Himachal Pradesh में सेब के दाम 16 रुपए कम तय, कांग्रेस हिमाचल इकाई ने दिया मौन धरना
Himachal Pradesh: गौतम अडानी की कंपनी ने पिछले साल की तुलना में सेब के दाम प्रति किलो 16 रुपए कम तय किए। दाम तय किए जाने के बाद अचानक ही सेब के दाम नीचे गिरने लगे हैं। सेब के गिरते दामों के खिलाफ कांग्रेस की हिमाचल इकाई ने शिमला में मौन धरना दिया।सेब के गिरते दामों के खिलाफ हिमाचल कांग्रेस ने शिमला में हिमाचल निर्माता डॉ यशवंत सिंह परमार की प्रतिमा के सामने मौन धरना दिया।
सेब के गिरते दामों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौड़ ने कहा कि एक बड़ी प्राइवेट कंपनी (अडानी) ने उच्च क्वालिटी के सेबों के दाम 72 रुपए प्रति किलो निर्धारित किए हैं। जिससे सेब बाजार को नुकसान पहुंचा है। साथ ही उन्होंने कहा कि अचानक से सेब के दाम गिरना एक साजिश है। आखिर अडानी ने किन मानकों के तहत सेब के दाम 72 रुपए प्रति किलो निर्धारित किए हैं।
इसके अलावा हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार ने अडानी को राज्य में स्टोर खोलने के लिए भारी सब्सिडी दी थी लेकिन अब ये हिमाचल के बागवानों से सस्ता सेब खरीद कर उन्हें महंगे दामों में बेच रहे हैं। अडानी जैसी कंपनियां सेब बागवानों का शोषण कर रही है। साथ ही उन्होंने इस दौरान जम्मू कश्मीर की तरह ही हिमाचल में भी सेब का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की मांग की।
पिछले दिनों अडानी एग्री फ्रेश ने सेब के दाम तय किए थे। पिछले साल की तुलना में सेब के दाम काफी कम रखे गए. अडानी एग्री फ्रेश ने एक्स्ट्रा लार्ज सेब 52 रुपये प्रति किलो जबकि लार्ज, मीडियम और स्मॉल सेब 72 रुपये प्रति किलो की दर से बागवानों से खरीदने का निर्णय लिया है। जबकि पिछले साल एक्स्ट्रा लार्ज सेब का दाम 68 रुपए तय किया गया था और लार्ज, मीडियम और स्मॉल सेब के दाम 88 रुपए रखे गए थे।
अचानक से सेब के दाम गिरने से सेब बागवानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। अडानी के साथ ही मंडियों में भी बागवानों को उचित दाम नहीं मिल रहा है। मंडी में मौजूद आढ़तिये अपने मनमुताबिक दाम नहीं मिलने के कारण बागवानों से सेब ही नहीं खरीद रहे हैं। जिसकी वजह से उन्हें औने पौने दामों में सेब को बेचना पड़ रहा है।