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सदाबहार है मैकेनिकल इंजीनियरिंग: रिसर्च के साथ-साथ देश विदेश में नौकरी की अपार संभावनाएँ- ड़ा0 राजुल गर्ग

मैकेनिकल अथवा यांत्रिकी इंजीनियरिंग की प्राचीनतम विधा है जिसका ज्ञात इतिहास 18वीं शताब्दी में यूरोप में हुई औद्योगिक क्रांति से जुड़ा हुआ है! 19वीं शताब्दी में इसका विकास हुआ जिसमे कुछ भौतिकी के सिद्धांत एवं भाप द्वारा चालित रेल इंजन का आविष्कार प्रमुख हैं!

हालांकि, यांत्रिकी का प्रादुर्भाव 3500 वर्ष ईसा पूर्व पहिये के आविष्कार के रूप में माना जाता है! आध्यात्मिक रूप से यांत्रिकी के सिद्धांत का प्रयोग महाभारत के युद्ध में भगवान् कृष्ण द्वारा दिए गए गीताउपदेश में आत्मा रूपांतरण के रूप में सामने है जिसको बहुत बाद में प्राख्यात वैज्ञानिक एवं दार्शनिक इसाक न्यूटन ने ऊर्जा रूपांतरण  के सिद्धांत के रूप में दुनिया के सामने रखा!

इस सिद्धांत को आधार मान कर विभिन्न तकनीकों का विकास भी हुआ! इस विधा की समावेशी प्रकृति होने के कारण मैकेनिकल इंजीनियरिंग आज भी उतनी ही प्रासंगिक है! इसका लचीला स्वरुप इसको एक अंतः विषयक विधा के रूप में मान्यता देता हैं!

इंजीनियरिंग की इस विधा में वर्तमान में अगर सम्भावनायें दिखाई देती हैं तो भविष्य भी स्वर्णिम ही दिखाई देता है! निम्न सेक्टरों में इस विधा के स्किल्ड प्रोफेशनल्स के लिए अपार संभावनाए है:

एयरोस्पेस कार्यक्रम

आज भारत अंतरिक्ष अन्वेषण में एक विश्व शक्ति है! यह केवल इसके वैज्ञानिकों की इच्छा शक्ति के कारण ही संभव हो पाया है क्योंकि एक तीसरी दुनिया का देश होने के कारण भारत के पास वह संसाधन नहीं थे जो अन्य शक्ति संपन्न देशों के पास थे! आज भारत के खाते में मिशन चंद्रयान है तो मिशन मंगल भी है!

इसके पूर्व अंतरिक्ष में लांच किये गए आर्यभट, भास्कर, एप्पल, रोहिणी आदि उपग्रह एवं सॅटॅलाइट लॉन्चिंग विहकल एसएलवी 3 एवं एएसएलवी इसरो की सफलता की कहानी बड़े गर्व से कहते हैं!

सितम्बर 2012 में इसरो ने देश का पहला पोलर सॅटॅलाइट लॉन्चिंग विहकल, फ्रांस का स्पॉट 6 एवं जापान का पोइटर्स को कक्षा में स्थापित कर अपना 100वा स्पेस मिशन पूरा किया! यह देख कर लगता है कि भारत ही भविष्य की अंतरिक्ष महाशक्ति है एवं इसमें कार्यरत वैज्ञानिकों का भविष्य भी स्वर्णिम एवं सुरक्षित है!

मैकेनिकल इंजीनियर्स के लिए ऐरोस्पेस सेक्टर में अपार संभावनाएं है जिसमे राकेट इंजन, ईंधन, ढांचा, लॉन्चिंग सिस्टम से ले कर उसकी लॉन्चिंग एवं कक्षा में स्थापित करने तक की एहम भूमिका शामिल है!

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तो इस इंडस्ट्री में अंतरिक्ष की भांति अनंत संभावनाएं हैं! सीएनबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में यह इंडस्ट्री 350 बिलियन डॉलर की थी जिसके 2026 तक 558 बिलियन डॉलर एवं 2040 तक 1.1 ट्रिलियन डॉलर होने की उम्मीद है!

ऑटोमोबाइल 

ऑटोमोबाइल सेक्टर आज भारत की पहचान बन चुका है! भारत की मारूति, महिंद्रा एंड महिंद्रा, टाटा, बजाज आदि कंपनियां विश्व में अपना डंका बजा रही हैं! मैकेनिकल इंजीनियरिंग ऑटोमोबाइल सेक्टर का पर्याय हैं! विभिन्न कंपनियों के प्रमुख पदों पर मैकेनिकल इंजिनीयर्स ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं!

इस सेक्टर में भी अपार संभावनाएं दिखाई देती हैं जिसके कारण विभिन्न अंतराष्ट्रीय कंपनियां भारत में निवेश कर रही हैं! इस निवेश के कारण मैकेनिकल इंजिनीयर्स के किये ऑटोमोबाइल सेक्टर के विभिन्न क्षेत्रों जैसे उत्पादन, क़्वालिटी अश्युरेंस, मेंटेनेंस, सप्लाई चैन आदि में रोज़गार के अप्रतिम अवसर दिखाई देते हैं!

इन्वेस्टमेंट इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2021 तक भारत विश्व का तीसरा बड़ा यात्री वाहनों का बाज़ार बन जाएगा!  118 बिलियन डॉलर की इस इंडस्ट्री के 2026 तक 300 बिलियन डॉलर हो जाने की उम्मीद जताई जा रही है!

ऊर्जा

भारत का ऊर्जा सेक्टर विश्व में सबसे अधिक विविधता रखने वाले सेक्टरों में से एक है जिसमे ऊर्जा का उत्पादन परम्परागत तरीकों जैसे कोयला, जल, लिग्नाइट, प्राकृतिक गैस, एवं परमाणु संयंत्रों के द्वारा किया जाता है तो वहीँ गैर परम्परागत तरीके जैसे वायु, सौर, कृषि एवं घरेलु अपशिष्ट के द्वारा भी किया जा रहा है!

नवीकरणीय ऊर्जा अथवा रिन्यूएबल एनर्जी में भविष्य की संभावनाएं छुपी हुयी हैं! द नेशन की रिपोर्ट के मुताबिक सौर एवं वायु ऊर्जा के क्षेत्र में अगले पांच वर्षों में 330000 रोजगारों के सृजन की उम्मीद है जिसमे मैकेनिकल इंजिनीयर्स को ख़ास तौर से सोलर सैल्स के उत्पादन, प्रोजेक्ट डिज़ाइन, बिज़नेस डेवलपमेंट, परिचालन एवं मेंटेनेंस में वरीयता दिए जाने की संभावना है!

ऊर्जा के क्षेत्र में पांच बड़ी कंपनियां नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन, अडानी समूह, टाटा पावर, जेएसडब्लु एनर्जी एवं टोरेंट पावर हैं!

हीटिंग वेंटिलेशन एंड रेफ्रिजरेशन एंड एयर कंडीशनिंग

हीटिंग वेंटिलेशन एंड एयर कंडीशनिंग को एच वेक सेक्टर भी कहा जाता है! ग्लोबल वार्मिंग, शहरीकरण एवं बढ़ती क्रय शक्ति के कारण आज भारत एच वेक सेक्टर का हब कहा जाता है!

2019 में जो बाज़ार 8527 मिलियन डॉलर्स का था उसके16 प्रतिशत की दर से बढ़ने के कारण 2030 तक 31599  मिलियन डॉलर्स हो जाने की उम्मीद जताई जा रही है! कोविड 19 महामारी की रोकथाम के लिए बनायीं जा रही वेक्सीन के लिए एक निश्चित तापमान का होना अतिआवश्यक है जिसका एक मात्र समाधान कोल्ड चैन है!

यह कोल्ड चैन एच वेक इंडस्ट्री का ही एक हिस्सा है! कोल्ड चैन का प्रयोग दूध, पनीर, दवाओं, रसायन, बर्फ आदि पदार्थों के परिवहन में भी होता है!

पर्यावरण कारणों से भारत में एनर्जी एफिसिएंट एच वेक उपकरणों की मांग बढ़ी है! इस मांग ने इस क्षेत्र में मैकेनिकल इंजिनीयर्स की मांग को भी बढ़ाया है!

मैकेनिकल इंजिनीयर्स का मुख्य कार्य एनर्जी एफिसिएंट उपकरणों के रिसर्च, प्रोडक्ट डेवलपमेंट, डाटा एनालिसिस, इंस्टालेशन, मेंटेनेंस, टर्न-की प्रोजेक्ट्स एवं एच वेक उपकरणों द्वारा उत्सर्जित ऊष्मा को नियंत्रित करना है!

आधुनिक विनिर्माण पद्धति

एडिटिव मैन्युफैचरिंग आज आधुनिक विनिर्माण पद्धति का पर्याय बन चुकी है! 3डी प्रिंटिंग एडिटिव मैन्युफैचरिंग का ही एक रूप है जो कि आज आधुनिक मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस का एक अपरिहार्य हिस्सा है!

काम्प्लेक्स मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम्स में उत्पादकता एक एहम भूमिका अदा करती है, यानी कि उत्पादन की पूरी क्षमता को संतुलित तरीके से इस्तेमाल करना! जीरो डिफेक्ट भी उत्पादकता के लिए महत्वपूर्ण है! जीरो डिफेक्ट को एडिटिव मैन्युफैचरिंग के ज़रिये आसानी से प्राप्त किया जा सकता है एवं उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है!

एडिटिव मैन्युफैचरिंग मैकेनिकल इंजिनीयर्स के लिए अपार संभावनाएं ले कर आया है! 3डी प्रिंटर्स का प्रयोग आज एयरोस्पेस, रक्षा, ऑटोमोबाइल, इम्प्लांट, चिकित्सा आदि क्षेत्रों में बड़े स्तर पर हो रहा है! इस टेक्नोलॉजी की खासियत यह है कि इसमें किसी भी प्रकार का मैटेरियल जैसे मेटल, वुड, प्लास्टिक या विभिन्न धातुओं का मिश्रण बड़ी आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है एवं मनवांछित आकार में ढाला जा सकता है!

फॉर्म-लैब्स के अनुसार 2017 में 3डी प्रिंटिंग का बाज़ार 6 बिलियन डॉलर्स का था जिसके 2022 तक 22 बिलियन डॉलर्स हो जाने की संभावना है यानि कि पांच साल में लगभग साढ़े तीन गुना! फ्यूचर ऑफ़ जॉब्स पत्रिका की रिपोर्ट कि माने तो 3डी प्रिंटिंग का एम्प्लॉयमेंट मार्किट अभी 16 प्रतिशत सालाना की दर से एवं 2022 में 27 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ने की उम्मीद है!

इंडस्ट्री 4.0

इंडस्ट्री 4.0 का तात्पर्य चौथी औद्योगिक क्रांति से है! यह स्मार्ट फैक्ट्री का एक विकल्प है एवं भविष्य की तकनीक है जिसमे इंजीनियरिंग की लगभग सभी विधाओं जैसे मैकेनिकल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग आदि का समावेश है!

इस तकनीक के ज़रिये बहुत कम मानव संसाधन के साथ परिशुद्ध एवं उचित उत्पादन समय की बचत करते हुए किया जा सकता है यानी कि उच्च उत्पादकता प्राप्त की जा सकती है! आम भाषा में कहा जाए तो मैन्युफैक्चरिंग इंडिस्ट्री एवं प्रोसेस इंडिस्ट्री में हो रहे ऑटोमेशन एवं डाटा जनरेशन इंडस्ट्री 4.0 का आधार है जिसको विभिन्न उपलब्ध तकनीकों जैसे इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स, इंडस्ट्रियल इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स, साइबर फिजिकल सिस्टम, स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग, स्मार्ट फैक्ट्रीज, क्लाउड कंप्यूटिंग, कॉग्निटिव कंप्यूटिंग एवं आर्टिफिशल इंटेलिजेंस आदि के माध्यम से परिष्कृत किया जाता है!

यह तकनीक फैक्ट्री की ऑपरेशनल एफिशिएंसी को बढ़ाती है, सप्लाई चैन को मांग के सापेक्ष संतुलित करती है, आफ्टर सेल्स सेवाओं को विस्तार देती है एवं संस्थान को सतत प्रगति के पथ पर आगे ले जाती है!

आज विश्व की सभी बड़ी कंपनियां जैसे माइक्रोसॉफ्ट, एबीबी, क्लियरपाथ रोबोटिक्स, फोर्ड मोटर्स, डेलॉयट, सीमेंस आदि इंडस्ट्री 4.0 को पूरी क्षमता के साथ प्रयोग कर रही हैं! भारत में भी  महिंद्रा एंड महिंद्रा, रेनॉल्ट, हुंडई, ऑडी, बॉश आदि कंपनियां अपने संयंत्रों को उच्चीकृत कर इंडिस्ट्री 4.0 पर जा रही हैं!

ऑटोकार प्रोफेशनल की रिपोर्ट के अनुसार 2022 तक इस क्षेत्र में लगभग 100 मिलियन रोज़गार स्किल्ड इंजिनीयर्स के लिए खुलने जा रहे हैं! इसलिए यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि मैकेनिकल इंजिनीयर्स के लिए यह क्षेत्र बहुत ही उर्वरक साबित होने जा रहा है!

इन क्षेत्रों के अतिरिक्त भी यांत्रिक अभियंताओं के लिए रेलवे, चालाक रहित वाहन, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स, हल्की एवं भारी मशीनरी, इंफ्रास्ट्रक्चर/मेगा स्ट्रक्चर, जहाज रानी, रक्षा, इंडस्ट्रियल इन्शुरेंस, पर्यावरण संरक्षण, उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान आदि क्षेत्रों में भी बहुत ही लाभप्रद एवं सतत रोज़गार के विकल्प उपलब्ध हैं!

 

 

Dr R Garg Photo |
                 डॉ0 राजुल गर्ग

डॉ राजुल गर्ग पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर हैं एवं वर्तमान में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्विद्यालय, लखनऊ से संबद्ध दीवान वी एस इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, मेरठ में निदेशक के पद पर कार्यरत हैं!

डॉ गर्ग को लगभग १२ वर्ष का अंतर्राष्ट्रीय कंपनी में मैनेजर- प्रोडक्ट डेवलपमेंट (डेंटल इक्विपमेंट्स) का एवं १२ वर्ष का ही शिक्षण क्षेत्र में विभागाध्यक्ष के पद पर कार्य करने का अनुभव है! आप वर्तमान में प्रचिलित डेटा साइंस में सांख्यिकी के विशेषज्ञ माने जाते हैं! इस विषय पर आपने कई कार्यशालाएं भी आयोजित की हैं!

कंपनी में रहते हुए आपके नाम पर कई उपलब्धियां हैं जिनमे सेंसर कंट्रोल्ड पेंटोग्राफिक डेंटल चेयर एवं पोर्टेबल सक्शन मशीन का विकास प्रमुख हैं!

आप विभिन्न प्रोफेशनल संस्थाओं जैसे इंस्टीट्यूशन ऑफ़ इंजीनियर्स (इंडिया), इंडियन सोसाइटी ऑफ़ हीटिंग रेफ्रिजरेटिंग एंड एयर कंडीशनिंग इंजीनियर्स, क्वालिटी सर्किल फोरम ऑफ़ इंडिया एवं इंस्टिट्यूट ऑफ़ प्रोडक्टिविटी एंड एंट्रेप्रेनुएरशिप डेवलपमेंट के भी सक्रिय सदस्य हैं!

डॉ राजुल गर्ग  प्रोसेस इम्प्रूवमेंट डोमेन के भी विशेषज्ञ हैं एवं कई छोटी एवं बड़ी कंपनियों में सलाहकार की भूमिका निभा चुके हैं! आपने प्रतिष्ठित आईआईएम् बेंगलुरु से डिजिटल मार्केटिंग में प्रमाण पत्र प्राप्त किया है!

अभिनव विषयों पर ब्लॉग लिखने में आप खास रूचि रखते हैं एवं पत्रकारिता से भी जुड़ कर कई नई प्रतिभाओं का साक्षात्कार लिया है जिससे कि उन्हें वह मंच मिल सके जिसके वह अधिकारी हैं!

8 thoughts on “सदाबहार है मैकेनिकल इंजीनियरिंग: रिसर्च के साथ-साथ देश विदेश में नौकरी की अपार संभावनाएँ- ड़ा0 राजुल गर्ग

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