Himachal Pradesh में अवैध खनन पर ईडी की बड़ी कार्रवाई: दो गिरफ्तार, सीएम के करीबी होने का दावा, BJP-CM आमने-सामने
Himachal Pradesh में अवैध खनन और धनशोधन से जुड़े एक बड़े मामले ने राजनीतिक पारे को चढ़ा दिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान ज्ञानचंद और एस धीमान के रूप में हुई है। ईडी ने इन्हें सोमवार रात धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों के तहत हिरासत में लिया।
ईडी की जांच और कार्रवाई की शुरुआत
इस मामले की तह तक जाने के लिए ईडी ने उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी को आधार बनाया। जांच एजेंसी के अनुसार, इन गिरफ्तारियों का संबंध अवैध खनन से जुटाई गई संपत्तियों और उनके धनशोधन से है। आरोप है कि इन व्यक्तियों ने खनन माफियाओं के साथ मिलकर सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया।
पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह का दावा: ‘सीएम के करीबी गिरफ्तार’
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और पूर्व उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने दावा किया है कि गिरफ्तार किए गए दोनों लोग मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के करीबी हैं। बिक्रम सिंह ने कहा, “यह साबित हो गया है कि सीएम के करीबियों ने अवैध खनन को संरक्षण दिया।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज्य में अवैध खनन एक बड़े राजनीतिक खेल का हिस्सा है और इस मामले में ईडी को स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करनी चाहिए।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने दावों को किया खारिज
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बिक्रम सिंह के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा, “मेरा इन गिरफ्तारियों से कोई संबंध नहीं है। सिर्फ इसलिए कि ये गिरफ्तारियां मेरे विधानसभा क्षेत्र नादौन से हुई हैं, इसका मतलब यह नहीं कि मैं इसमें शामिल हूं।” उन्होंने भाजपा पर राजनीतिक लाभ के लिए बेबुनियाद आरोप लगाने का भी आरोप लगाया।
राजनीति में बढ़ता तनाव: BJP और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग
इस मामले ने राज्य में भाजपा और कांग्रेस के बीच तकरार को और बढ़ा दिया है। जहां एक ओर भाजपा इसे कांग्रेस सरकार की विफलता के रूप में पेश कर रही है, वहीं कांग्रेस ने इसे एक सुनियोजित साजिश बताया है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि भाजपा बिना किसी ठोस आधार के राज्य सरकार की छवि खराब करने की कोशिश कर रही है।
अवैध खनन का हिमाचल पर प्रभाव
हिमाचल प्रदेश में अवैध खनन एक लंबे समय से चिंता का विषय रहा है। पर्यावरणविदों का कहना है कि खनन गतिविधियां न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि स्थानीय नदी तंत्र और खेती पर भी गहरा प्रभाव डालती हैं। इस घटना के बाद सवाल उठ रहे हैं कि सरकार और प्रशासन खनन माफियाओं पर अंकुश लगाने में कितने सक्षम हैं।
ईडी की सक्रियता और आगे की जांच
ईडी की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि केंद्रीय एजेंसियां अब राज्यों में हो रही अवैध गतिविधियों पर सख्ती से नज़र रख रही हैं। सूत्रों के अनुसार, यह जांच अभी शुरुआती चरण में है और आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
पिछले मामले और अवैध खनन का इतिहास
यह कोई पहला मौका नहीं है जब हिमाचल में अवैध खनन का मुद्दा उठा हो। इससे पहले भी कई रिपोर्ट्स सामने आई हैं, जिनमें स्थानीय नेताओं और अधिकारियों की संलिप्तता का आरोप लगाया गया। हालांकि, इस बार ईडी की कार्रवाई ने मामले को राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में ला दिया है।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए। साथ ही, राज्य सरकार को अवैध खनन रोकने के लिए तकनीकी उपाय और सख्त कानून लागू करने चाहिए।
राजनीतिक और कानूनी लड़ाई की शुरुआत
इस घटना ने हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक और कानूनी लड़ाई का नया अध्याय खोल दिया है। जहां भाजपा इसे कांग्रेस के खिलाफ बड़ा हथियार बना रही है, वहीं कांग्रेस ने इसे राजनीतिक षड्यंत्र बताया है। देखना यह होगा कि ईडी की जांच क्या नया मोड़ लाती है और क्या इस बार अवैध खनन पर लगाम लगाई जा सकेगी।
यह मामला हिमाचल प्रदेश के लिए एक बड़ी चेतावनी है। राज्य के प्रशासन और नेताओं के लिए यह वक्त है कि वे अपने कार्यों की गंभीरता को समझें और राज्य को अवैध गतिविधियों से मुक्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाएं।