Sambhal की जामा मस्जिद में हिंसा: 3 की मौत, 20 प्रशासनिक अधिकारी घायल, यूपी में तात्कालिक तनाव
उत्तर प्रदेश के Sambhal जिले में रविवार को जामा मस्जिद के आसपास हिंसा का एक बड़ा मामला सामने आया। यह हिंसा उस वक्त भड़क उठी जब जिला प्रशासन ने कोर्ट के आदेश पर मस्जिद के सर्वे की योजना बनाई थी। अधिकारियों के अनुसार, जब सर्वे टीम मस्जिद पहुंची, तो विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों ने पथराव कर दिया, जिससे हिंसा बढ़ गई। इस हिंसा में तीन युवकों की मौत हो गई, जबकि 20 से अधिक प्रशासनिक अधिकारी घायल हो गए।
Sambhal जिले के जिला मजिस्ट्रेट ने इस घटनाक्रम के बाद एक अहम अधिसूचना जारी की, जिसमें कहा गया कि प्रशासन की अनुमति के बिना अब किसी बाहरी व्यक्ति, सामाजिक संगठन या जनप्रतिनिधि को जिले में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस फैसले के बाद संभल में तनाव की स्थिति बनी हुई है और इलाके में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत कर दिया गया है।
हिंसा का कारण क्या था?
हिंसा की शुरुआत उस वक्त हुई जब एक स्थानीय अदालत में यह याचिका दायर की गई थी कि जामा मस्जिद के स्थान पर पहले हरिहर मंदिर हुआ करता था। याचिका के बाद कोर्ट ने सर्वे के आदेश दिए थे, जिसे जिले के अधिकारियों ने रविवार को कराने की योजना बनाई थी। अधिकारियों ने बताया कि सर्वे को आमतौर पर नमाज के समय से बचने के लिए सुबह के वक्त करने की योजना बनाई थी। यह कदम नमाज के समय हस्तक्षेप से बचने के लिए उठाया गया था, लेकिन जैसे ही सर्वे दल मस्जिद में पहुंचा, विरोध प्रदर्शन कर रहे स्थानीय लोगों ने उन पर पथराव करना शुरू कर दिया।
पथराव के बाद स्थिति हिंसक हो गई, और इसमें तीन लोगों की जान चली गई। मृतकों की पहचान नईम और बिलाल के रूप में की गई है, जो स्थानीय निवासी थे। इन घटनाओं के बाद इलाके में भय का माहौल बना हुआ है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया: बीजेपी और विपक्ष में घमासान
Sambhal की हिंसा पर राजनीति भी गरमाई हुई है। उत्तर प्रदेश में विपक्षी दलों ने इसे बीजेपी की साजिश करार दिया है। उनका आरोप है कि बीजेपी ने अपनी नफरत की राजनीति को बढ़ावा देने के लिए इस विवादास्पद मस्जिद सर्वे का आदेश दिया था। विपक्ष का कहना है कि इस कदम से न केवल सांप्रदायिक तनाव बढ़ा, बल्कि यह जनता को और भी अधिक उकसाने वाला कदम था।
वहीं, बीजेपी ने इस आरोप का कड़ा विरोध करते हुए पलटवार किया। पार्टी ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव के बाद से विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन द्वारा शांति और सौहार्द्र को भंग करने की कोशिश की जा रही है। बीजेपी के प्रवक्ताओं का कहना है कि यह हिंसा विपक्ष द्वारा भड़काई गई है, और इसके पीछे उनकी राजनीति का हाथ है।
Sambhal में बढ़ी सुरक्षा व्यवस्था, इंटरनेट सेवा भी बंद
Sambhal में हुए इस हिंसक घटनाक्रम के बाद प्रशासन ने तुरंत कड़े कदम उठाए हैं। पुलिस ने जिले में 24 घंटे के लिए इंटरनेट सेवा बंद कर दी है, ताकि अफवाहों का प्रसार रोका जा सके। इसके साथ ही जिले के सभी स्कूल और कॉलेजों को भी बंद कर दिया गया है। इस कदम के पीछे प्रशासन का यह मानना है कि हिंसा को और बढ़ने से रोकने के लिए शांति व्यवस्था बनाए रखना जरूरी है।
#Sambhal बंद. धारा 163 लागू… pic.twitter.com/5OFdOs3Qdg
— News & Features Network (@newsnetmzn) November 25, 2024
इसी बीच, संभल और आसपास के जिलों जैसे बरेली, अमरोहा, रामपुर और मुरादाबाद में भी पुलिस की तैनाती की गई है। जिले में भारी संख्या में पुलिस बल की मौजूदगी सुनिश्चित की गई है, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके। साथ ही, संभल के आसपास के इलाकों में भी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, और प्रशासन पूरी तरह से हाई अलर्ट पर है।
Sambhal में हुई हिंसा का गहरा असर, सरकार की कार्रवाई पर सवाल
इस घटना के बाद संभल में पैदा हुए तनाव को लेकर सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगे हैं। कई लोग यह पूछ रहे हैं कि जब मस्जिद का सर्वे इतना संवेदनशील था, तो इसे इतनी जल्दबाजी में क्यों किया गया? क्या प्रशासन ने समाज में सौहार्द्र बनाए रखने के लिए पर्याप्त तैयारी की थी? क्या सर्वे का समय सही था, और क्या इस सर्वे को और अधिक पारदर्शी तरीके से कराया जा सकता था?
वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश सरकार किसी भी प्रकार की हिंसा को सहन नहीं करेगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
लोकसभा चुनावों के बाद का माहौल और संभावित असर
लोकसभा चुनावों के बाद से उत्तर प्रदेश में राजनीतिक माहौल में गरमी देखी जा रही है। संभल की घटना को लेकर यह भी चर्चा है कि इस तरह की घटनाओं से राज्य में चुनावी माहौल और बिगड़ सकता है। विपक्षी दलों का आरोप है कि बीजेपी सत्ता में रहते हुए जानबूझकर ऐसे विवादों को हवा दे रही है, ताकि राजनीतिक लाभ उठाया जा सके। वहीं बीजेपी का कहना है कि विपक्षी दलों की राजनीति में शांति और सौहार्द्र की कोई अहमियत नहीं है, और वे लगातार अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
Sambhal की इस घटना ने पूरे राज्य में एक नई बहस छेड़ दी है, और अब सभी की नजरें प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हुई हैं। इस हिंसा के बाद सवाल उठता है कि क्या राज्य सरकार इस मुद्दे को सुलझाने में सफल होगी या फिर यह और बड़ा विवाद बन जाएगा?