BRICS समिट: कूटनीतिक संवाद और वैश्विक सहयोग का नया अध्याय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में BRICS समिट में भाग लेने के बाद दिल्ली लौट आए हैं। यह दो दिन का दौरा भारत के लिए कूटनीतिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व रखता है। समिट में भाग लेते हुए, पीएम मोदी ने न केवल रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बल्कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात की। इसके अलावा, ईरान और यूएई समेत कई देशों के नेताओं के साथ भी उनकी वार्ताएँ हुईं। इस समिट में कई वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की गई, और अंत में जो कजान घोषणापत्र जारी किया गया, उसमें 7 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सहमति बनी।
वैश्विक कूटनीति का नया आयाम
BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) समूह का समिट केवल आर्थिक या राजनीतिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित नहीं करता, बल्कि यह वैश्विक सहयोग और कूटनीति के नये आयाम भी प्रस्तुत करता है। इस बार समिट में हुए चर्चाओं में यूक्रेन-रूस संघर्ष और इजरायल-हिजबुल्लाह के बीच चल रही जंग पर गहन विचार-विमर्श किया गया। ये ऐसे मुद्दे हैं जो विश्व के कई देशों के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात को लेकर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में काफी चर्चाएँ हुईं। पांच साल के अंतराल के बाद दोनों नेताओं की यह मुलाकात महत्वपूर्ण थी, जो भारत और चीन के बीच के संबंधों को नया दिशा देने की संभावना दर्शाती है।
कजान घोषणापत्र के प्रमुख बिंदु
कजान घोषणापत्र में जो सात महत्वपूर्ण बिंदु उल्लेखित किए गए हैं, उनमें वैश्विक विकास, आर्थिक सहयोग, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसी कई अहम बातें शामिल हैं। ये बिंदु न केवल ब्रिक्स देशों के लिए, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण हैं।
- आर्थिक सहयोग का विकास: सभी देशों ने आपसी व्यापार और निवेश को बढ़ाने पर जोर दिया।
- सुरक्षा और आतंकवाद: आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता पर सहमति बनी।
- संस्कृति और खेल: सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन।
- वैश्विक स्वास्थ्य: कोविड-19 के बाद स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के उपायों पर चर्चा।
- पर्यावरणीय स्थिरता: जलवायु परिवर्तन के खिलाफ संयुक्त प्रयासों को बढ़ावा देना।
- डिजिटल सहयोग: डिजिटल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग की आवश्यकता।
- शिक्षा और अनुसंधान: अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त कार्यक्रमों की आवश्यकता।
ब्रिक्स की बढ़ती भूमिका
ब्रिक्स की बढ़ती भूमिका विश्व में एक नई शक्ति केंद्र के रूप में उभरने की संकेत देती है। कजान में होने वाली इस समिट के दौरान, नेताओं ने ब्रिक्स के विस्तार पर भी चर्चा की। इस साल अगस्त में जोहान्सबर्ग में हुई बैठक में नए सदस्यों को शामिल करने का निर्णय लिया गया था। जनवरी 2024 से, 10 नए देश ब्रिक्स का हिस्सा बनेंगे, जो इस समूह की प्रभावशीलता को और बढ़ाएगा।
रूस की ब्रिक्स अध्यक्षता
रूस ने 2024 के लिए ब्रिक्स समूह की अध्यक्षता ग्रहण की है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस अवसर पर वैश्विक सहयोग, विज्ञान और नवाचार, सुरक्षा, और खेल में सहयोग को प्राथमिकता दी है। पुतिन ने यह भी कहा कि रूस की ब्रिक्स अध्यक्षता का लक्ष्य बहुपोलार विश्व व्यवस्था का निर्माण करना है, जहां सभी देशों के लिए समान विकास के अवसर हों।
रूस ने अपनी अध्यक्षता के तहत विभिन्न कार्यक्रमों की योजना बनाई है, जिसमें 250 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। यह सभी कार्यक्रम रूस के विभिन्न शहरों में होंगे, जो इस सहयोग के महत्व को दर्शाते हैं। कजान में होने वाली ब्रिक्स समिट रूस की अध्यक्षता का मुख्य कार्यक्रम होगा।
कजान का महत्व
कजान को समिट का आयोजन स्थल चुना जाना कोई संयोग नहीं है। इस शहर में विश्व नेताओं के साथ उच्चस्तरीय बैठकों के लिए सभी आवश्यक सुविधाएँ मौजूद हैं। कजान का परिवहन नेटवर्क और पर्यटन अवसंरचना इसे एक आदर्श स्थान बनाती है।
स्थानीय प्रशासन और नेतृत्व ने इस समिट की तैयारियों में सक्रिय भागीदारी की है, जिससे सभी आवश्यक बुनियादी ढाँचे और सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।
ब्रिक्स समिट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वैश्विक राजनीति में सहयोग और संवाद की आवश्यकता कितनी अधिक है। मोदी और पुतिन की मुलाकात से लेकर जिंपिंग से हुई वार्ता तक, सभी ने एक नई कूटनीतिक दृष्टि की ओर इशारा किया है।
यह समिट सिर्फ एक कूटनीतिक संवाद नहीं है, बल्कि यह वैश्विक समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जहाँ विभिन्न देश एक साथ आकर समसामयिक मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं। वैश्विक विकास, सुरक्षा, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से ब्रिक्स ने एक नई राह तैयार की है, जो आगे चलकर विश्व के लिए कई सकारात्मक परिणाम लाने की क्षमता रखती है।