकि उन्होंने एक सरकारी कर्मचारी के कंधे पर हाथ रखा था।

इस घटना के बाद न्यूज़ीलैंड में “वर्कप्लेस एथिक्स” (कार्यस्थल नैतिकता) पर गरमागरम बहस छिड़ गई है। क्या वास्तव में यह एक अनैतिक हरकत थी? क्या यह सत्ता का दुरुपयोग था या फिर एक छोटी-सी गलती का अनावश्यक मुद्दा बना दिया गया?

कैसे बढ़ा विवाद?

घटना पिछले हफ्ते की है जब एंड्रयू बेली ने एक सरकारी कर्मचारी के काम से खुश होकर उसके कंधे पर हाथ रख दिया। इसे “असुविधाजनक और अनुचित शारीरिक संपर्क” (inappropriate physical contact) के रूप में देखा गया। इसके बाद सोशल मीडिया से लेकर विपक्ष तक ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। बेली ने विरोध को गंभीरता से लेते हुए आखिरकार सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

मंत्री ने कहा:

“मुझे इस घटना का बहुत दुख है। मेरा उद्देश्य सिर्फ उत्साहवर्धन करना था, लेकिन अगर किसी को यह अनुचित लगा हो, तो मैं इसके लिए माफी मांगता हूं।”

क्या वाकई इतनी बड़ी गलती थी?

बेली के इस कृत्य को कुछ लोग ‘दबंगई’ (bullying behavior) मान रहे हैं, जबकि कुछ लोग इसे एक सामान्य कार्यस्थल प्रतिक्रिया के रूप में देख रहे हैं। न्यूजीलैंड में वर्कप्लेस एथिक्स को लेकर कड़े नियम हैं। सत्ता का दुरुपयोग रोकने और किसी भी तरह की असहज स्थिति से बचने के लिए सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच सीमित शारीरिक संपर्क की नीति लागू की गई है।

प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन (Christopher Luxon) ने इस मामले को गंभीरता से लिया और तुरंत एंड्रयू बेली से इस्तीफा मांग लिया। विपक्षी लेबर पार्टी (Labour Party) ने भी इस मुद्दे को लेकर सरकार की आलोचना की और कहा कि सरकार इसे सही ढंग से संभालने में विफल रही।

मंत्री ने कहा – परिवार से भी मांगी माफी

इस्तीफे के बाद एंड्रयू बेली ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्होंने इस मामले को लेकर अपने परिवार से भी माफी मांगी।

“मुझे उम्मीद नहीं थी कि यह इतना बड़ा मुद्दा बन जाएगा। लेकिन चूंकि लोग इसे गलत मान रहे हैं, इसलिए मैंने खुद को जिम्मेदार मानते हुए इस्तीफा दे दिया।”

उन्होंने यह भी कहा कि उनका यह निर्णय दूसरों के लिए एक “मानक स्थापित” करेगा कि किसी भी प्रकार का असहज शारीरिक संपर्क स्वीकार्य नहीं है, चाहे वह कितनी भी छोटी बात क्यों न हो।

क्या संसद से भी देंगे इस्तीफा?

जब प्रधानमंत्री लक्सन से पूछा गया कि क्या एंड्रयू बेली को संसद की सदस्यता से भी इस्तीफा देना चाहिए, तो उन्होंने जवाब दिया:

“उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा देकर अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर दी है। इससे अधिक क्या चाहिए?”

इसका मतलब यह हुआ कि बेली अब भी संसद सदस्य बने रहेंगे, लेकिन मंत्री पद की जिम्मेदारी नहीं संभालेंगे।

2014 से राजनीति में सक्रिय एंड्रयू बेली

एंड्रयू बेली 2014 में सत्तारूढ़ नेशनल पार्टी (National Party) के सांसद के रूप में न्यूज़ीलैंड की संसद में चुने गए थे। 2023 में क्रिस्टोफर लक्सन सरकार बनने के बाद उन्हें वाणिज्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री, छोटे व्यवसाय मंत्री, विनिर्माण मंत्री और सांख्यिकी मंत्री के पद पर नियुक्त किया गया था। लेकिन अब उनका राजनीतिक करियर एक विवाद की भेंट चढ़ गया है।

दुनियाभर में अलग-अलग नियम

यह मामला दुनिया के बाकी देशों के लिए भी एक दिलचस्प बहस छेड़ चुका है। जहां भारत, अमेरिका और कई अन्य देशों में किसी को शाबाशी देने के लिए कंधे पर हाथ रखना सामान्य बात है, वहीं न्यूजीलैंड में इसे अनुचित माना गया।

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि “मीटू मूवमेंट” (MeToo Movement) के बाद कार्यस्थल पर शारीरिक संपर्क को लेकर नियम पहले से ज्यादा सख्त हो गए हैं। पश्चिमी देशों में कोई भी शारीरिक संपर्क (चाहे वह दोस्ताना हो) तब तक स्वीकार्य नहीं माना जाता जब तक कि सामने वाला उसकी सहमति न दे।

क्या यह नया ट्रेंड बनेगा?

इस घटना ने सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच व्यवहार को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह मामला केवल न्यूजीलैंड तक सीमित रहेगा, या फिर दूसरे देश भी इस तरह की कठोर कार्यस्थल नीतियों को अपनाएंगे?

 राजनीति में कोई भी गलती भारी पड़ सकती है!

एंड्रयू बेली का इस्तीफा इस बात का प्रमाण है कि राजनीति में एक छोटी-सी गलती भी किसी के करियर पर भारी पड़ सकती है। कार्यस्थल पर व्यवहार के नियम भले ही हर देश में अलग हों, लेकिन एक चीज़ जो समान रहती है – वह है जनता की प्रतिक्रिया।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह मामला केवल एक राजनीतिक विवाद बनकर रह जाता है, या फिर इससे न्यूज़ीलैंड की राजनीति में बड़े बदलाव आते हैं।

आप इस मामले पर क्या सोचते हैं? क्या कंधे पर हाथ रखना सच में इतना बड़ा मुद्दा है? कमेंट में बताएं!

News-Desk

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