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मऊरानीपुर में Bageshwar Baba पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर मोबाइल फोन से हमला, लेकिन अब खुद पंडित शास्त्री ने दी सफाई

उत्तर प्रदेश के मऊरानीपुर में मंगलवार को एक ऐसी घटना घटी, जिसने पूरे देश में हलचल मचा दी। हिंदू धर्म के प्रचारक और बागेश्वर धाम के प्रमुख, पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, जिन्हें ‘Bageshwar Baba के नाम से भी जाना जाता है, पर हमला किया गया। यह हमला पंडित शास्त्री की ‘हिंदू एकता पदयात्रा’ के दौरान हुआ, जिसमें वह देशभर में धार्मिक एकता और समाज में भाईचारे को बढ़ावा दे रहे थे।

हमलावर ने शास्त्री पर फूलों के साथ एक मोबाइल फोन फेंका, जिससे उनका चेहरा घायल हो गया। इस हमले ने न केवल शास्त्री के अनुयायियों, बल्कि देशभर में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव को लेकर चिंता पैदा कर दी थी। हालांकि, अब खुद पंडित शास्त्री ने इस हमले को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट की है।

हमले के बाद पंडित शास्त्री की सफाई

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने इस हमले के बारे में बयान देते हुए कहा कि हमलावर द्वारा फेंका गया मोबाइल फोन उनके चेहरे से टकराया, जिससे उन्हें थोड़ी चोट लगी थी, लेकिन अब सब ठीक है। उन्होंने कहा, “थोड़ा मोबाइल लग गया था, बाकी सब ठीक है। मोबाइल को मैंने वापस कर दिया है।” शास्त्री ने बताया कि यह हमला जानबूझकर नहीं किया गया था और उन्होंने इसके पीछे किसी सुनियोजित साजिश का शक जताया था, लेकिन अब उन्होंने अपनी चोट को मामूली बताते हुए कहा कि इस घटना से उनकी यात्रा पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

पदयात्रा में हुआ हमला:

बागेश्वर बाबा, पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों ‘सनातन हिंदू एकता’ पदयात्रा पर निकले हुए थे। यह यात्रा 9 दिनों तक चलने वाली थी और इसका उद्देश्य हिंदू समाज को एकजुट करना था। यात्रा की शुरुआत 21 नवंबर 2024 को मऊरानीपुर के पास सुबह 9 बजे हुई थी, जिसमें राष्ट्रगान, हनुमान चालीसा और मंत्रोच्चार के साथ समारोह की शुरुआत की गई थी। जैसे ही शास्त्री यात्रा की शुरुआत कर रहे थे, अचानक भीड़ में से एक व्यक्ति ने फूलों के साथ मोबाइल फोन फेंक दिया। हमला इतना गंभीर था कि मोबाइल सीधे शास्त्री के चेहरे पर जाकर लगा और उनके कान में चोंट आई। इस हमले के बाद पंडित शास्त्री ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस घटना में किसी भी तरह का नुकसान हुआ तो वह मोबाइल पुलिस को सौंप देंगे।

पंडित शास्त्री की यात्रा का उद्देश्य

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का ‘हिंदू एकता पदयात्रा’ का उद्देश्य समाज में बढ़ती धार्मिक असहमति और समाजिक विभाजन को खत्म करना है। शास्त्री का मानना है कि हिंदू समाज को एकजुट करने के लिए इस तरह की यात्राओं की आवश्यकता है ताकि समाज में भाईचारा बढ़े और हिंदू धर्म की ताकत को महसूस किया जा सके। शास्त्री ने हमेशा अपने भाषणों और धार्मिक प्रवचनों के दौरान हिंदू धर्म के संरक्षण और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने की बात की है।

उनका कहना है कि ‘सनातन हिंदू एकता’ पदयात्रा न केवल धर्म की रक्षा के लिए है, बल्कि यह भारतीय समाज में एकता और सौहार्द का संदेश भी देती है। उनकी यात्रा को बड़ी संख्या में लोगों का समर्थन प्राप्त हो रहा है, और शास्त्री के अनुयायी इस यात्रा को लेकर उत्साहित हैं। यात्रा के दौरान शास्त्री ने कई जगहों पर धार्मिक आयोजनों का भी आयोजन किया और लोगों को सनातन धर्म के महत्व के बारे में बताया।

हमले के बाद का माहौल और पंडित शास्त्री का बयान

पंडित शास्त्री पर हुआ हमला एक ऐसे समय में हुआ है जब उनकी ‘सनातन हिंदू एकता’ यात्रा को बड़े पैमाने पर समर्थन मिल रहा था। हालांकि हमलावर द्वारा फेंके गए मोबाइल फोन से पंडित शास्त्री को थोड़ी सी चोट आई थी, लेकिन शास्त्री ने खुद स्पष्ट किया कि यह हमला जानबूझकर नहीं किया गया था। उन्होंने कहा, “थोड़ा मोबाइल लग गया था, बाकी सब ठीक है। मोबाइल को मैंने वापस कर दिया है।”

शास्त्री ने इस घटना को मामूली बताते हुए कहा कि इस घटना से उनकी यात्रा या संदेश पर कोई असर नहीं पड़ेगा और वह पूरी तरह से ठीक हैं।

राजनीतिक परिपेक्ष्य में क्या है इस हमले का असर?

इस हमले को लेकर राजनीति भी गरमाती नजर आ रही है। कई राजनीतिक दलों ने इस हमले को गंभीरता से लिया है और शास्त्री की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए हैं। कुछ राजनीतिक नेताओं ने इस हमले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की है, जबकि अन्य नेताओं ने इसे एक व्यक्तिगत हमला मानते हुए उसकी निंदा की है।

इसके अलावा, इस घटना ने उन लोगों को भी सवालों के घेरे में ला दिया है, जो धर्म को राजनीति से जोड़ते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं केवल धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले लोगों को फायदा पहुंचाती हैं, जबकि समाज में असहमति और हिंसा बढ़ जाती है।

समाज में फैलते तनाव और समाधान की दिशा:

जहां एक ओर इस हमले ने समाज में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव को उजागर किया है, वहीं दूसरी ओर यह समय भी है जब समाज को एकजुट होकर ऐसे मामलों का सामना करना चाहिए। धर्म और राजनीति को अलग रखते हुए, समाज को ऐसे हमलों और घटनाओं के खिलाफ मिलकर खड़ा होना होगा।

समाज में असहमति और हिंसा को खत्म करने के लिए सभी धर्मों और समुदायों को एकजुट होकर काम करना होगा। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की यात्रा को एक सकारात्मक दिशा में देखना चाहिए, जहां लोग धार्मिक भेदभाव से ऊपर उठकर अपने समाज के कल्याण के लिए काम करें।

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर हुआ हमला न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करने वाला है, बल्कि यह घटना पूरे देश के लिए एक चेतावनी है। हमें समझना होगा कि किसी भी धर्म, जाति, या समुदाय के खिलाफ हिंसा और नफरत फैलाना समाज के लिए घातक हो सकता है। शास्त्री ने जो रास्ता चुना है, वह शांति और एकता की ओर बढ़ता है, और यह हर किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत बन सकता है।

यह घटना इस बात का भी प्रमाण है कि देश में धार्मिक असहमति और उन्माद को बढ़ावा देने के बजाय, हमें एकजुट होकर समाज में शांति और सौहार्द स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए।

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